सहकारी बैंकों में पारदर्शिता बढ़ाने और उन्हें मजबूत करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक लगातार ऐसे बैंकों के खिलाफ सख्ती बरत रहा है जो नियमों का उल्लंघन कर गड़बड़ी कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में आरबीआई ने 270 सहकारी बैंकों के खिलाफ कार्रवाई की है। इन कार्रवाइयों में जुर्माना लगाने सहित उनका लाइसेंस रद्द करना भी शामिल है।
RBI ने अपनी निगरानी प्रणाली को सख्त करते हुए पिछले वित्त वर्ष में सहकारी बैंकों पर कड़ी कार्रवाई की है। विभिन्न रिपोर्ट्स और आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान RBI ने 11 सहकारी बैंकों के लाइसेंस रद्द किए हैं, जबकि 4 राज्य सहकारी बैंकों (StCBs) और 51 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (DCCBs) पर विभिन्न वित्तीय और नियामकीय उल्लंघनों के चलते जुर्माना लगाया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य सहकारी बैंकों में ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और मणिपुर के बैंक शामिल हैं। इस दौरान शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) पर सबसे अधिक सख्ती बरती गई। बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन करने के चलते उनके खिलाफ कुल 215 बार दंडात्मक कार्रवाई की गई। हिमाचल प्रदेश के जोगिंद्र केंद्रीय सहकारी बैंक पर दो बार जुर्माना लगाया गया। इतना ही नहीं, RBI ने 7 UCBs को ऑल-इन्क्लूसिव डायरेक्शंस (AID) के तहत रखते हुए उनकी मुख्य वित्तीय गतिविधियों पर रोक लगा दी, जिसमें जमा-निकासी जैसी सेवाएं शामिल हैं। प्रदर्शन में सुधार के चलते 4 बैंकों को AID से बाहर किया गया, लेकिन 31 मार्च 2025 तक कुल 23 UCBs AID के तहत बने रहे।
राज्यों की बात करें तो महाराष्ट्र में सबसे अधिक 9 सहकारी बैंक, कर्नाटक में 5 और उत्तर प्रदेश में 4 बैंक AID की सूची में थे। राजस्थान, पंजाब और पश्चिम बंगाल में एक-एक बैंक इस दायरे में रहा। महाराष्ट्र और राजस्थान के कुछ बैंकों पर पिछले छह सालों से पाबंदी लागू है, जिससे जमाकर्ताओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
कर्नाटक का शिम्शा सहकारी बैंक हाईकोर्ट के स्टे ऑर्डर के कारण अभी भी संचालित है, जबकि RBI ने उसका लाइसेंस रद्द कर दिया था। राज्य सहकारी बैंकों में ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और मणिपुर के बैंकों पर निगरानी व अनुपालन में चूक के चलते जुर्माना लगाया गया। हिमाचल का जोगिंद्रा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक दो बार दंडित हुआ।
जिला केंद्रीय सहकारी बैंक की बात करें तो बिहार और कर्नाटक में सबसे ज्यादा सात-सात बैंकों पर जुर्माना लगाया गया। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में पाँच-पाँच बैंकों को दंडित किया गया। कुल मिलाकर ग्रामीण सहकारी बैंकों पर 142.45 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। सबसे बड़ा जुर्माना हिमाचल के कांगड़ा DCCB पर 25 लाख रुपये का लगाया गया क्योंकि वह अनुमोदित क्षेत्र के बाहर कार्य कर रहा था।
शहरी सहकारी बैंकों पर आरबीआई का डंडा लगातार चलता रहा। अप्रैल 2024 में 33, नवंबर में 29 और दिसंबर में 28 बैंकों पर आरबीआई ने जुर्माना लगाया। सबसे बड़ी कार्रवाई जुलाई 2024 में मेहसाणा अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक पर 5.93 करोड़ रुपये का जुर्माना था। गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) की गलत कैटेगरी, साइबर सुरक्षा की अनदेखी और निदेशक से जुड़ी संस्थाओं को दान देने की वजह से इस बैंक पर जुर्माना लगाया गया था।
अब तक 7 UCBs के लाइसेंस रद्द और 2 बैंकों का विलय अन्य संस्थाओं में किया जा चुका है। RBI की यह सख्ती स्पष्ट संदेश देती है कि पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और नियमों का पालन ही सहकारी बैंकिंग की मजबूती और उपभोक्ता विश्वास की नींव हैं।