उत्तर प्रदेश में पराग डेयरी को आर्थिक संकट से उबारने और दुग्ध उत्पादकों की आय बढ़ाने के लिए प्रादेशिक कोआपरेटिव डेरी फेडरेशन लिमिटेड ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार से अनुमति मिलने के बाद अब सरकारी और अर्द्धशासकीय कार्यालय परिसरों में पराग मिल्क बूथ और मिल्क पार्लर खोले जाएंगे। कानपुर दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ ने इस दिशा में कार्यालयों से पत्राचार शुरू कर दिया है। अधिकारियों को उम्मीद है कि जल्द ही जगह आवंटन के बाद पराग के दूध और डेयरी उत्पादों की बिक्री शुरू हो जाएगी।
दुग्ध संकलन और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
वर्तमान में कानपुर दुग्ध संघ ग्रामीण क्षेत्रों में दुग्ध समितियों का गठन कर दूध संकलन कर रहा है। राज्य के हजारों किसान दुग्ध सहकारिता से जुड़े हुए हैं और पराग के माध्यम से ही अपना दूध बेचते हैं। अब इस ब्रांड को दोबारा मार्केट में मज़बूती से खड़ा करने के लिए उसकी बिक्री के नए चैनल बनाए जा रहे हैं। पराग को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए मार्केटिंग रणनीति पर जोर दिया जा रहा है।
पराग डेयरी प्लांट: आधुनिक तकनीक, अधूरी उम्मीदें
कानपुर के साकेत नगर में 50 वर्ष पुराने पराग डेयरी प्लांट में कभी प्रतिदिन 50 हजार लीटर दूध का उत्पादन होता था। जर्जर मशीनों के कारण 25 एकड़ भूमि पर 166 करोड़ रुपये की लागत से नया प्लांट बनाया गया। 2019 में तैयार इस प्लांट में जापानी तकनीक की मशीनें लगाई गईं, जो प्रतिदिन चार लाख लीटर दूध और डेयरी उत्पादों का उत्पादन कर सकती हैं। इसका उद्देश्य कानपुर, कानपुर देहात, इटावा, औरैया, फर्रुखाबाद, कन्नौज और फतेहपुर तक डेयरी उत्पाद पहुंचाना था। हालांकि, पिछले छह वर्षों से प्लांट उपयोग में नहीं आ सका है।
अब मिल्क बूथ और पार्लर के लिए जगह आवंटन की मांग की गई है, ताकि पराग डेयरी की आय बढ़े और ब्रांड को नया जीवन मिले। इस कदम से पराग के दूध और डेयरी उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा। यह पहल न केवल पराग डेयरी को आर्थिक संकट से उबारेगी, बल्कि दुग्ध उत्पादकों की आय में भी वृद्धि करेगी।
पराग डेयरी की यह नई रणनीति न केवल ब्रांड को पुनर्जनन देगी, बल्कि स्थानीय किसानों और दुग्ध सहकारिता से जुड़े लोगों के लिए आर्थिक अवसर भी पैदा करेगी। सरकारी कार्यालयों में मिल्क बूथ और पार्लर की स्थापना से पराग के उत्पादों की पहुंच बढ़ेगी, जिससे यह ब्रांड फिर से बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा सकेगा।