
पहले मछली पालक कई बुनियादी सुविधाओं से वंचित थे, लेकिन अब उन्हें किसानों के समान अधिकार और लाभ मिलेंगे।
महाराष्ट्र सरकार ने मछली पालन क्षेत्र को कृषि का दर्जा देने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। इससे राज्य के लगभग 4.83 लाख मछुआरों और मछली पालन से जुड़े लोगों को किसानों जैसी सुविधाएं मिल सकेंगी। इस निर्णय का उद्देश्य मछली पालन को सशक्त बनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है।
राज्य के मत्स्य पालन मंत्री नितेश राणे ने इस फैसले को ‘ऐतिहासिक और क्रांतिकारी’ बताया। उन्होंने कहा कि मछली पालन में भी पारंपरिक कृषि जैसी ही उत्पादन और आय की क्षमता है। अब तक कृषि का दर्जा न होने के कारण मछुआरे बिजली, पानी, बीमा और सब्सिडी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित थे।
अब मछुआरों को बिजली सब्सिडी, किसान क्रेडिट कार्ड, कृषि दर पर ऋण, बीमा कवरेज और उपकरणों पर सब्सिडी जैसी सुविधाएं मिलेंगी। किसानों की तरह ही मछली पालकों को मछली बीज, चारा, पैडल-व्हील एरेटर और एयर पंप खरीदने पर सब्सिडी दी जाएगी।
इसके अलावा प्राकृतिक आपदाओं जैसे सूखा या अत्यधिक बारिश की स्थिति में उन्हें किसानों की तरह राहत पैकेज मिलेगा। बीमा योजनाओं के तहत उन्हें मछली बीज या उत्पादन में हुए नुकसान की भरपाई मिल सकेगी।
सरकार के इस फैसले से न केवल तटीय इलाकों बल्कि अंतर्देशीय क्षेत्रों में भी मछली पालन को बढ़ावा मिलेगा। रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और ग्रामीणों की आय में वृद्धि होगी।
मंत्री राणे ने बताया कि मछली पालन से विदेशी मुद्रा आय होती है और यह देश को प्रोटीन युक्त खाद्य आपूर्ति में भी सहयोग करता है। उन्होंने कहा कि मत्स्य विकास परियोजनाओं, प्रोसेसिंग यूनिट्स और संबंधित कारखानों को भी कृषि दरों पर बिजली और अन्य सुविधाएं दी जाएंगी।
इस निर्णय से महाराष्ट्र में मछली उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और मछुआरों को एक नई पहचान और सम्मान मिलेगा। सरकार को उम्मीद है कि इससे मछली पालन क्षेत्र में बड़े स्तर पर आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन आएगा।