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Economic Survey: परंपरागत व जैविक खेती का बढ़ा रकबा, सूक्ष्म सिंचाई बढ़ाने पर जोर

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि 2015-16 के वित्तीय वर्ष से, सरकार जल दक्षता को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के एक घटक, प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) पहल को लागू कर रही है।

समीक्षा रिपोर्ट में वित्त मंत्री ने किसान क्रेडिट कार्ड पर ऋण की सीमा बढ़ाने का संकेत दिया है।


Published: 17:18pm, 31 Jan 2025

सरकार ने सिंचाई सुविधाओं को सुगम बनाने के लिए कृषि विकास और जल संरक्षण को उच्च प्राथमिकता दी है। वित्त वर्ष 2015-16 और वित्त वर्ष 2020-21 के बीच सिंचाई क्षेत्र का कवरेज सकल फसली क्षेत्र (जीसीए) 49.3 प्रतिशत से बढ़कर 55 प्रतिशत हो गया है। सिंचाई की सघनता 144.2 प्रतिशत से बढ़कर 154.5 प्रतिशत हो गई है। संसद में वर्ष 2024-25 की आर्थिक समीक्षा पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि माइक्रो इरिगेशन से कृषि क्षेत्र को फायदा हुआ है, जिससे फसलों की उत्पादकता को बढ़ाने में मदद मिली है। देश में किसानों को परंपरागत खेती और जैविक खेती को मिले प्रोत्साहन से 25.30 लाख किसानों को इस दिशा में मोड़ दिया गया है। कुल 14.99 लाख हेक्टेयर रकबा में जैविक खेती की जाने लगी है। समीक्षा रिपोर्ट में वित्त मंत्री ने किसान क्रेडिट कार्ड पर ऋण की सीमा बढ़ाने का संकेत दिया है।

‘पर ड्राप मोर क्रॉप’ से मिली सफलता

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि 2015-16 के वित्तीय वर्ष से, सरकार जल दक्षता को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के एक घटक, प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) पहल को लागू कर रही है। पीडीएमसी योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्यों को 21968.75 करोड़ रुपए जारी किए गए और 95.58 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया, जो प्री-पीडीएमसी अवधि की तुलना में लगभग 104.67 प्रतिशत अधिक है।

लघु सिंचाई कोष

लघु सिंचाई कोष (एमआईएफ) राज्यों को एमआईएफ के तहत प्राप्त ऋणों पर 2 प्रतिशत ब्याज अनुदान के माध्यम से नवीन परियोजनाओं को समर्थन प्रदान करता है। इस संबंध में 4709 करोड़ रुपए की ऋण राशि को मंजूरी दी गई है, जिसमें से अब तक 3640 करोड़ रुपए की राशि वितरित की जा चुकी है।

वर्षा आधारित क्षेत्र विकास कार्यक्रम

वर्षा आधारित क्षेत्र विकास (आरएडी) कार्यक्रम को वित्त वर्ष 2014-15 से राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) के अंग के रूप में कृषि प्रणालियों के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों के विकास और संरक्षण के लिए लागू किया गया है। इसके आरंभ से अब तक, आरएडी कार्यक्रम के तहत 8.00 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हुए 1,858.41 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।

जैविक खेती

जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 2015 से दो समर्पित योजनाएं : परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन कार्यान्वित की हैं। पीकेवीवाई के तहत, 14.99 लाख हेक्टेयर और 25.30 लाख किसानों को कवर करने वाले 52,289 क्लस्टर स्थापित किए जा चुके हैं। इसी तरह, एमओवीसीडीएनईआर के तहत 434 किसान उत्पादक कंपनियां बनाई जा चुकी हैं, जो कुल 1.73 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हैं और 2.19 लाख किसानों को लाभान्वित करती हैं।

सहकारी समितिया

भारत में सहकारी समितियां कृषि, ऋण और बैंकिंग, आवास और महिला कल्याण सहित कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने के लिए, भारत सरकार ने विभिन्न रणनीतिक पहलों को लागू किया है। इनमें विशेष रूप से प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) के लिए मॉडल उपनियम की शुरूआत शामिल है, जो उनके संचालन के लिए संगठित प्रणाली प्रदान करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। सहकारी परिदृश्य को समृद्ध बनाने के उद्देश्य से किए गए अन्य उल्लेखनीय उपायों में खुदरा पेट्रोल और डीजल आउटलेट की स्थापना और सहकारी समितियों के भीतर माइक्रो-एटीएम लागू करना शामिल है ताकि बैंकिंग सेवाओं तक आसान पहुंच की सुविधा मिल सके। इसके अलावा, विशेष रूप से डेयरी सहकारी समितियों के लिए रूपे किसान क्रेडिट कार्ड जारी करना है, जिसका उद्देश्य इन संस्थाओं और इनके सदस्यों की वित्तीय क्षमताओं में सुधार लाना है।

लेखक: एसपी सिंह, वरिष्ठ पत्रकार

YuvaSahakar Desk

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