भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भारत में बुनियादी ढांचे के मोर्चे पर बहुत अच्छा काम करने के लिए मोदी सरकार की सराहना करते हुए उम्मीद जताई है कि आगामी बजट में नौकरी के बाजार को बढ़ावा देने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जाएंगे। स्विटजरलैंड की राजधानी दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सालाना बैठक में उन्होंने कहा कि नौकरी बाजार को तत्काल बढ़ावा देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे के मोर्चे पर बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन उपभोग को बढ़ावा देने के लिए दूसरा प्रमुख स्तंभ नौकरी बाजार है। नौकरी बाजार को बढ़ावा देने की तत्काल आवश्यकता है। अगले कुछ दिनों में केंद्रीय बजट आने वाला है। उम्मीद है कि हम उसमें इस संबंध में कुछ देखेंगे। राजन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था 6 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है जो वास्तव में बहुत अच्छा है, लेकिन जब हम प्रति व्यक्ति आंकड़ों को देखते हैं, तो इसे और अधिक तेजी से बढ़ने की जरूरत है।
बैठक में अमेरिकी डॉलर पर आयोजित एक सत्र में उन्होंने रुपये की कमजोरी और डॉलर की मजबूती पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये का 85 रुपये के स्तर तक गिरना किसी घरेलू कारक की बजाय अमेरिकी मुद्रा की मजबूती के कारण अधिक है। उन्होंने कहा कि यदि आप एक उभरते बाजार में हैं, तो आप वास्तव में डॉलर को लेकर चिंतित हैं। कई उभरते बाजारों के केंद्रीय बैंकों को डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्राओं में गिरावट को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, लेकिन मुद्दा यह है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि यह उनकी गलती नहीं है।