गेहूं कटाई का सीजन शुरू हो गया है और अगले महीने से नई फसल बाजार में आने लगेगी। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग सट्टेबाजी को रोकने, कीमतों को नियंत्रित करने और देश में आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं के स्टॉक की स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है। इसी कड़ी में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के व्यापारियों/थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़े रिटेल चेन और प्रसंस्करणकर्ताओं को 1 अप्रैल से प्रत्येक शुक्रवार को गेहूं स्टॉक की जानकारी देने का निर्देश दिया गया है। यह निर्देश अगले आदेश तक प्रभावी होगा। इससे पहले खुले बाजार में गेहूं की कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए सरकार ने स्टॉक लिमिट लगाया था जिसकी अवधि 31 मार्च को समाप्त हो रही है।
नई फसल की आवक को देखते हुए ताजा आदेश में स्टॉक लिमिट की अवधि को तो नहीं बढ़ाया गया है लेकिन स्टॉक की घोषणा करना अनिवार्य कर दिया गया है। उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, सभी गेहूं भंडारण संस्थाओं को गेहूं स्टॉक सीमा पोर्टल evegoils.nic.in पर पंजीकरण कराना होगा तथा प्रत्येक शुक्रवार को स्टॉक की स्थिति को अपडेट करना होगा। कोई भी संस्था जो पोर्टल पर पंजीकृत नहीं है, वह स्वयं को पंजीकृत कर सकती है और प्रत्येक शुक्रवार को गेहूं के स्टॉक का खुलासा करना शुरू कर सकती है। पंजीकरण नहीं कराने या स्टॉक की जानकारी नहीं देने वालों के विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 6 और 7 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
गेहूं (Wheat) की कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए फरवरी 2025 में केंद्र सरकार ने स्टॉक लिमिट में भारी कटौती कर दी थी। बड़े व्यापारी और होलसेलर के लिए 31 मार्च, 2025 तक 250 टन से ज्यादा गेहूं का स्टॉक रखना प्रतिबंधित कर दिया गया था। जबकि रिटेलर 4 टन, बड़े रिटेल चेन के प्रत्येक आउटलेट 4 टन तक ही स्टॉक रख सकते हैं। जबकि प्रोसेसर जिनमें आटा मिलर्स, ब्रेड और गेहूं के अन्य उत्पाद बनाने वाली कंपनियां शामिल हैं, मार्च 2025 तक अपनी मासिक स्थापित क्षमता का 50 प्रतिशत तक ही स्टॉक रख सकेंगी।