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PACS का कारोबारी विस्तार, ग्रामीण समृद्धि का आधार

देश के जिन ग्राम पंचायतों में अभी तक प्राथमिक सहकारी समितियां नहीं खुली है, उन्हें सहकारिता के दायरे में लाने का देशव्यापी अभियान चलाया जा रहा है। राष्ट्रीय डाटाबेस के माध्यम से ऐसी सभी ग्राम पंचायतों को चिन्हित करने का काम पूरा कर लिया गया है। देश की कुल ढाई लाख ग्राम पंचायतों में से मात्र एक लाख से कुछ अधिक ग्राम पंचायतें ही सहकारिता के दायरे में आती हैं।

Published: 10:00am, 25 Jan 2025

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए प्राथमिक सहकारी समितियों (पैक्स) को 30 से ज्यादा कारोबार करने को मंजूरी दी गई है। इससे न सिर्फ पैक्स आर्थिक रूप से व्यवहारिक बन सकेंगे, बल्कि गांव के लोगों को अपनी जरूरत की चीजें गांव में ही उपलब्ध हो सकेगी। इससे गांव का पैसा गांव में ही रहेगा जिससे ग्रामीण विकास और ग्रामीणों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी।

हर गांव में खुलेंगी सहकारी समितियां

देश के जिन ग्राम पंचायतों में अभी तक प्राथमिक सहकारी समितियां नहीं खुली है, उन्हें सहकारिता के दायरे में लाने का देशव्यापी अभियान चलाया जा रहा है। राष्ट्रीय डाटाबेस के माध्यम से ऐसी सभी ग्राम पंचायतों को चिन्हित करने का काम पूरा कर लिया गया है। देश की कुल ढाई लाख ग्राम पंचायतों में से मात्र एक लाख से कुछ अधिक ग्राम पंचायतें ही सहकारिता के दायरे में आती हैं। शेष ग्राम पंचायतों को कवर करने के लिए सहकारिता मंत्रालय ने कुल दो लाख से अधिक पैक्स के गठन का लक्ष्य निर्धारित किया है। इनमें कृषि सहकारी समिति, डेयरी सहकारी समिति और मत्स्य सहकारी समितियों के गठन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड),  राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और अन्य राष्ट्रीय स्तर के महासंघों के सहयोग से अगले पांच वर्षों में सभी पंचायतों और गांवों को शामिल कर लिया जाएगा। केंद्र सरकार की ओर से इसके लिए पर्याप्त मदद उपलब्ध कराई जा रही है। राज्य सरकारों को इसके लिए अभियान चलाने को कहा गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों, महिलाओं और युवाओं की भागीदारी को बढ़ाया जा सके। सहकारिता क्षेत्र को आकर्षक बनाने के लिए इसे रोजगारोन्मुख बनाया जा रहा है। इसके लिए कई आकर्षक योजनाएं शुरू की गई हैं।

अनाज भंडारण के लिए 11 राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट

प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटी (पैक्स) का कारोबारी दायरा बढ़ाने के लिए केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने विशेष योजना शुरू की है। इसके तहत एग्रीकल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर फंड और कृषि मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर फंड समेत कई अन्य योजना के साथ पैक्स को जोड़ा गया है। पैक्स के माध्यम से इन योजनाओं का संचालन किया जाएगा। इससे जहां ग्रामीण स्तर पर रोजगार का सृजन होगा, वहीं ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होगा। इसके तहत सहकारिता के माध्यम से दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना शुरू की गई है। इसका संचालन पैक्स करेगा, जिससे स्थानीय स्तर पर लोगों को लाभ मिलेगा। इसमें प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का औपचारिकीकरण (पीएमएफएमई) आदि सहित भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं को पैक्स से जोड़ दिया गया है। प्राथमिक सहकारी समितियों को ग्राम पंचायत स्तर पर बनाने और संचालित करने के लिए अनाज भंडारण को गोदामों का निर्माण,  कस्टम हायरिंग केंद्रों, प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयों और अन्य एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर की योजना को मंजूरी दी गई है। इसका उद्देश्य खाद्यान्नों की बबार्दी और परिवहन लागत को कम करना, किसानों को उनकी उपज हेतु बेहतर मूल्य दिलाने में सक्षम बनाना और पैक्स स्तर पर ही विभिन्न कृषि आवश्यकताओं को पूरा करना है।

अनाज भंडारण योजना की पायलट परियोजना के तहत राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी), राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज (नैबकॉन्स) के सहयोग से 11 राज्यों महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, असम, तेलंगाना, त्रिपुरा और राजस्थान में पैक्स के माध्य से पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इसमें कुल 11 गोदाम बनाए जा रहे हैं। निर्मित 11 अनाज भंडारों में से तीन को महाराष्ट्र, राजस्थान और तेलंगाना राज्य में पैक्स ने स्वयं के उपयोग के लिए रखा है। जबकि तीन को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य में राज्य व केंद्रीय एजेंसियों ने किराए पर लेंगी।

पैक्स चला रहे 40 हजार से अधिक सीएससी

ग्रामीण स्तर पर ई-सेवाओं की बेहतर पहुंच बनाने के लिए सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) के संचालन का दायित्व पैक्स को सौंपने का फैसला काफी मुफीद साबित होने लगा है। सहकारिता मंत्रालय,  इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय,  नाबार्ड और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के बीच एक विस्तृत समझौता किया गया है। इसके तहत प्राथमिक सहकारी समितियों (पैक्स) के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर लोगों को बैंकिंग और  बीमा सेवाओं के साथ आधार नामांकन और उसे अपटूडेट बनाने जैसी सुविधाएं लोगों को सीएससी उपलब्ध कराई जाएगी।  इसमें स्वास्थ्य सेवाओं,  पैन कार्ड, रेल, बस व हवाई जहाज के टिकट मुहैया कराने जैसी जैसी 300 से अधिक ई-सेवाएं प्रदान किया जाएगा। विभिन्न मंत्रालयों से जुड़ी योजनाओं को लाभ भी लोगों को इन्हीं सीएससी से प्राप्त होता है। बैंकिंग और बीमा संबंधी सेवाएं यहां आसानी से उपलब्ध रहती हैं।

केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय की पहल से यह सुविधा बहाल की जा रही है। देश में सभी पैक्स को यह सुविधा प्रदान की गई है। 21 नवंबर 2024 तक देश में कुल 40,000 से भी ज्यादा पैक्स के पास कामन सर्विस सेंटर (सीएससी) हैं। देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में यह सुविधा है इनमें सर्वाधिक 5860 पैक्स महाराष्ट्र में सीएससी का संचालन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में 5125 पैक्स के पास सीएससी हैं, जबकि 5070 पैक्स राजस्थान में सीएससी चला रहे हें। तमिलनाडु 4453 पैक्स के पास सीएससी हैं। मध्य प्रदेश में 3376 पैक्स सीएससी का संचालन कर लोगों को घर बैठे सेवाएं मुहैया करा रहे हैं। देश के 28 राज्यों में जहां कुल 39,691 पैक्स के पास सीएससी हैं तो पांच केंद्रशासित प्रदेशों में कुल 523 सीएससी का संचालन पैक्स कर रहे हैं।

खुदरा पेट्रोल व डीजल पंप चलाएंगे पैक्स

ग्रामीण क्षेत्रों में पेट्रोल, डीजल चलाने के लिए एजेंसी और पंप खोलने के लिए पैक्स को प्राथमिकता दी गई है। ऐसी दुकान व एजेंसी के आवंटन के लिए पैक्स को संयुक्त श्रेणी 2  (सीसी2) में शामिल करने की अनुमति दी गई है। पैक्स को थोक उपभोक्ता पेट्रोल पंपों को खुदरा दुकानों में परिवर्तित करने की अनुमति भी दी गई है।  पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श के आधार पर मौजूदा थोक उपभोक्ता लाइसेंसधारी पैक्स को खुदरा दुकानों में परिवर्तित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं,  ताकि पैक्स का लाभ बढ़ाया जा सके। सरकार की इस पहल से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिल रही है।

 रसोई गैस वितरक

पैक्स को अपनी गतिविधियों में विविधता लाने के उद्देश्य से उन्हें रसोईगैस (एलपीजी) वितरक के लिए पात्र घोषित किया गया है। सरकार ने अब पैक्स को एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटरशिप के लिए आवेदन करने की अनुमति दे दी है। इससे पैक्स को अपनी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा करने का विकल्प मिलेगा।

जन औषधि केंद्र

ग्रामीण स्तर पर सस्ती दरों पर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने पैक्स को पंचायत स्तर पर  प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोलने की अनुमति दी है। ऐसे केंद्र खोलने के लिए उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। सरकार प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केन्द्रों को संचालित करने के लिए प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसीएस) को बढ़ावा दे रही है, जिसका उद्देश्य उन्हें अतिरिक्त आय का स्रोत उपलब्ध कराना तथा ग्रामीण नागरिकों की जेनेरिक दवाओं तक पहुंच को आसान बनाना है। इससे पैक्स की आमदनी में भी वृद्धि हो रही है। योजना के तहत अब तक 4470 पैक्स ने आवेदन किया है, जिसके लिए प्रक्रियागत कार्यवाही की जा रही है। इनमें से 700 से ज्यादा पैक्स को स्टोर कोड मिल चुका हैं और वे जन औषधि केंद्र खोलने के लिए तैयार हैं, जबकि 50 प्रतिशत से अधिक पैक्स को फार्मास्युटिकल मेडिकल विभाग से लाइसेंस प्राप्त हो चुका है।

किसान समृद्धि केंद्र

प्राथमिक सहकारी समितियों को ग्रामीण क्षेत्रों में रियायती दरों पर कृषि इनपुट मुहैया कराने के लिए  प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके) खोलने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए उन्हें मदद मुहैया कराई जा रही है। सरकार देश में किसानों के लिए उर्वरक और संबंधित सेवाओं की आसान पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पीएमकेएसके संचालित करने के लिए पैक्स को बढ़ावा दे रही है। कुल लगभग 30,000 पैक्स ने किसान समृद्धि केंद्र संचालित करना शुरू कर दिया है, जिनकी संख्या लगातार बढ़ रही है।

पैक्स बने बैंक मित्र

प्राथमिक सहकारी समितियों को घर-घर वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए माइक्रो-एटीएम सुविधा के तहत बैंक मित्र बनाया जा रहा है। डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों को डीसीसीबी और एसटीसीबी का बैंक मित्र बनाने का प्रावधान किया गया है। व्यापार में आसानी, पारदर्शिता और वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नाबार्ड के सहयोग से इन बैंक मित्र सहकारी समितियों को ‘डोर-स्टेप वित्तीय सेवाएं’ प्रदान करने के लिए माइक्रो-एटीएम भी दिए जा रहे हैं। राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन के लिए एसओपी भी शुरू किया गया है।

जल समितियों के रूप में भी काम करेंगी पैक्स

ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजनाओं (पीडब्ल्यूएस) के संचालन एवं रखरखाव का कार्य पैक्स को सौंपा गया है। इससे गांव में जलापूर्ति का काम स्थानीय स्तर पर किया जाएगा। सहकारिता मंत्रालय की पहल पर ग्रामीण क्षेत्रों में पैक्स की गहरी पहुंच का उपयोग करने के उद्देश्य से जल शक्ति मंत्रालय ने ग्रामीण क्षेत्रों में पैक्स के संचालन एवं रखरखाव (ओएंडएम) के लिए पैक्स को पात्र एजेंसियों के रूप में नामित किया गया है।

ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति के लिए गांवों में प्राथमिक सहकारी समितियां जल समिति के रूप में भी काम करेंगी। हर घर नल से जल पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन या हर घर जल योजना की घोषणा वर्ष 2020-21 के आमबजट में किया था। इसका उद्देश्य देश के सभी घरों में पाइपलाइन से साफ पानी पहुंचाना है। यह लक्ष्‍य पूरा करने के लिए जो समय निर्धारित किया गया है उस समय तक यह पूरा हो जाएगा। देश के कई इलाकों में आज भी लोगों को साफ पानी के लिए कई किलोमीटर दूर तक चलकर जाना पड़ता है। केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने इस दिशा में पहल करते हुए प्राथमिक सहकारी समितियों (पैक्स) को इसका दायित्व सौंप दिया है।

इसका मकसद देश के सभी घरों में पाइपलाइन से साफ पानी पहुंचाना है। सरकार देश के ग्रामीण इलाकों में हर एक घर में पीने के पानी का कनेक्‍शन देगी। घरों तक पानी पहुंचाने के लिए एवं जल संरक्षण हेतु इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर तैयार कर रही है। पैक्स के माध्यम से गांवों में घर-घर पानी की आपूर्ति के लिए एक अलग समिति का गठन किया जाएगा जो रोजमर्रा के कामकाज करेगी। लोगों को घर पर ही पीने का साफ पानी मिलेगा इसके लिए उन्‍हें कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कुल 14 करोड़ घरों में पानी की आपूर्ति नल से होने लगी है।

YuvaSahakar Team

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