केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने गुरुवार को नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी स्टेडियम में ‘नेशनल सेंटर फॉर स्पोर्ट्स साइंस एंड रिसर्च’ (एनसीएसएसआर) का उद्घाटन किया।
इसके साथ ही उन्होंने डिजिलॉकर के माध्यम से खेल प्रमाण पत्र जारी करने की सुविधा की भी शुरुआत की। यह पहल खिलाड़ियों के दस्तावेज़ों की सुरक्षा, पारदर्शिता और धोखाधड़ी रोकने की दिशा में अहम कदम मानी जा रही है।
मंडाविया ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई हर खेल पहल एथलीट-केंद्रित है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे राष्ट्रीय खेल संघों (एनएसएफ) में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते, लेकिन अगर संघ सरकार की एथलीट-केंद्रित नीति से भटके तो उन्हें रोका जाएगा। उन्होंने राष्ट्रीय खेल संघों से गुटबाजी और भाई-भतीजावाद समाप्त करने की अपील करते हुए कहा कि हमें 2036 ओलंपिक को भारत में लाने के लिए एकजुट प्रयास करने होंगे।
उन्होंने कहा कि डिजिलॉकर के ज़रिए जारी प्रमाण पत्र जल्द ही ‘राष्ट्रीय खेल रिपोजिटरी प्रणाली’ (NSRS) से जोड़े जाएंगे, जिससे सरकारी नकद पुरस्कारों का वितरण सीधे खिलाड़ियों के खातों में डिजिटल तरीके से हो सकेगा। इससे डीबीटी प्रणाली और भी मजबूत होगी और कागजी कार्यवाही की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इस अवसर पर ओलंपिक रजत पदक विजेता मीराबाई चानू ने कहा कि यह सुविधा खिलाड़ियों के लिए बहुत फायदेमंद है। “हमें अक्सर सरकारी नौकरियों या वीज़ा के लिए प्रमाण पत्रों की जरूरत होती है, जो हमारे पास तुरंत नहीं होते। डिजिलॉकर से अब ये समस्या नहीं रहेगी।”
एनसीएसएसआर को 260 करोड़ रुपये के प्रारंभिक बजट के साथ विकसित किया गया है। यह केंद्र देशभर के 11 राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों, 2 हाई परफॉर्मेंस सेंटर्स, 6 खेल विज्ञान विभागों और 5 स्पोर्ट्स मेडिसिन यूनिट्स को सहयोग देगा। मंडाविया ने कहा कि यह पहल भारत के दीर्घकालिक खेल विजन और 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक अहम कदम है।