सहकारिता क्षेत्र को देश की आर्थिक समृद्धि का आधार बनाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से दर्जनों पहल की गई है। पिछले महीने ही अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (आईसीए) जो विश्व की सहकारी संस्थाओं की शीर्ष निकाय है, की आम सभा और वैश्विक सहकारी सम्मेलन भारत में पहली बार आयोजित की गई जिसमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 की औपचारिक शुरुआत की गई। इन मुद्दों पर केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल सिंह गूजर से एसपी सिंह और अभिषेक राजा ने विस्तृत बातचीत की। पेश हैं उनके मुख्य अंशः
कोऑपरेटिव सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा जो बदलाव किए जा रहे हैं उसमें युवाओं के लिए क्या संभावनाएं हैं?
केंद्र सरकार द्वारा सहकारिता क्षेत्र में किए गए सुधार और पहलों ने युवाओं के लिए रोजगार, उद्यमिता, कौशल विकास और नेतृत्व के कई नए अवसर खोले हैं। इन सुधारों का उद्देश्य सहकारी समितियों को मजबूत, आधुनिक और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सके। सहकारिता क्षेत्र में विविध व्यावसायिक गतिविधियों को शामिल किया जा रहा है, जैसे पैक्स द्वारा कॉमन सर्विस सेंटर्स (सीएससी), प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र, प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र, पेट्रोल और डीजल पंप, एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटरशिप आदि का संचालन। ये गतिविधियां न केवल युवाओं के लिए प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न कर रही हैं, बल्कि उन्हें स्थानीय स्तर पर आत्मनिर्भर बनने का मार्ग भी प्रदान कर रही हैं।
डिजिटलीकरण के प्रयासों से सहकारी समितियों का कार्यक्षेत्र और अधिक आधुनिक हो गया है। पैक्स कम्प्यूटरीकरण परियोजना के तहत 40,000 से अधिक पैक्स को ईआरपी आधारित सॉफ्टवेयर पर लाया गया है। इससे पैक्स की पारदर्शिता और कार्यक्षमता बढ़ी है जिससे किसानों के बीच विश्वास में वृद्धि हुई है। सहकारिता क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना के पायलट प्रोजेक्ट के तहत 11 राज्यों की 11 पैक्स में विकेन्द्रीकृत गोदामों का निर्माण पूर्ण हो गया है। इस योजना के माध्यम से अनाज के नुकसान को कम करने और किसानों को उनकी फसलों का बेहतर मूल्य दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं। सहकारिता क्षेत्र में किए जा रहे बदलाव युवाओं को तकनीकी उन्नति, नीति निर्माण और निगरानी में भाग लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। ये प्रयास न केवल ग्रामीण युवाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद कर रहे हैं, बल्कि उन्हें रोजगार के नए और स्थायी साधन प्रदान कर रहे हैं।
कोऑपरेटिव सेक्टर में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए क्या-क्या किया जा रहा है?
केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय और इसके विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों और संगठनों जैसे नेशनल काउंसिल ऑफ कोऑपरेटिव ट्रेनिंग (NCCT), वैकुंठ मेहता नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कोऑपरेटिव मैनेजमेंट (VAMNICOM), लक्ष्मणराव इनामदार नेशनल एकेडमी फॉर कोऑपरेटिव रिसर्च एंड डवलपमेंट (LINAC) आदि के माध्यम से सहकारी सिद्धांतों और उनके लाभों को युवाओं तक पहुंचाने के लिए सहकारी प्रबंधन, वित्तीय प्रबंधन और अन्य कौशल विकास से संबंधित शिक्षण, प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन संस्थानों के माध्यम से हर वर्ष लगभग 6 लाख प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके साथ ही नई बहुउद्देशीय पैक्स, डेयरी और मत्स्य पालन सहकारी समितियों की स्थापना से युवाओं को कृषि, मत्स्य पालन, डेयरी, प्रसंस्करण और कृषि मशीनरी आदि जैसे कार्यकलापों के साथ जुडने के अवसर प्राप्त हो रहे हैं।
कौशल विकास के क्षेत्र में भी सहकारिता क्षेत्र ने युवाओं के लिए कई नए अवसर पैदा किए हैं। पैक्स को कॉमन सर्विस सेंटर्स (सीएससी) के रूप में विकसित किया जा रहा है जो युवाओं को डिजिटल सेवाओं और ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का उपयोग करने का मौका दे रहा है। प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों के उन्नयन से युवाओं को कृषि परामर्श, मृदा और बीज परीक्षण इत्यादि में विशेषज्ञता हासिल करने का अवसर मिल रहा है। इसके साथ ही ग्रामीण पाइप्ड जल आपूर्ति योजना (जल जीवन मिशन) और उचित मूल्य की दुकानों जैसी सामाजिक पहलों में भागीदारी करके युवा न केवल समाज सेवा कर सकते हैं, बल्कि इसके माध्यम से आय भी अर्जित कर सकते हैं।
सहकारी क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए जो बदलाव किए गए हैं उनके व्यापक परिणाम जमीनी स्तर पर देखने को नहीं मिले हैं। इसमें कितना समय और लगेगा ताकि सहकार से समृद्धि की परिकल्पना साकार हो सके?
वर्ष 2021 में सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद से सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने और इसे ग्रामीण समृद्धि का आधार बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें की गई हैं। इन पहलों से ग्रामीणों की सभी जरूरतें गांव और पंचायत स्तर पर ही पूरी हो रही हैं तथा पैक्स की आय में भी वृद्धि हो रही है। परंपरागत रूप से पैक्स पहले केवल ऋण देने तक सीमित थे। वे अब बहुउद्देशीय आर्थिक इकाइयों में परिवर्तित हो रहे हैं। पैक्स के सदस्यों को नई व्यावसायिक गतिविधियों जैसे डिजिटल सेवाएं, आधुनिक रिटेल और कृषि परीक्षण में प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके अलावा, गोदामों और प्रसंस्करण इकाइयों जैसी परियोजनाओं के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण में समय लगता है। सहकारिता क्षेत्र को सहायता आधारित संरचना से आत्मनिर्भर और व्यावसायिक मॉडल में बदलने में भी सांस्कृतिक और संस्थागत बदलाव की आवश्यकता है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए सहकारिता के माध्यम से समृद्धि की दृष्टि को पूरी तरह साकार करना एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है। यह एक चुनौतीपूर्ण यात्रा है, लेकिन सहकारिता क्षेत्र में किए गए बदलावों की नींव मजबूत है और प्रगति लगातार हो रही है।
भारत मे पहली बार आयोजित हुए इंटरनेशनल कोऑपरेटिव अलायंस (आईसीए) के ग्लोबल कोऑपरेटिव कॉन्फ्रेंस से भारतीय सहकारी आंदोलन को कितनी मजबूती मिलेगी?
भारत में सहकारिता का इतिहास 100 वर्षों से भी अधिक पुराना है। आईसीए की आम सभा एवं वैश्विक सम्मेलन का आयोजन आईसीए के 130 वर्षों के इतिहास में पहली बार भारत में (25-30 नवंबर 2024) आयोजित हुआ है। यह आयोजन “सहकार से समृद्धि” की परिकल्पना को भारत ही नहीं, विश्व स्तर पर पहुंचाने में निश्चित रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस सम्मेलन में सहकारिता से जुड़े उत्पादों और नवीनतम कृषि प्रौद्योगिकी के लिए प्रदर्शनी लगाई गई। इसमें देश के सहकारी विक्रेताओं को दुनिया को अपना हुनर दिखाने का सुनहरा मौका मिला। यह सम्मेलन नए संबंध बनाने, विभित्र संस्कृतियों में सहकारिता का अनुभव करने और ठोस योजनाओं को साथ ले जाने का माध्यम बना।
अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 की औपचारिक शुरुआत हो चुकी है। इससे भारतीय सहकारिता क्षेत्र को क्या दिशा मिलेगी?
सहकारिता ही एक मात्र माध्यम है जिससे समाज के सभी वर्गों का आर्थिक विकास संभव है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में घोषित करने का निर्णय वैश्विक स्तर पर सहकारिता के महत्व को दर्शाता है। सहकारिता मंत्रालय वैश्विक स्तर पर सहकारिता के लाभों को उजागर करने, सदस्य देशों के बीच अनुभव साझा करने और सहकारी मॉडल को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। इस वर्ष के दौरान जागरूकता बढ़ेगी और सहकारिता क्षेत्र में नई नीतियों और कार्यक्रमों को विकसित करने का अवसर मिलेगा। अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के दौरान मंत्रालय सभी हित धारकों के समन्वय से देश-विदेश में सालभर विभिन्न गतिविधियां आयोजित करने के लिए एक कार्य योजना तैयार कर रहा है जिसमें राज्य, जिला एवं ग्रामीण स्तर पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम, गोष्ठियां और सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। देश की सभी सहकारी समितियों में सहकारिता विषय एवं सहकारिता क्षेत्र के सशक्तिकरण पर परिचर्चा की जाएगी। युवाओं को सहकारिता से जोड़ने के लिए भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। सहकारिता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष सहायक होगा।