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युवाओं को रोजगारः लीक से हटकर अवसर बनाने की कोशिश

सीधे नौकरी देने के परंपरागत तरीकों की बजाय स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के गैर-परंपरागत उपायों को केंद्र सरकार की ओर से दिया जा रहा बढ़ावा। स्टार्टअप इंडिया, इंटर्नशिप योजना, स्टैंड अप इंडिया, आत्मनिर्भर भारत अभियान, ड्रोन दीदी, लखपति दीदी, बैंक सखी जैसी दर्जनों योजनाएं युवाओं को ध्यान में रखकर बनीं। 

Published: 08:00am, 28 Jan 2025

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने कहा था, ‘भारत की प्रगति तभी हो सकती है जब भारत के ग्रामीण क्षेत्र की प्रगति होगी।’ पूर्व प्रधानमंत्री की उक्ति को चरितार्थ करने के लिए जरूरी है कि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा मौके उपलब्ध कराए जाएं क्योंकि किसी भी देश का विकास उसके युवाओं के श्रम, सामर्थ्य और नेतृत्व से ही होता है। भारत ने 2047 तक विकसित देश बनने का संकल्प लिया है। इस लक्ष्य को तब तक हासिल नहीं किया जा सकता जब तक देश की ज्यादातर युवा आबादी को रोजगार के पर्याप्त अवसर प्राप्त नहीं होंगे। हालांकि, इतनी बड़ी आबादी वाले देश में सरकार के लिए सबको नौकरी देना संभव नहीं है। इसलिए सरकार  भी रोजगार सृजन के पारंपरिक तौर-तरीकों की बजाये ऐसे गैर-परंपरागत विकल्पों में अवसर तलाश रही है जिनसे अधिक से अधिक लोगों को रोजगार के दायरे में लाया जा सके। इन प्रयासों के जरिए सरकार की यह कोशिश भी है कि वैसे जरूरतमंदों को भी रोजगार दिया जा सके जो किन्हीं  वजहों से स्वरोजगार को नहीं अपना पाते हैं।

केंद्र सरकार की इन कोशिशों से न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण भारत में भी रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर बनने लगे हैं। कृषि क्षेत्र में बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार मिला है। जब सरकार ने गोबरधन योजना के तहत देश में सैकड़ों गोबरगैस प्लांट बनाए, तो इससे बिजली तो पैदा हुई ही, हजारों नौजवानों को नौकरी भी मिली। इसी तरह, देश की सैकड़ों कृषि मंडियों को ई-नाम योजना से जोड़ने का काम शुरू किया गया, तो इसने भी नौजवानों के लिए रोजगार के अनेक नए रास्ते खोले। वहीं, पेट्रोल में एथेनॉल की ब्लेडिंग को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने के फैसले से किसानों की मदद तो हुई ही, शुगर सेक्टर में नई नौकरी के भी मौके बने। यही नहीं, लगभग 9 हजार किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के गठन से किसानों को नया बाजार बनाने में मदद मिली और ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार भी मिले।

केंद्र सरकार ने रोजगार देने के अपने तरीके में बदलाव किया है जिससे शहरी क्षेत्र के साथ-साथ  ग्रामीण भारत में भी रोजगार और स्वरोजगार के नए मौके बन रहे हैं। कृषि क्षेत्र में बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार मिला है। जब सरकार ने गोबरधन योजना के तहत देश में सैकड़ों गोबरगैस प्लांट बनाए और  देश की सैकड़ों कृषि मंडियों को ई-नाम योजना से जोड़ने का काम शुरू किया, तो इससे नौजवानों के लिए रोजगार के अनेक नए अवसर बने।

सरकार अन्न भंडारण के लिए हजारों गोदाम बनाने की दुनिया की सबसे बड़ी योजना की शुरूआत कर चुकी है। इन गोदामों का निर्माण भी बड़ी संख्या में रोजगार और स्वरोजगार के मौके लाएगा। अभी कुछ दिन पहले ही सरकार ने बीमा सखी योजना शुरू की है। सरकार का लक्ष्य देश के हर नागरिक को बीमा सुरक्षा से जोड़ने का है। इससे भी बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के मौके बनेंगे। स्टार्टअप इंडिया, इंटर्नशिप योजना, स्टैंड अप इंडिया, डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत अभियान, ड्रोन दीदी अभियान, लखपति दीदी अभियान, बैंक सखी योजना जैसी दर्जनों योजनाएं युवाओं को केंद्र में रखकर बनाई गई हैं। इनसे देश के युवक-युवतियों के लिए रोजगार के अनगिनत अवसर बन रहे हैं।

ऐसा नहीं है कि गैर परंपरागत तरीकों ने केवल ग्रामीण युवाओं के लिए ही रोजगार के अवसर पैदा किये हैं। पढ़े-लिखे नौजवानों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए भारत ने अपने स्पेस सेक्टर को निजी कंपनियों के लिए खोला और डिफेंस सेक्टर में भी मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया है। इसका सबसे ज्यादा लाभ युवाओं को ही मिला है। आज भारत का युवा नए आत्मविश्वास से भरा हुआ है। वह हर सेक्टर में अपना परचम लहरा रहा है। इसकी बदौलत ही भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन पाया है। साथ ही, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इको-सिस्टम बना है जिसमें करीब 16 लाख युवा काम कर रहे हैं। आज भारत मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन चुका है। रिन्यूबल एनर्जी से लेकर ऑर्गेनिक फार्मिंग तक, स्पेस सेक्टर से लेकर डिफेंस सेक्टर तक, टूरिज्म से लेकर वेलनेस तक, हर सेक्टर में नए अवसरों का निर्माण हो रहा है। इतना ही नहीं, स्पोर्ट्स में भी अगर कोई युवा करियर बनाना चाहे तो उसके लिए भी आधुनिक व्यवस्थाएं बन रही हैं। पहले सुविधाओं और ट्रेनिंग के अभाव में इस क्षेत्र की ओर कम ही युवा उन्मुख हो पाते थे। जो स्पोर्ट्स में आते भी थे उन्हें भविष्य की चिंता लगी रहती थी। मगर खेलो इंडिया जैसी खेल को बढ़ावा देने वाली योजनाओं से युवाओं में अब इस बात को लेकर भरोसा बढ़ा है कि अगर वह खेल में अपना करियर बनाना चाहे तो वह असफल नहीं होगा क्योंकि अब उन्हें आधुनिक प्रशिक्षण सुविधाओं और टूर्नामेंटों का समर्थन मिल रहा है।

आज भारत मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन चुका है। रिन्यूबल एनर्जी से लेकर ऑर्गेनिक फार्मिंग तक, स्पेस सेक्टर से लेकर डिफेंस सेक्टर तक, टूरिज्म से लेकर वेलनेस तक, हर सेक्टर में नए अवसरों का निर्माण हो रहा है। इतना ही नहीं, स्पोर्ट्स में भी अगर कोई युवा करियर बनाना चाहे तो उसके लिए भी आधुनिक व्यवस्थाएं बन रही हैं।

युवा प्रतिभा को निखारने की जिम्मेदारी शिक्षा व्यवस्था पर होती है। देश की प्रगति को गति देने और एक नए भारत के निर्माण के लिए युवा प्रतिभाओं को पोषित करना बहुत जरूरी है। आधुनिक शिक्षा व्यवस्था की जरूरतों को देखते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को एक आधुनिक शिक्षा प्रणाली की ओर ले जा रही है जो छात्रों को नए अवसर प्रदान करती है। पहले पाबंदियों के कारण जो शिक्षा व्यवस्था छात्रों पर बोझ बन जाती थी, नई शिक्षा नीति अब उन्हें नए विकल्प दे रही है। अटल टिंकरिंग लैब्स और आधुनिक पीएम-श्री स्कूलों के जरिये बचपन से ही इनोवेटिव माइंडसेट को गढ़ा जा रहा है। पहले ग्रामीण युवाओं, दलित, पिछड़ा, आदिवासी समाज के युवाओं के लिए भाषा एक बहुत बड़ी दीवार थी। नई नीति के तहत उनकी मातृभाषा में ही पढ़ाई और परीक्षा की नीति बनाई गई। युवाओं को अब 13 भाषाओं में भर्ती परीक्षाएं देने का विकल्प दिया गया है जिससे उनके लिए रोजगार पाना पहले से ज्यादा सुविधाजनक हो गया। बॉर्डर जिले के युवाओं को ज्यादा मौका देने के लिए सरकारी नौकरियों में उनका कोटा बढ़ा दिया गया है। बॉर्डर इलाके के युवाओं को पक्की सरकारी नौकरी देने के लिए विशेष भर्ती रैलियां की जा रही हैं।

दिसंबर 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोजगार मेले के तहत केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों और संगठन के लिए नवनियुक्त 71,000 से अधिक लोगों को नियुक्ति पत्र वितरित किए। इनमें से 50,000 से अधिक युवाओं को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल में नौकरी मिली है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘पिछले डेढ़ वर्ष में सरकार ने विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में 10 लाख स्थायी सरकारी नौकरियां प्रदान की है। ये नौकरियां पूरी पारदर्शिता के साथ दी गई हैं।’ हालांकि, सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि अभी भी केंद्र में करीब 10 लाख पद खाली पड़े हैं। अगर इन पदों पर जल्द भर्तियां की जाए, तो न सिर्फ युवाओं को इसका लाभ मिलेगा, बल्कि सरकार के लिए भी रोजगार की चुनौतियों से निपटने में आसानी होगी। सरकार की चिंता पेंशन के बढ़ते बोझ को लेकर भी है जो खजाने पर ज्यादा दबाव डाल रही है। इसकी वजह से विकास की अन्य योजनाएं प्रभावित होती हैं। यह भी एक बड़ा कारण है जिसे ध्यान में रखते हुए सरकार स्वरोजगार और रोजगार के गैर-परंपरागत तरीके अपनाने को बढ़ावा दे रही है।

स्टार्टअप्स ने पैदा की 16 लाख नौकरियां

उद्यमिता को बढ़ावा देने और ज्यादा से ज्यादा युवा उद्यमी बनाने के लिए शुरू की गई स्टार्टअप इंडिया योजना की बदौलत जॉब मार्केट में नए अवसर बढ़ते जा रहे हैं। इससे न सिर्फ देश के युवा सफल उद्यमी बन रहे हैं, बल्कि रोजगार सृजन में भी ये अहम भूमिका निभा रहे हैं। ये रोजगार के प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहे हैं। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, स्टार्टअप की बदौलत देश में 16 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है।

2016 में अपनी शुरूआत के बाद से डीपीआईआईटी द्वारा संचालित स्टार्टअप इंडिया पहल भारत में उद्यमिता को बढ़ावा देने में गेम चेंजर साबित हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार, युवा उद्यमी नए विचार, तकनीकी, इंटरनेट और उपलब्ध मानव संसाधनों की सहायता से सफल व्यापारी साबित हो रहे हैं। फिनटेक, एडुटेक, हेल्थ टेक और ई कॉमर्स के क्षेत्र में स्टार्टअप का प्रचलन बढ़ा है। देश में इसके लिए उपलब्ध इकोसिस्टम, वैश्विक पहुंच और सरकारी वित्तीय सहायता आदि की वजह से स्टार्टअप को सफल होने का बेहतर माहौल मिला है। यही वजह है कि भारत आज विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बन गया है, जहां 100 से अधिक यूनिकॉर्न पंजीकृत हुए हैं। यूनिकॉर्न का मतलब ऐसे स्टार्टअप से है जिसका वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर हो गया हो या इसे पार कर गया हो।

डीपीआईआईटी के अनुसार, भारत के सिलिकॉन वैली (बेंगलुरु) से शुरू हुए स्टार्टअप ने वैश्विक स्तर पर अपनी विशेष पहचान बनाई है। 6 जनवरी, 2025 तक डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स की संख्या 1,58,203 हो गई। इनमें 73 हजार से ज्यादा ऐसे स्टार्टअप्स हैं जिनके बोर्ड में कम से कम एक महिला निदेशक हैं। यह नवाचार और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।

आंकड़ों की जुबानी

रोजगार के मोर्चे पर चुनौतियां लगातार बनी हुई हैं। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के तहत अक्टूबर 2024 में शुद्ध औपचारिक रोजगार सृजन घटकर पांच महीने के निचले स्तर 13.4 लाख पर आ गया। यह अक्टूबर 2023 की तुलना में 11.8 प्रतिशत और सितंबर 2024 की तुलना में 28.7 प्रतिशत कम है। सितंबर 2024 में 18.8 लाख अंशधारक ईपीएफओ से जुड़े थे। यह आंकड़ा ज्यादा चिंताजनक इसलिए भी है कि अक्टूबर का महीना त्यौहारी सीजन की शुरूआत माना जाता है जिस दौरान आमतौर पर मांग बढ़ने से भर्तियां बढ़ने की उम्मीद रहती है। मगर पिछले अक्टूबर में ऐसा नहीं हुआ। नई भर्तियां बढ़ने की बजाय घट गई। आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल महीने में ईपीएफओ में जुड़े नए शुद्ध अंशधारकों की संख्या 12.8 लाख थी जो मई में 13.5 लाख, जून में 13.9 लाख, जुलाई में 16.1 लाख और अगस्त में 15.8 लाख रही।

संकट में नए अवसरों की तलाश

वैश्विक बाजार में प्राकृतिक हीरे की मांग में आई कमी के चलते सूरत के हीरा कारीगर अब सोने के गहने बनाने में हाथ आजमा रहे हैं। हीरा काटने और पॉलिश करने वाली सूरत की इकाइयां मौजूदा कारोबारी अनिश्चितता से निपटने के लिए आभूषण निर्माण में विविधता ला रही हैं। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद (जीजेईपीसी) के अध्यक्ष विपुल शाह के अनुसार, ‘सूरत की हीरा इकाइयों ने धीरे-धीरे आभूषण निर्माण में जॉब वर्क करना शुरू कर दिया है। भारत और विदेशों दोनों में आभूषणों की मांग बढ़ रही है। इसलिए वे इस अवसर का लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं।’

सूरत के हीरा उद्योग में वर्तमान में 5,000 इकाइयां हीरा कटाई और पॉलिश का काम करती हैं जिनमें लगभग 8,00,000 कर्मचारी कार्यरत हैं। मांग में कमी के चलते इनके सामने रोजगार का संकट है। हीरों की मांग में जल्द सुधार नहीं होने की आशंका के चलते ही जीजेईपीसी ने लगभग छह महीने पहले आभूषण बनाने का कोर्स शुरू किया था। हजारों हीरा कारीगर यह कोर्स कर सोने के गहने बना रहे हैं। वे ज्यादातर जड़ाऊ आभूषण बना रहे हैं। हीरा उद्योग के जानकारों का कहना है कि सूरत की 500 से ज्यादा इकाइयों ने हीरा कटाई और पॉलिशिंग के अलावा आभूषण निर्माण का काम भी शुरू कर दिया है। जीजेईपीसी के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-नवंबर 2024 के दौरान कटे और पॉलिश किए हुए हीरे के निर्यात में 19 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि सामान्य सोने के आभूषणों में 2.48 प्रतिशत और जड़ाऊ आभूषणों के निर्यात में 14.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

YuvaSahakar Team

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