भारत सरकार की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना अब जमीनी स्तर पर असर दिखाने लगी है। इस योजना की शुरुआत देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। इसके दूसरे चरण की शुरुआत हो चुकी है। इसके तहत देश में लैपटॉप और अन्य IT हार्डवेयर के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए 17,000 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है। चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर बढ़ते तनाव के बीच अंतरराष्ट्रीय कंपनियां अब लैपटॉप एवं हार्डवेयर निर्माण के लिए चीन की बजाय भारत का रुख कर रही हैं। कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भारतीय कंपनियों से समझौता कर देश में लैपटॉप मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दिया है। इससे निवेश बढ़ने के साथ-साथ रोजगार के भी नए मौके पैदा हो रहे हैं।
चीन से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले लैपटॉप और IT उत्पादों को अब तक टैक्स से छूट थी, लेकिन ट्रम्प प्रशासन द्वारा नए टैरिफ लगाए जाने के बाद इस छूट के खत्म होने की पूरी संभावना है। इससे चीन में मौजूद अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को चिंता है कि उनके मुनाफे पर असर पड़ सकता है। इसी कारण अब कई कंपनियां भारत को निर्माण का एक भरोसेमंद विकल्प मान रही हैं।
गुरुग्राम स्थित VVDN टेक्नोलॉजीज ने Asus के साथ मिलकर मानेसर में एक नई असेंबली लाइन शुरू की है, जो हर 240 सेकंड में एक लैपटॉप तैयार कर सकती है। इसी तरह Syrma SGS ने ताइवान की MSI कंपनी के साथ साझेदारी कर भारत में निर्माण शुरू कर दिया है। Dixon Technologies ने तमिलनाडु में 1,000 करोड़ रुपये का निवेश कर HP के लिए एक बड़ा मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित किया है। यहां Lenovo और Asus के लैपटॉप भी बनाए जाएंगे।
PLI 2.0 योजना छह वर्षों तक चलेगी। इसका लक्ष्य है कि भारत में 3.5 लाख करोड़ रुपये का IT हार्डवेयर उत्पादन हो और लगभग 47,000 नई नौकरियां उत्पन्न हों। अब तक इस योजना के तहत 520 करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है और लगभग 10,000 करोड़ का उत्पादन भी हो चुका है।
हालांकि, चीन आज भी सस्ती मैन्युफैक्चरिंग के लिए जाना जाता है, लेकिन भारत को अब एक मजबूत विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। यह योजना न सिर्फ देश में निवेश और रोजगार को बढ़ावा दे रही है, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर IT हार्डवेयर निर्माण का केंद्र बनाने की दिशा में एक अहम कदम साबित होगी।