
शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 4.04% की बैलेंस शीट वृद्धि दर्ज की। रिजर्व और जमाराशि में उल्लेखनीय बढ़ोतरी के साथ ये बैंक वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे रहे हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान शानदार प्रदर्शन करते हुए अपनी संयुक्त बैलेंस शीट में 4.04 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। 31 मार्च, 2024 तक यूसीबी की कुल संपत्ति और देनदारियां बढ़कर 7,07,669 करोड़ रुपये हो गईं, जो पिछले वर्ष 6,80,197 करोड़ रुपये थीं। यह वृद्धि बैंकिंग क्षेत्र में उनकी स्थिरता और वित्तीय समावेशन में अहम भूमिका को दर्शाती है।
इस उल्लेखनीय वृद्धि के पीछे सबसे बड़ा योगदान रिजर्व और सरप्लस में हुई तेज बढ़ोतरी का रहा, जो सालाना आधार पर 13.45 प्रतिशत बढ़कर 48,245 करोड़ रुपये से 54,732 करोड़ रुपये हो गया। यह शहरी सहकारी बैंकों की आंतरिक पूंजी निर्माण क्षमता और लाभप्रदता में मजबूती का स्पष्ट संकेत है।
यूसीबी द्वारा जुटाई गई जमाराशियों में भी 4.12 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो अब 5,55,469 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। यह आंकड़े शहरी और अर्ध-शहरी आबादी के बीच सहकारी बैंकों के प्रति बढ़ते विश्वास को दर्शाते हैं।
दूसरी ओर, यूसीबी की उधारी में 13.80 प्रतिशत की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ये बैंक बाहरी वित्तीय सहायता पर अपनी निर्भरता कम कर रहे हैं। पूंजी में भी 2.78 प्रतिशत की स्थिर वृद्धि हुई, जो सदस्यों के बढ़ते योगदान को दर्शाती है।
इसके साथ ही नकदी भंडार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास जमा शेष राशि में क्रमशः 5.25 प्रतिशत और 11.99 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो यूसीबी द्वारा मजबूत तरलता बनाए रखने के प्रयासों को दर्शाती है।
वित्त वर्ष 2024 के प्रदर्शन से स्पष्ट है कि शहरी सहकारी बैंक अब अधिक मजबूत, परिपक्व और आत्मनिर्भर वित्तीय मॉडल की ओर अग्रसर हैं। वे न केवल वित्तीय समावेशन के एजेंडे को मजबूती दे रहे हैं, बल्कि डिजिटल बैंकिंग की नई मांगों के अनुरूप भी खुद को ढाल रहे हैं।
तेजी से बदलते वित्तीय परिदृश्य में, यूसीबी के सामने कई अवसर और चुनौतियाँ हैं, जिन्हें संतुलित करते हुए ये बैंक भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार हो रहे हैं।