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वैभव सूर्यवंशी : विलक्षण क्रिकेट प्रतिभा का आगमन, संभाल कर रखने की जिम्मेदारी बीसीसीआई व द्रविड़ सरीखे क्रिकेट उस्तादों पर 

आईपीएल में अपनी चमक दिखाने के बाद अब वैभव के सामने सबसे बड़ी चुनौती वह अब उनके इर्द गिर्द उन्हें लेकर क्रिकेट के इतर मसलों से निपटने की होगी। वैभव जितना ज्यादा खेलेंगे तो आज नई तकनीक के दौर में उनके हर शॉट, बल्ले से हर हरकत पर दुनिया भर के गेंदबाज निगाह कर उन्हें सस्ते में आउट कारने की रणनीति बनाएंगे। ऐसे में बड़ा सवाल यह रहेगा कि इससे निपटने के लिए वैभव खुद और उनके राजस्थान रॉयल्स के राहुल द्रविड़ क्या योजना बनाते हैं।

14 बरस की उम्र में जब पढ़ाकू बच्चे किताबों और आम बच्चे कंप्यूटर गेम खेलने में मशगूल रहते हैं। 14 बरस के वैभव सूर्यवंशी में दुनिया की सबसे बड़ी और महंगी क्रिकेट लीग- इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 2025 के संस्करण में राजस्थान रॉयल्स के लिए तीसरा मैच खेलते हुए शीर्ष पर चल रही गुजरात टाइटंस के खिलाफ मात्र 35 गेंदों में शतक जड़ क्रिकेट जगत को चौंका दिया। वैभव के इस शतक को क्रिकेट के हर पारखी ने अदभुत, विलक्षण, अतुलनीय व अलौकिक जैसे विशेषण से नवाजा । भारत के पूर्व कप्तान सुनील गावसकर, ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान ग्रेग चैपल और खुशी में इसे जाहिर करने से बचने वाले उनकी राजस्थान रॉयल्स के चीफ कोच दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाज रहे राहुल द्रविड़ तक ने सराहा। बेशक अपने वैभव सूर्यवंशी ने अपने नाम के मुताबिक अपना और भारतीय क्रिकेट के ’वैभव‘ को नई बुलंदियों पर पहुंचाने की पहली सीढ़ी पार कर ली है। सच तो ये है कि वैभव सूर्यवंशी के रूप में विलक्षण क्रिकेट प्रतिभा का आगमन हो गया।

वैभव रघुवंशी समस्तीपुर के छोटे से गांव से आकर अपना ,बिहार और भारत का गौरव बढ़ाया है। वैभव सूर्यवंशी बेशक अभी मात्र 14 बरस के हैं लेकिन वह बिंदास अंदाज में कहते हैं कि मेरे जॉन में गेंद आएगी तो मैं बेशक उस पर प्रहार कर उस बाउंड्री के बाहर पहुंचाने में नहीं हिचकूंगा। यह 14 बरस के वैभव का खुद पर भरोसा और उनका आंखों और हाथों का गजब का तालमेल देख उनके अब तक के छोटे करियर में देख उन्हें बाएं हाथ का वीरू (वीरेंद्र सहवाग) कहना ही मुनासिब होगा। यह कहना गलत नहीं होगा कि वैभव सूर्यवंशी भारत और दुनिया के सर्वकालीन महानतम बल्लेबाज सचिन तेंडुलकर के नक्शेकदम पर चल पड़े हैं। सचिन 16 बरस की उम्र में विश्व क्रिकेट को चौंकाया था तो वैभव सूर्यवंशी ने मात्र 14 बरस की उम्र में ही क्रिकेट पंडितों को चौंकाना शुरू कर दिया।

वैभव सूर्यवंशी के रूप में आईपीएल में बेशक दुनिया में बल्लेबाजी की विलक्षण प्रतिभा का आगमन हो गया है। वैभव को संवारने और संभाल कर रखने की जिम्मेदारी बेशक राहुल द्रविड़ जैसे क्रिकेट उस्ताद की भूमिका अहम रहेगी।14 बरस के वैभव अपनी उम्र से और अनुभवी खिलाड़ियों से आगे हैं। नन्हें वैभव के क्रिकेट जुनून का बेशक कोई कारण जरूर होगा । उनके क्रिकेट के इस उत्साह की जितनी प्रशंसा की जाए थोड़ी है। वैभव के इतनी कम उम्र में एक सितारे के उदय के साथ, सवाल सिर्फ यह नहीं है कि वह कितनी दूर तक जा सकते है, बल्कि यह है कि क्या वह क्रिकेट के अपने इस शानदार सफर को यूं ही कितना लंबा जारी रख पाएंगे। वैभव के सामने खुद अपनी इस शानदार क्रिकेट यात्रा को जारी रखने की चुनौती रहेगी। वैभव ने जिस तरह राजस्थान रॉयल्स के आखिरी मैच में अपनी जीत की सीएसके खिलाफ जीत के बाद उसके कप्तान पूर्व भारतीय विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी के पैर छुए इससे साफ है उनके पांव जमीन पर ही है और रहेंगे।

वैभव ने आईपीएल में सात मैचों में एक शतक और एक अर्द्धशतक सहित 206. 55 के स्ट्राइक रेट से 24 छक्कों और 18 चौकों की मदद से कुल 265 रन बना दर्शा दिया कि आने वाला कल उसका है। यह भी दिलचस्प है कि वैभव के 35 गेंदों में 11 छक्कों और सात चौके की जड़े शतक की बदौलत राजस्थान रॉयल्स ने जयपुर में गुजरात को आठ विकेट से उनके 33 गेंदों पर बनाए चार छ्क्कों और चार चौकों की मदद से 57 रन की पारी से दिल्ली में चेन्नै सुपर किंग्स को छह विकेट से हरा कर नौवें और अंतिम पूर्व स्थान पर रह कर उनकी अपना अभियान समाप्त किया। राजस्थान रॉयल्स ने अपने 14 में से मात्र चार मैच जीते और इनमें से दो की जीत के नायक वैभव सूर्यवंशी रहे। वैभव को आईपीएल नीलामी में एक करोड़ दस लाख में खरीदने के फैसले पर बेशक राजस्थान रॉयल्स के चीफ कोच राहुल द्रविड़ और बल्लेबाजी कोच फख्र कर सकते हैं।

वैभव सूर्यवंशी की ताकत उनका भारत के लंबे कद के मौजूदा सीजन में सबसे ज्यादा 21 विकेट चटका सबसे कामयाब गुजरात टाइटंस के प्रसिद्ध कृष्णा, मोहम्मद सिराज साथ दुनिया के सबसे कंजूस अफगानी लेग स्पिनर राशिद खान, सीएसके तेज गेंदबाज खलील अहमद, अंशुल काम्बोज, मतीशा पथिराना और रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा जैसे अनुभवी स्पिनरों की गेंदों को जिस दक्षता और विश्वास से खेला उससे यह साफ है कि उन्हें खुद की ताकत पर भरोसा। भले ही राजस्थान किंग्स की टीम पंजाब किंग्स से सीएसके से पहले मैच में मात्र दस रन से हार गई लेकिन जिस तरह उन्होंने मात्र 15 गेंदों में छक्कों और चार चौको की मदद से 40 रन की तेज पारी खेली यह दर्शाता कि वह किसी गेंदबाज के नाम नहीं गेंद को देखकर नहीं खेलते। पजाब के खिलाफ मैच में उन्होंने जिस तरह भारत के तेज गेंदबाज अर्शदीप सिंह और दक्षिण अफ्रीका के मार्को येनसन को निशाना बनाया वह बेहद सुखद था।

आईपीएल में अपनी चमक दिखाने के बाद अब वैभव के सामने सबसे बड़ी चुनौती वह अब उनके इर्द गिर्द उन्हें लेकर क्रिकेट के इतर मसलों से निपटने की होगी। वैभव जितना ज्यादा खेलेंगे तो आज नई तकनीक के दौर में उनके हर शॉट, बल्ले से हर हरकत पर दुनिया भर के गेंदबाज निगाह कर उन्हें सस्ते में आउट कारने की रणनीति बनाएंगे। ऐसे में बड़ा सवाल यह रहेगा कि इससे निपटने के लिए वैभव खुद और उनके राजस्थान रॉयल्स के राहुल द्रविड़ क्या योजना बनाते हैं। बेशक वैभव नैसर्गिक क्रिकेट प्रतिभा वाले बल्लेबाज हैं। उन्होंने अपने गांव मे अपने पिता के मार्गदर्शन में खुद रोज घंटों मेहनत कर अपने क्रिकेट कौशल को संवारा है। वैभव को यह बात गांठ बांधनी होगी कि उन्हें आगे भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपना नाम करना है तो इसी तरह की मेहनत निरंतर जारी रखनी होगी। क्रिकेट ही नहीं जीवन में कामयाब होने के लिए नैसर्गिक प्रतिभा के साथ वेभव को भी योगी की साधना चाहिए । द्रविड़ के मार्गदर्शन में वैभव को मैच के मिजाज के मुताबिक ढाल खेलना सीखना होगा। वैभव ने बेहतरीन कवर ड्राइव के साथ, कॉपीबुक शॉट व ऑफ साइड पर दर्शनीय स्ट्रोक खेल हर किसी का दिल जीता।

द्रविड़ ने वैभव सूर्यवंशी की बाबत एकदम सही कहा, वह उन्हें बहुत ज्यादा बता कर उन्हें किसी तरह के असमंजस में डालने की बजाय उन्हें खुद अपने अंदाज में खेलने और इसका लुत्फ उठाने देना चाहते हैं।14 बरस के वैभव सूर्यवंशी अभी भी बालक ही है । जेहनी तौर पर खुद को जोड़ने में जुटेहैं।, उसके मूल्य अभी भी बन रहे हैं। उसकी पहचान अभी भी नाजुक है। उस संदर्भ में, ऐसी प्रशंसा, ऐसी अपेक्षा, ऐसी सार्वजनिक प्रशंसा, बेशक एक दोधारी तलवार बन सकती है। वैभव सूर्यवंशी बेशक 14 बरस की उम्र में एक विलक्षण क्रिकेट प्रतिभा है।

वैभव ने बालक के रूप में अभी से खुद के लिए बतौर क्रिकेटर ऐसा आभामंडल बना लिया कि प्रशंसकों ने उनसे बहुत उम्मीदें लगा ली है। वहीं अभी से वैभव पर उम्मीदों का ऐसा बोझ आ गया जिन्हें उठाने के लिए वे अभी तक तैयार नहीं हैं। खेलों का इतिहास कई सबक देता है।भारत के पास अतीत में सचिन तेंडुलकर के बालसखा विनोद काम्बली, हाल ही में पृथ्वी शॉ जैसे वैभव से बेशक कुछ ज्यादा उम्र के प्रतिभासम्पन्न खिलाड़ी रहे हैं जो अचानक राह भटक गए। ऐसे में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ( बीसीसीआई), उनकी राजस्थान रॉयल्स जैसी आईपीएल फ्रैंचाइजी, मेंटर और भारतीय मीडिया की भी यह जिम्मेदारी है कि वह वैभव सूर्यवंशी को संभाल कर रखे। बेशक वैभव सूर्यवंशी जैसे विलक्ष्ण प्रतिभासम्पन्न क्रिकेटर का हौसला बढ़ाना चाहिए पर इसके साथ यह भी जरूरी है कि उनके बेवजह के महिमामंडन से भी बचा जाए।

लेखक: सत्येन्द्र पाल सिंह, वरिष्ठ पत्रकार 

YuvaSahakar Desk

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