Trending News

 इजरायल और सीरिया के बीच हुआ युद्धविराम, अमेरिकी राजदूत टॉम बराक ने किया ऐलान, ड्रूज इलाके में थमेगी जंग, इजरायल बोला- सीरिया के ड्रूज अल्पसंख्यकों की रक्षा करना हमारा लक्ष्य         मौसम: राजस्थान में बारिश से 4 दिन में 23 लोगों की मौत, दिल्ली-NCR , यूपी, बिहार, हरियाणा-पंजाब समेत हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में आंधी-तूफान के साथ तेज बारिश का अलर्ट, बंगाल, असम, सिक्किम, अरुणाचल और मेघालय में भयंकर बारिश की संभावनाएं         यमुना एक्सप्रेस-वे पर भीषण हादसा, पिता और दो पुत्रों सहित 6 लोगों की मौत, इको गाड़ी में अज्ञात वाहन ने मारी टक्कर         अगले हफ्ते ब्रिटेन की यात्रा पर जाएंगे PM मोदी, भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते पर कर सकते हैं हस्ताक्षर, मालदीव की भी यात्रा करेंगे PM मोदी         बिहार को PM मोदी की सौगात, 7200 करोड़ रुपए से अधिक की विकास परियोजनाओं का किया उद्घाटन और शिलान्यास, 4 अमृत भारत ट्रेनों को दिखाई हरी झंडी. 40 हजार लोगों को PM आवास योजना की पहली क़िस्त की जारी, 12 हजार लोगों का कराया गया गृह प्रवेश       

इको-फिशिंग बंदरगाह: भारत की सतत मत्स्य क्रांति की नई दिशा

नई दिल्ली में आयोजित एक तकनीकी चर्चा में भारत में इको-फिशिंग बंदरगाहों के विकास और स्थायी मत्स्य क्रांति पर विशेषज्ञों ने विचार-विमर्श किया। इस पहल का उद्देश्य पर्यावरण-अनुकूल, स्मार्ट और टिकाऊ मछली बंदरगाहों के माध्यम से मछुआरों की आजीविका, निर्यात और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाना है।

Published: 12:15pm, 02 Jun 2025

भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग और फ्रांस की डेवेलपमेंट एजेंसी – एजेंस फ्रांसेइस डे डेवलपमेंट (एएफडी) के संयुक्त तत्वावधान में नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण तकनीकी चर्चा का आयोजन किया गया। इस चर्चा का मुख्य उद्देश्य “इको-फिशिंग पोर्ट्स” की अवधारणा को बढ़ावा देना था, जो आर्थिक प्रदर्शन, सामाजिक समावेश और पर्यावरण संरक्षण को संतुलित करते हुए न्यूनतम पर्यावरणीय नुकसान के साथ संचालित होने वाले बंदरगाहों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मत्स्य पालन विभाग की संयुक्त सचिव (समुद्री) नीतू कुमारी प्रसाद की अध्यक्षता में आयोजित इस वार्ता में फ्रांस, इंडोनेशिया, खाद्य और कृषि संगठन (FAO), एशियाई विकास बैंक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। चर्चा में इको-फिशिंग बंदरगाहों के निर्माण, मूल्यांकन, रखरखाव और बुनियादी ढांचे में निरंतर सुधार पर विचार-विमर्श हुआ। साथ ही, स्वस्थ पर्यावरण और सुरक्षित मछली प्रबंधन के लिए सर्वोत्तम बंदरगाह प्रथाओं को लागू करने पर बल दिया गया।

भारत की मत्स्य उपलब्धियां और चुनौतियां

11,099 किलोमीटर लंबी तटरेखा के साथ भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जो वैश्विक मछली उत्पादन का 8% हिस्सा योगदान देता है। वर्ष 2013-14 में 30,213 करोड़ रुपये के मछली निर्यात से बढ़कर 2023-24 में 60,523.89 करोड़ रुपये का निर्यात 132 देशों में दर्ज किया गया। हालांकि, अपर्याप्त बुनियादी ढांचा, बाजार संपर्क और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां इस क्षेत्र के विकास में बाधक बनी हुई हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू की हैं।

स्मार्ट और हरित बंदरगाहों की दिशा में

चर्चा के चार थीम आधारित सत्रों में स्मार्ट बुनियादी ढांचा, सतत डिजाइन, FAO की ब्लू पोर्ट पहल और इको पोर्ट्स जैसे वैश्विक मॉडल पर विचार-विमर्श हुआ। PMMSY के तहत वनकबारा (दमन और दीव), कराईकल (पुदुच्चेरी) और जाखौ (गुजरात) में 9,832.95 करोड़ रुपये की लागत से तीन स्मार्ट और एकीकृत मछली बंदरगाहों को मंजूरी दी गई है। ये बंदरगाह वर्षा जल संचयन, ऊर्जा-कुशल प्रकाश, इलेक्ट्रिक उपकरण, IoT, सेंसर नेटवर्क और डेटा एनालिटिक्स जैसी आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित होंगे। ये तकनीकें बंदरगाहों को भविष्य के लिए तैयार करने के साथ-साथ पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देंगी।

पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक सहभागिता

वार्ता में पर्यावरण-अनुकूल ब्रेकवाटर डिजाइन, स्वच्छता उपाय, हरे मछली पकड़ने वाले जहाज और समुद्री कचरा प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया गया। अपशिष्ट पृथक्करण, रीसाइक्लिंग, कम्पोस्टिंग और सीवेज उपचार संयंत्र (STP) के साथ-साथ सौर और पवन ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने की योजना प्रस्तावित की गई। मछुआरों को बाजारों और प्रसंस्करण इकाइयों से जोड़ने के लिए सह-प्रबंधन समितियों और निजी बंदरगाह मॉडल पर भी विचार-विमर्श हुआ, ताकि सामुदायिक सहभागिता को मजबूत किया जा सके।

वैश्विक सहयोग और भविष्य की दृष्टि

AFD की ब्लू इकोनॉमी में वैश्विक विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए, इस वार्ता ने सतत शासन, जलवायु-अनुकूल रणनीतियों और सामुदायिक सहभागिता पर ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया। FAO की ब्लू पोर्ट पहल और इंडोनेशिया के अनुभवों से प्रेरणा लेते हुए, भारत मत्स्य पालन बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाने के लिए तकनीकी सहयोग और क्षमता निर्माण पर जोर दे रहा है। भारत सरकार का मानना है कि इस पहल से न केवल मछुआरों की आजीविका को बेहतर होगी, बल्कि भारत वैश्विक मत्स्य व्यापार में अग्रणी बनेगा।

YuvaSahakar Desk

Recent Post

0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x