देश में सहकारी डेयरी आंदोलन को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए सरदार पटेल सहकारी डेयरी फेडरेशन लिमिटेड (SPCDF) की स्थापना की गई है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 6 जुलाई 2025 को गुजरात के आणंद में सहकारिता मंत्रालय के गठन के 4 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित समारोह में इसका औपचारिक शुभारंभ किया और लोगो का अनावरण किया।
यह बहु-राज्यीय सहकारी संस्था देश के 22 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों में डेयरी किसानों को संगठित करने और उनकी आजीविका में सुधार लाने के लिए कार्य करेगी। इस फेडरेशन में गुजरात सहकारी दूध विपणन महासंघ (GCMMF) की 20 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी, जबकि गुजरात के जिला सहकारी दूध संघों की 60 प्रतिशत और शेष 20 प्रतिशत हिस्सेदारी 19 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों की ग्रामीण सहकारी समितियों की होगी।
SPCDF का उद्देश्य उन पांच लाख गांवों के डेयरी किसानों को सहकारी ढांचे से जोड़ना है, जो वर्तमान में किसी भी सहकारी संस्था से संबद्ध नहीं हैं और बाजार में दूध बेचते समय उचित मूल्य प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करते हैं। यह फेडरेशन अमूल मॉडल पर आधारित होगा और गुजरात के बाहर 20,000 ग्रामीण दूध सहकारी समितियों से दूध खरीदेगा।
यह संस्था जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, दादरा नगर हवेली एवं दमन दीव, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गोवा, तमिलनाडु और तेलंगाना में दूध संग्रहण और प्रसंस्करण का कार्य करेगी।
अमित शाह ने बताया कि SPCDF का गठन बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 की धारा 7 के तहत 3 जुलाई 2025 को गांधीनगर में किया गया। यह संस्था उन छोटे और अपंजीकृत डेयरी किसानों को एक मंच प्रदान करेगी, जो किसी भी राज्य-स्तरीय दूध सहकारी निकाय से संबद्ध नहीं हैं।
GCMMF के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता ने कहा कि यह फेडरेशन केवल उन ग्रामीण सहकारी समितियों से जुड़ेगा, जो मौजूदा सहकारी ढांचे से बाहर हैं, और यह किसी भी राज्य-स्तरीय डेयरी महासंघ के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करेगा। इसका मुख्य लक्ष्य डेयरी किसानों को उचित मूल्य, स्थिर बाजार पहुंच और तकनीकी सहायता प्रदान करना है। यह फेडरेशन अमूल मॉडल पर कार्य करेगी और इसमें गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन, गुजरात के बाहर दूध खरीदने वाले मिल्क यूनियन, तथा विभिन्न राज्यों की ग्रामीण सहकारी समितियां सदस्य होंगी