
मिशन का उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि, जलवायु-अनुकूल कृषि, धारणीय पद्धतियों को बढ़ावा, जैव विविधता और परंपरागत कृषि ज्ञान का संरक्षण, पोषण व खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना और उपज के लिए उचित मूल्य प्रदान करना है।
देश में किसानों की आय दोगुनी करने और कृषि क्षेत्र को आधुनिक व समृद्ध बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। 15 अप्रैल को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में आयोजित मंत्री परिषद की बैठक में ‘कृषक कल्याण मिशन’ को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है। इस मिशन के माध्यम से प्रदेश में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों का समन्वित विकास सुनिश्चित किया जाएगा।
क्या है कृषक कल्याण मिशन?
कृषक कल्याण मिशन के अंतर्गत प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने, कृषि को जलवायु-अनुकूल बनाने, टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने, जैव विविधता के संरक्षण और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने जैसे अहम उद्देश्यों को लेकर योजनाएं बनाई गई हैं। इस मिशन में कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन, सहकारिता, खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभागों की सभी योजनाओं को एक मंच पर लाया जाएगा।
किसानों की आय बढ़ाने पर विशेष ज़ोर
मिशन के तहत किसानों की आय में वृद्धि के लिए फसलों की उत्पादकता बढ़ाने, उच्च मूल्य फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने, गुणवत्तापूर्ण बीज, उर्वरक और कीटनाशकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने, और कृषि विस्तार सेवाओं को मजबूत करने जैसे कदम उठाए जाएंगे। इसके साथ ही किसानों को कम ब्याज पर ऋण देना, कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना और वैल्यू-चेन का विकास किया जाएगा।
जैविक खेती और मंडी सुधार
किसानों को गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिस (GAP) को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा, जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा, और इनके लिए मार्केट लिंकेज विकसित किए जाएंगे। मंडियों का आधुनिकीकरण किया जाएगा, पारदर्शी बोली प्रक्रिया लागू होगी और किसानों को मंडी के बाहर उपज बेचने की सुविधा भी दी जाएगी।
पशुपालन, मछली पालन और सहकारिता को दिया जाएगा बढ़ावा
कृषक कल्याण मिशन के तहत किसानों की आय में वृद्धि के लिए सहकारिता एवं मत्स्य पालन के अंतर्गत सहकारिता के माध्यम से दूध संकलन के कवरेज को 26000 ग्रामों तक ले जाया जायेगा। दूध संकलन व प्र-संस्करण की वर्तमान क्षमता को बढ़ाकर 50 लाख लीटर प्रति दिन किया जायेगा। पशुओं में स्टॉल फीडिंग एवं मिनरल मिक्चर का घरेलू विकल्प का उपयोग से निराश्रित गौवंश की संख्या में कमी लाई जाएगी। मत्स्य पालन क्षेत्र में आय वृद्धि के लिए आधुनिक तकनीकों का प्रयोग – Cage Farming तथा Biofloc, मछुआ/किसान क्रेडिट कार्ड योजनान्तर्गत शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराकर स्व-रोजगार को बढ़ावा दिया जायेगा।
जलवायु-अनुकूल कृषि और बीमा कवरेज
मिशन के तहत जलवायु अनुकूल किस्मों का विकास, फसल बीमा कवरेज को 50% तक बढ़ाना, और संकर बीजों का उपयोग आधे क्षेत्रफल तक करने जैसे उपाय किए जाएंगे। सौर ऊर्जा पंपों को अनुदान पर उपलब्ध कराकर किसानों को ऊर्जादाता बनाया जाएगा।
उन्नत कृषि यंत्रीकरण और निवेश
मध्यप्रदेश सरकार कृषि यंत्रीकरण को डेढ़ गुना और पूंजी निवेश को 75% तक बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। जैविक व प्राकृतिक खेती को राज्य के बोये गए कुल क्षेत्रफल के 10% तक और सूक्ष्म सिंचाई को 20% क्षेत्रफल तक लाने का लक्ष्य तय किया गया है।
मिशन का संचालन और निगरानी
इस मिशन की साधारण सभा के अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे, जबकि कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे। जिला स्तर पर क्रियान्वयन की ज़िम्मेदारी कलेक्टर को दी जाएगी। मिशन के सफल क्रियान्वयन से किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद जताई जा रही है।