उत्तराखंड सरकार राज्य की ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में लगातार नवाचार कर रही है। ‘लखपति दीदी योजना’ की सफलता के बाद अब महिलाओं को और अधिक सशक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार द्वारा ‘जलसखी योजना’ की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) को गांवों में जल प्रबंधन, बिल वितरण और जल गुणवत्ता निगरानी जैसे कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
‘लखपति दीदी’ से ‘जलसखी’ तक
‘लखपति दीदी योजना’ को वर्ष 2022 में प्रारंभ किया गया था, जिसका उद्देश्य SHG से जुड़ी महिलाओं की वार्षिक आय को ₹1 लाख से अधिक करना था। अब तक राज्य में 1.63 लाख महिलाएं इस लक्ष्य को प्राप्त कर चुकी हैं। सरकार का अगला लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष के अंत तक 3 लाख महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनाना है।
महिलाओं को कृषि, पशुपालन, सिलाई, कढ़ाई, एलपीजी वितरण, पशु चिकित्सा, बीमा सेवाएं और डिजिटल साक्षरता जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया गया है, जिससे वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें। यह योजना महिला सशक्तिकरण का एक सफल मॉडल बन चुकी है।
अब इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार ने ‘जलसखी योजना’ की शुरुआत की है। इसके अंतर्गत ग्राम स्तर पर जल प्रबंधन और पेयजल सेवाओं के कार्यों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
‘जलसखी योजना’ की विशेषताएं:
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महिला SHG को ‘नल जल मित्र’ के रूप में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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उन्हें बिल वितरण, जल गुणवत्ता की जांच, समस्या समाधान की निगरानी जैसे कार्य सौंपे जाएंगे।
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प्रत्येक बिल पर ₹10 प्रोत्साहन राशि और जल विभाग के राजस्व का एक निश्चित हिस्सा दिया जाएगा।
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उन्हें क्वालिटी टेस्टिंग किट भी दी जाएगी ताकि वे जल की गुणवत्ता की जांच कर सकें।
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योजना का उद्देश्य महिलाओं को सेवा, पारदर्शिता और आय का नया स्रोत प्रदान करना है।
यह पहल न केवल महिलाओं को नौकरी और आय का साधन देगी, बल्कि उन्हें ग्राम सेवा व्यवस्था का अभिन्न अंग बनाएगी।
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