मध्य प्रदेश सरकार महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण और फल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना की शुरुआत करने जा रही है। “एक बगिया मां के नाम” नामक इस महत्वाकांक्षी योजना का शुभारंभ 15 अगस्त 2025 से पूरे प्रदेश में किया जाएगा।
इस योजना के तहत स्व-सहायता समूहों (SHG) से जुड़ी महिलाओं को उनकी जमीन पर फलदार पौधों का बगीचा लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। योजना का उद्देश्य न केवल फलों का उत्पादन बढ़ाना है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर रोजगार के नए अवसर भी देना है।
900 करोड़ की लागत से 30 लाख पौधे होंगे रोपित
राज्य सरकार इस योजना पर करीब 900 करोड़ रुपये खर्च करेगी। पहले चरण में 30,000 महिलाओं को शामिल किया जाएगा, जिनकी 30,000 एकड़ भूमि पर लगभग 30 लाख फलदार पौधे लगाए जाएंगे। प्रत्येक महिला के पास आधा एकड़ से एक एकड़ तक की भूमि होना जरूरी है।
अगर महिला के नाम पर जमीन नहीं है, तो वह अपने पति, पिता, ससुर या पुत्र की जमीन पर सहमति पत्र के आधार पर योजना में शामिल हो सकती है। आधा एकड़ में करीब 50 फलदार पौधे लगाए जाएंगे।
बागवानी के लिए मिलेगा अनुदान और सुविधाएं
गड्ढे खोदने और पौधे खरीदने का खर्च मनरेगा के माध्यम से सरकार वहन करेगी। तार फेंसिंग, 50 हजार लीटर की पानी टंकी, जैविक खाद और 3 साल तक रखरखाव का खर्च सरकार उठाएगी। तीन साल में प्रत्येक महिला को करीब 3 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी।
आवेदन की अंतिम तारीख 15 जुलाई
योजना के लिए आवेदन 15 जुलाई 2025 तक स्वीकार किए जाएंगे। महिला हितग्राहियों का चयन ‘एक पेड़ मां के नाम’ मोबाइल एप के माध्यम से किया जाएगा। हर ब्लॉक से 100 महिलाओं का चयन किया जाएगा।
सिपरी सॉफ्टवेयर के जरिए भूमि और पौधो का चयन
इस परियोजना में सिपरी सॉफ्टवेयर के जरिए वैज्ञानिक तरीके से भूमि, पौधों और जल स्रोत का चयन किया जाएगा। निगरानी के लिए ड्रोन और सैटेलाइट इमेजिंग का उपयोग किया जाएगा। हर 25 एकड़ पर एक “कृषि सखी” की नियुक्ति होगी, जो लाभार्थियों को तकनीकी सहायता देगी।
15 अगस्त से 15 सितंबर तक चलेगा वृक्षारोपण अभियान
“एक बगिया मां के नाम” योजना के अंतर्गत पूरे प्रदेश में 15 अगस्त से 15 सितंबर तक वृक्षारोपण अभियान चलेगा।