मध्यप्रदेश के दुग्ध उद्योग को नई दिशा देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से इंदौर में 30 लाख टन क्षमता वाले अत्याधुनिक दुग्ध चूर्ण संयंत्र का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में वर्चुअली भाग लिया और इस पहल को प्रदेश के दुग्ध उत्पादक किसानों के लिए मील का पत्थर बताया।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस संयंत्र को इंदौर और ग्वालियर दुग्ध संघों को पैक्स से जोड़ने वाली ऐतिहासिक पहल का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि इससे स्थानीय दुग्ध उत्पादक किसानों को सीधा बाजार मिलेगा और उनका दूध बेहतर मूल्य पर बिक सकेगा। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर किसानों की मेहनत को सम्मान देने वाली केंद्र सरकार की योजनाओं का भी उल्लेख किया और कहा कि यह संयंत्र “आत्मनिर्भर भारत” के विजन को सशक्त करेगा।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री धन-ने धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन जैसी योजनाओं से किसानों की उत्पादकता और आमदनी दोनों में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि इंदौर का यह संयंत्र दुग्ध उद्योग को नई ऊंचाई देने के साथ-साथ प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ाएगा।
यह संयंत्र 76.50 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित हुआ है, जिसमें एनपीडीडी कॉम्पोनेंट बी और जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) ने 29 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की। शेष राशि इंदौर सहकारी दुग्ध संघ द्वारा वहन की गई। इस प्रकार यह परियोजना सरकारी सहयोग और स्थानीय संघ की सहभागिता का उत्कृष्ट उदाहरण बन गई है।
संयंत्र में प्रतिदिन लगभग 3 लाख लीटर दूध का प्रसंस्करण कर 30 मीट्रिक टन दूध पाउडर तैयार किया जाएगा। इसमें होल मिल्क पाउडर, स्किम मिल्क पाउडर और डेयरी व्हाइटनर का उत्पादन होगा। यह संयंत्र न केवल किसानों की आय में वृद्धि करेगा बल्कि दुग्ध उत्पादकों, उद्यमियों और उद्योगपतियों के लिए नए व्यावसायिक अवसर भी सृजित करेगा।
इस परियोजना से क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। स्थानीय युवाओं को दुग्ध उद्योग से जुड़ने का अवसर मिलेगा, जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी दिल्ली से वर्चुअली संबोधित किया। उन्होंने इस संयंत्र को ‘दुग्ध आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसान, सहकारी संघों के प्रतिनिधि, उद्योगपति और अधिकारी उपस्थित रहे।