पहलगाम आतंकी हमले में 28 लोगों की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इसी गम और आक्रोश के बीच बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (CCS) की अहम बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ पांच बड़े और निर्णायक फैसले लिए गए। ये फैसले पाकिस्तान के खिलाफ अब तक की सबसे कड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।
इन फैसलों ने न केवल सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को रेखांकित किया, बल्कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को भी गहरे संकट में डालने की क्षमता रखते हैं। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने इन फैसलों की जानकारी देते हुए स्पष्ट किया कि भारत अब आतंकवाद और उसके पोषकों के खिलाफ किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतेगा।
1. सिंधु जल समझौता रोकने का ऐतिहासिक फैसला
पहला और सबसे बड़ा फैसला — भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया है। यह वही समझौता है जिसे भारत ने 1965 और 1971 के युद्धों में भी नहीं तोड़ा था। लेकिन अब सब्र का बांध टूट चुका है। जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई नहीं करता, तब तक यह समझौता आगे नहीं बढ़ेगा। ऐसा करके भारत ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है जिसमें भारत के किसी भी सीमा तक जाकर कदम उठाने की मंशा दिखाई देती है।
2. अटारी बॉर्डर बंद, पाक नागरिकों को घर वापसी का फरमान
भारत ने पंजाब स्थित अटारी चेकपोस्ट को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया है। जिन पाकिस्तानी नागरिकों ने इस बॉर्डर से भारत में प्रवेश किया है, उन्हें 1 मई 2025 तक वापस लौटने का आदेश दिया गया है। यह सीधा संदेश है कि अब भारत की जमीन पर आतंक के मददगारों को कोई जगह नहीं।
3. सार्क वीजा छूट खत्म, 48 घंटे में देश छोड़ने का अल्टीमेटम
भारत ने पाकिस्तान के लिए लागू सार्क वीजा एक्जेंप्शन स्कीम (SVES) को तत्काल प्रभाव से खत्म कर दिया है। इस स्कीम के तहत पत्रकार, कारोबारी, कलाकार और राजनेताओं जैसे “विशिष्ट” नागरिकों को वीजा छूट मिलती थी। अब जिन पाक नागरिकों को यह वीजा मिला है, उन्हें 48 घंटे के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दे दिया गया है। भारत ने साफ कह दिया है – आतंक के साए में कोई ‘विशिष्ट’ नहीं होता।
4. पाकिस्तानी सैन्य सलाहकार अवांछित घोषित
भारत ने पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात सेना, नौसेना और वायुसेना के सलाहकारों को भारत ने अवांछित व्यक्ति घोषित कर दिया है। उन्हें एक हफ्ते में देश छोड़ने का आदेश दिया गया है। इतना ही नहीं, भारत ने अपने उच्चायोग से भी इन विभागों के अधिकारियों को वापस बुला लिया है। दोनों देशों के दूतावासों से पांच-पांच सहायक कर्मचारियों को भी हटाया जा रहा है। यह कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान की बड़ी बेइज्जती है।
5. पाक उच्चायोग में कटौती, स्टाफ घटाकर 30 किया
CCS के पांचवें और अंतिम फैसले में भारत ने पाकिस्तान उच्चायोग में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 कर दी है। यानी भारत ने पाकिस्तान के राजनयिक रुतबे को सीधा-सीधा नीचा दिखा दिया है। यह कदम स्पष्ट करता है कि अब भारत न सिर्फ सीमाओं पर, बल्कि राजनयिक मोर्चे पर भी सख्त है।
ढाई घंटे चली CCS की बैठक
लगभग ढाई घंटे तक चली सीसीएस की बैठक में पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, एनएसए अजीत डोभाल, पीएम के विशेष सचिव डॉ. शक्तिकांत दास, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका और रॉ प्रमुख रवि सिन्हा मौजूद थे। बैठक में सभी सैन्य बलों को उच्चस्तरीय सतर्कता बरतने का आदेश दिया गया। विदेश सचिव मिसरी ने बताया कि सीसीएस ने पहलगाम हमले के दोषियों और उनके आकाओं को दंडित करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा, “जैसे भारत ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण में सख्ती दिखाई, वैसे ही इन आतंकी वारदातों के दोषियों के खिलाफ कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ तीन घंटे की बैठक के बाद सीसीएस को सैन्य तैयारियों की जानकारी दी। पीएम मोदी ने बैठक में स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद और उसके पोषकों को करारा जवाब देगा और इस मामले में कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी।