हरियाणा में पिछले 10 वर्षों में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं की तस्वीर काफी बदल गई है। आज ये महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। वे अपनी मेहनत से बड़े मुकाम हासिल कर रही हैं। कुछ महिलाएं घर से ही काम करके आत्मनिर्भर बन रही हैं। कल तक जो महिलाएं घरों से बाहर नहीं निकल पाती थीं, आज वो लाखों कमा रही हैं। हरियाणा राज्य आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी प्रदेश की 57 हजार से अधिक महिलाएं लखपति दीदी बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। इसे लेकर पिछले महीने फरीदाबाद में फ्लिपकार्ट और पॉलिसी वाच इंडिया फाउंडेशन की ओर से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें महिलाओं को डिजिटल सक्षम बनाने की पहल की गई।
केंद्र सरकार भी स्वयं सहायता समूहों की मदद के लिए आगे आई है। केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल गूजर ने बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहा कि सरकार की तरफ से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए एक नया ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया गया है जो उनकी कमाई का हिस्सा बनेगा। इस कार्यशाला के माध्यम से संगठन से जुड़ी महिलाओं को सशक्त, स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संकल्प है कि जब तक देश की महिलाएं सशक्त, आत्मनिर्भर और स्वावलंबी नहीं होंगी तब तक देश सशक्त और आत्मनिर्भर नहीं बन सकता। इसलिए उन्होंने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए अनेक योजनाएं शुरू की हैं।
वर्ष 2014 में देश की केवल एक करोड़ महिलाएं ही स्वयं सहायता समूह से जुड़ी थी। आज इनकी संख्या 10 करोड़ से ऊपर पहुंच चुकी है। इस दौरान स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को बैंकों से 9 लाख करोड़ रुपये का सस्ता लोन दिया गया है जिसने उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया है। पहले इन समूहों को 10 लाख रुपये तक का बिना गारंटी के लोन मिलता था लेकिन अब इसे बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है। इसके पीछे का मकसद महिलाओं को लखपति दीदी बनाना है। सरकार ने अगले पांच वर्ष 3 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा है। सरकार मानती है कि महिलाएं सशक्त होंगी तो परिवार सशक्त होगा और परिवार सशक्त होगा तो समाज और देश भी सशक्त बनेगा। देश की जितनी अधिक महिलाएं सशक्त और लखपति दीदी बनेंगी उतनी ही तेजी से भारत विकसित देश के लक्ष्य की ओर बढ़ेगा।
जो महिलाएं कभी घर से बाहर नहीं निकलती थी, चूल्हा चौका तक ही सीमित रहती थी आज वे महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर न केवल आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक रूप से भी उन्हें मजबूती मिली हैं। फरीदाबाद में साढ़े बारह हजार से अधिक महिलाएं समूह से जुड़कर विभिन्न तरह के प्रशिक्षण लेकर अपना कारोबार चला रही हैं। इनमें गांव नरियाला की गीता देवी, गांव फतेहपुर बिल्लौच की प्रीति, तिगांव की राम सखी, गांव जाजरू की रेनू, जुन्हेड़ा गांव की भावना और तिगांव की पूनम शर्मा की कहानी अपने आप में उदाहरण है।
नरियाला की गीता देवी ने बताया कि पहले वह भैंस पालती थी और खेती का काम करती थी। उससे जैसे तैसे गुजारा हो पाता था। कभी घर से बाहर नहीं निकलती थी। आज वह महिलाओं को ट्रेनिंग देकर अच्छा पैसा कमा रही हैं। इसके लिए उन्हें हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सम्मानित भी किया है। गीता देवी के मुताबिक, उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उसे मुख्यमंत्री के हाथों सम्मान मिलेगा, लेकिन जब सोनीपत में मुख्यमंत्री से सम्मान मिला तो खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा।
स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों को देश के कोने-कोने में पहुंचाने के लिए उनका ई-कॉमर्स से जुड़ना जरूरी है क्योंकि आज दुनिया बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है और टेक्नोलॉजी का युग है। इस कार्यशाला में महिलाओं को इससे जुड़ी जानकारी दी गई। समूह से जुड़ी महिलाएं जो उत्पाद बनाएंगी उसे दुनिया के बाजार में बेचने में फ्लिपकार्ट मदद करेगा। इस कार्यक्रम में फरीदाबाद के विभिन्न ब्लॉकों से 250 से अधिक स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने शिरकत की।
लेखक: दयाराम वशिष्ठ, वरिष्ठ पत्रकार