भारत को विकसित बनाने में सहकारी समितियों का अहम योगदान होगा। सहकार से समृद्धि के संकल्प को पूरा करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में कई अहम पहलें की गई हैं। सहकारिता देश में महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में भी अहम भूमिका निभा रही हैं। इसी क्रम में ‘विकसित भारत में महिला नेतृत्व वाली सहकारी समितियों के योगदान’ विषय पर गुजरात स्टेट कोऑपरेटिव यूनियन द्वारा राज्य स्तरीय सेमिनार का आयोजन अहमदाबाद में किया गया। अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के मौके पर आयोजित इस सेमिनार के माध्यम से सहकारिता में महिलाओं की भूमिका और सहयोग का दायरा बढ़ाने और सहकारिता के नए क्षेत्रों में प्रयोग किए जाने पर चर्चा की गई।
गुजरात स्टेट कोऑपरेटिव यूनियन के अध्यक्ष जीएच आमीन ने सेमिनार की अध्यक्षता की, जबकि भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) के अध्यक्ष और इफको के चेयरमैन दिलीप संघाणी ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस मौके पर संघाणी ने कहा कि कहा कि सहयोग हमारी भारतीय संस्कृति का आधार है। अमूल जैसी सफल सहकारी संस्थाएं सहकारिता के समाज पर पड़ने वाले प्रभावों को दर्शाती है। सहकारिता क्षेत्र रोजगार के अनगित अवसर उपलब्ध कराने में सहायक है। उन्होंने कहा कि सहकारिता में पहले महिलाओं की भागीदारी बहुत सीमित थी। मगर अब सरकार द्वारा कई योजनाओं की शुरुआत की गई है ताकि उनकी भागीदारी बढ़े। महिलाओं को इन योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए। महिलाओं के नेतृत्व वाली सहकारी समितियां सहकार से समृद्धि के संकल्प के तहत आर्थिक विकास और आत्म निर्भरता का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं।
अपने संबोधन में जीएच आमीन ने लैंगिक समानता और आर्थिक स्वतंत्रता के लिए सहकारिता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देशभर की 8.5 लाख सहकारी समितियों में अभी केवल 25,385 सहकारी समितियां ही महिलाओं द्वारा संचालित की जा रही हैं। उन्होंने महिलाओं से सहकारिता में भागीदारी बढ़ाने और नेतृत्व की भूमिका में शामिल होने पर जोर दिया। आमीन ने कहा कि वैश्विक आर्थिक मंदी (2008-2010) के दौरान जहां कॉरपोरेट नुकसान झेल रहे थे, वहीं सहकारी समितियां लाभ कमा रही थीं। उन्होंने इस स्थिरता को सहकारी समितियों की वैश्विक मान्यता से जोड़ा और 2012 और 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित करने के संयुक्त राष्ट्र के निर्णय की सराहना की।
आमीन ने कहा कि सहकारिता में सक्रिय भागीदारी से महिलाएं भारत को विकसित बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकती हैं। जो महिलाएं सहकारिता के क्षेत्र में पहले से काम कर रही हैं वह सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए अन्य महिलाओं को इस क्षेत्र में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकती हैं। एनसीयूआई की राष्ट्रीय कोऑपरेटिव कमेटी फॉर एम्पॉवरमेंट ऑफ वुमेन की निदेशक आरती बिसारियां ने इस अवसर पर सामाजिक समरसता विषय पर लिखी एक पुस्तक का विमोचन किया और दोहराया कि सहकारिता महिलाओं के आत्म-सम्मान और सतत विकास का प्रमुख माध्यम है। उन्होंने गुजरात के आर्थिक विकास में महिलाओं द्वारा संचालित सहकारी समितियों के योगदान को प्रमुख बताया और कहा कि सहकारिता के गुजरात में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां महिलाएं सहकारी समितियों का नेतृत्व कर रही हैं।
सेमिनार में विशेषज्ञ वक्ताओं ने सहकारिता से जुड़े विभिन्न विषयों पर जानकारी दी। डॉ. भूमिबेन पंड्या (महिलाओं में कौशल विकास), अनीता कपूर (महिला नेतृत्व), दृष्टिबेन ओझा (सरकारी योजनाएं) और वर्षाबेन मोरे (डेयरी उद्योग के माध्यम से आर्थिक विकास) ने अपने विचार रखे। इस कार्यक्रम में विभिन्न सहकारी समितियों की लगभग 1,300 महिला सदस्यों ने भाग लिया।