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भारत के लिए लीड्स में इंग्लैंड से लगभग जीते हुए पहले टेस्ट में हार पर मंथन जरूरी

शुभमन गिल की कप्तानी को लेकर हेड कोच गौतम गंभीर ने कहा कि भारत की टेस्ट में कप्तानी वाकई बहुत बड़ा सम्मान है। बहुत कम लोगों को यह मौक़ा मिलता है। भारत की पहली बार कप्तानी करते हुए शतक लगाना कतई आसान नहीं था। शुभमन में एक कामयाब कप्तान बनने के सभी गुण हैं, लेकिन हमें उन्हें समय देना होगा। मुझे पूरा भरोसा है कि शुभमन बढ़िया टेस्ट कप्तान साबित होंगे।

– शुभमन गिल की बतौर कप्तान पहले ही टेस्ट में हुई अग्नि परीक्षा

– कप्तान शुभमन व चीफ कोच गंभीर के सामने टीम का मनोबल बढ़ाने की चुनौती

– पहले टेस्ट में भारत की ओर लगे पांच शतक

– इंग्लैंड की गेंदबाजी को ध्वस्त किया जा सकता है

– जीत की राह लौटने के लिए भारत के निचले क्रम को भी दिखाना होगा दम

– सभी कैच लपकने के साथ भारत को सही एकादश चुननी होगी

भारत अपने शीर्ष क्रम में ऋषभ पंत के दोनों पारियों में, यशस्वी जायसवाल व कप्तान शुभमन गिल के पहली पारी और केएल राहुल के दूसरी पारी में जमाए शतकों और अपने धुरंधर तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के पहली पारी में चटकाए पांच विकेट के बावजूद विश्व टेस्ट चैंपियनशिप 2025-27 की नई साइकिल में पांच टेस्ट मैचों की एंडरसन-तेंडुलकर ट्रॉफी के लीडस में सीरीज का पहला लगभग जीता टेस्ट पांच विकेट से हार गया। भारत के लिए पहले टेस्ट की यह हार पांच टेस्ट की इस सीरीज के आगामी टेस्ट मैचों के लिए मंथन करने वाली है।

भारत इससे पहले ऑस्ट्रेलिया से उसके घर में पांच टेस्ट मैचों की बॉर्डर-गावसकर ट्रॉफी 1-3 से हार गया था। भारत द्वारा जीत के लिए दूसरी पारी में रखे गए 371 रन के लक्ष्य को इंग्लैंड ने सलामी बल्लेबाज बेन डकेट की 149 रन की बेहतरीन पारी से पांच विकेट खोकर हासिल कर लिया। इंग्लैड ने टेस्ट क्रिकेट में चौथी पारी में दूसरा सबसे बड़ा लक्ष्य तो हासिल किया ही, यह भारत के खिलाफ किसी भी टीम द्वारा हासिल किया या दूसरा सबसे बड़ा लक्ष्य था। इंग्लैंड ने इससे पहले 2022 में भारत के खिलाफ सबसे एजबेस्टन टेस्ट में 378 रन का इससे बड़ा लक्ष्य हासिल किया था।

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भारत की 1-3 से हार के बाद और रोहित शर्मा, विराट कोहली और रविचंद्रन अश्विन के टेस्ट क्रिकेट से अलविदा कहने के बाद टीम इंडिया बदलाव के दौर से गुजर रही है। भारत को अब नए खिलाड़ियों के साथ अपने स्लिप के घेरे के क्षेत्ररक्षकों को और मुस्तैदी की जरूरत है। भारत के गेंदबाजो को भी पल पल बदलते कभी धूप और कभी छांव वाले नम मौसम के साथ जल्द से जल्द तालमेल बैठाने की जरूरत है।

नए कप्तान शुभमन गिल की बदलाव के दौर से गुजर रही भारतीय टीम टीम की लीड्स में सीरीज के पहले ही टेस्ट में अग्नि परीक्षा हो गई। बेशक ड्रेसिंग रूम का माहौल खुशनुमा होना चाहिए और खिलाड़ियों का सम्मान भी किया जाना चहिए लेकिन टीम के साथियों में भारत के नए कप्तान शुभमन गिल का कुछ खौफ भी होना चाहिए। भारत के कप्तान शुभमन गिल और चीफ कोच गौतम गंभीर के लिए सबसे अहम चुनौती लीड्स में पहले टेस्ट में हार के बाद अगले टेस्ट मैचों के लिए टीम का मनोबल बढ़ाने की होगी।

भारत के जीत के द्वार पहुंच कर हार के वरण करने का सबसे बड़ा कारण पहली पारी में उसके क्षेत्ररक्षकों द्वारा टपकाए पांच कैचों के साथ उसकी दोनों पारियों में निचले क्रम में उसके आखिरी चार बल्लेबाजों का ताश के पत्तों की तरह ढहकर कुल मिलाकर नौ रन ही जोड़ना रहा। भारत लीड्स में सीरीज का पहला टेस्ट पांच विकेट से हारने के बजाय इसे जीत कर पांच टेस्ट की सीरीज में 1-0 की बढत हासिल कर सकता था लेकिन दूसरी पारी में अपनी बेदम गेंदबाजी के चलते ही उसे इसमें हार झेलनी पड़ी। भारत इस हार के साथ पांच टेस्ट की सीरीज में 0-1 से पिछड़ गया।

शुभमन गिल ने बतौर कप्तान अपने पहले टेस्ट में इंग्लैड के खिलाफ शतक के साथ आगाज किया लेकिन इसमें भारत को पांच विकेट से मिली हार से इसका मजा किरकिरा हो गया। बेशक कप्तानी बड़ी जिम्मेदारी और गौरव की बात है और उन्हें इसकी बारकिया जल्द सीखनी होंगी। इंग्लैंड के हाथों मिली हार भारतीय टीम के खिलाड़ियों को भी अखर रही होगी। भारतीय खिलाड़ियों और टीम को इस झटके से उबरना होगा फिर शिद्दत से उठ खड़ा हो अपनी टीम को जीत की राह पर लौटाना होगा।

भारत के पांच बल्लेबाजों का पहले टेस्ट में इंग्लैंड के खिलाफ शतक जड़ना इस बात का संकेत है कि मेजबान टीम के गेंदबाजी आक्रमण को ध्वस्त किया जा सकता है। भारत को जीत की राह पर लौटना है तो शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों के साथ उसके निचले क्रम के बल्लेबाजों को भी रन बनाने होंगे। भारत के कप्तान शुभमन गिल पहली पारी में शतक जड़ने के बाद उपकप्तान ऋषभ पंत दूसरी पारी भी शतक जड़ने के बाद बेवजह तेज रन बनाने की कोशिश में जिस तरह विकेट गंवा आउट हुए, इससे बचा जा सकता था। ऋषभ पहली पारी में, शुभमन और केएल राहुल दूसरी पारी में बेशक बढ़िया गेंदों पर आउट हुए।

साथ ही भारत को बस जरूरत इस बात की है कि उसके गेंदबाज हेडिंग्ले की तुलना में अब दूसरे टेस्ट में सही जगह ज्यादा गेंदबाजी करें, साथ ही उसके क्षेत्ररक्षक मैदान पर एकदम चुस्त रहें। एक दिलचस्प बात यह है कि विराट कोहली ने बतौर कप्तान अपने टेस्ट में दोनों पारियों में शतक जड़ा था लेकिन उसमें भी भारत को निचले क्रम की नाकामी के चलते हार झेलनी पड़ी थी। यह कहने का मकसद यह है कि शुभमन गिल पहले टेस्ट इस हार से सबक लें और भारत को दूसरा टेस्ट जिता सीरीज में बराबरी दिलाएं। इसके लिए जरूरी है कि भारत का निचला क्रम अपने विकेट की कीमत समझे और बल्ले से बेहतर योगदान करे।

भारत ने लीड्स में मजबूत आगाज के बाद पहली पारी में आखिरी के सात विकेट मात्र 41 रन में दूसरी पारी में भी आखिरी छह विकेट मात्र 31 रन जोड़ खोए। भारत के लिए अपने टेस्ट करियर का आगाज करने वाले साई सुदर्शन और आठ बरस के बाद टेस्ट टीम मे वापसी करो वाले करुण नायर, दोनों पहली पारी में खाता खोले आउट हुए। सुदर्शन दूसरी पारी में 30 और नायर मात्र 20 रन बनाकर आउट हुए। भारतीय टीम पिछले करीब दो दशक में इंग्लैंड में उसके खिलाफ टेस्ट मैच में सबसे ज्यादा कैच टपकाने वाली टीम बनी। भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ पहली पारी में पांच कैच न टपकाए होते तो वह इसमें मात्र छह रन की नहीं बल्कि 150 रन की बढ़त हासिल करता तो तब बहुत मुमकिन है कहानी शायद कुछ और ही होती।

ऑलराउंडर के रूप में भारतीय टीम में शामिल शार्दूल ठाकुर ने दूसरी पारी में डकेट और हैरी ब्रुक के रूप में दो विकेट जरूर लिए लेकिन बल्ले से नाकाम रहने के बाद भारत को अब दूसरे टेस्ट के लिए अपनी सही एकादश के चुनने की बाबत जरूर गंभीरता से सोचना होगा। मोहम्मद सिराज और प्रसिद्ध कृष्णा दूसरे छोर से वैसे नियत्रण के साथ गेदबाजी नहीं कर पाए जो कि बुमराह के एक छोर से रफ्तार के साथ धैर्य बनाने के लिए जरूरी थी। भारत के निचले क्रम  के बल्लेबाजों ने में दूसरी पारी मे पहली पारी की नाकामी से सबक लिया होता तो भी भारत इंग्लैंड के सामने जीत के लिए दूसरी पारी में 371 नही बल्कि कम से कम 550 रन का लक्ष्य रखता तो फिर उसे अपनी बेजबॉल से दे दनादन करने की बाबत गंभीरता से सोचना पड़ता। भारत को जीत की राह पर लौटना है तो उसे सभी कैच लपकने होंगे और निचले क्रम को बल्ले बेहतर योगदान करना होगा।

भारत के कप्तान शुभमन गिल ने भी पहले टेस्ट में टीम की हार के लिए टपकाए कैचों के साथ बल्ले से अपनी निचलेक्रम की नाकामी को जिम्मेदार बताया। जसप्रीत बुमराह के मौजूदा पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में मात्र तीन ही टेस्ट खेलने और शमी के पूरी तरह फिट नहीं होने के कारण नहीं चुने जाने से भारत के लिए बल्लेबाजी से ज्यादा बड़ी चिता अपनी गेंदबाजी इकाई को लेकर है। भारत के पिछले इंग्लैंड दौरे पर उसके शीर्ष बल्लेबाजों के साथ बुमराह और शमी व अन्य निचले क्रम के बल्लेबाजों ने खुल कर बल्लेबाजी कर उसे बड़े स्कोर तक पहुचाने में अहम भूमिका निभाई थी। निचले क्रम के बल्लेबाजों की बढ़िया पारियों के चलते ही भारतीय टीम इंग्लैंड के खिलाफ बढ़त लेने में कामयाब रही थी।

चिंता यह नहीं कि भारत के आठवें  से लेकर आखिरी नंबर के बल्लेबाजों ने कुल मिला कर नौ रन बनाए बल्कि यह है जिस अंदाज में वे आउट हुए वह चिंता का सबब है। भारत को निचले क्रम में शार्दूल ठाकुर से बड़ी पारी की उम्मीद थी लेकिन वह दोनों ही पारियों में बेवजह आक्रामक स्ट्रोक खेलने की कोशिश मं आउट हुए। भारत के लगभग अजेय स्थिति से पहला टेस्ट हारने का इकलौता कारण निचले क्रम की नाकामी ही नहीं बल्कि भारत के कप्तान शुभमन गिल को और चौकस रहने की है। नवोदित कप्तान शुभमन गिल को यह सोचने और समझने की जरूरत है कि यदि विराट अथवा रोहित शर्मा भारत के कप्तान होते और उसके निचले क्रम यानी पुच्छल्ले बल्लेबाज इसी तरह आधे अधूरे मन से खेले होते तो क्या होता?

भारत को टेस्ट मैच में  निचले क्रम सहित आखिर तक पूरी शिद्दत से, पूरे जोश से सराबोर रह कर खेलने की जरूरत है। टेस्ट बेशक ही क्रिकेट का सबसे चुनौतीपूर्ण प्रारूप है और इसमें अचानक बिजली चमकने के बजाय और जीत के लिए आखिर तक निरंतर बढ़िया खेलने की जरूरत होती है। टेस्ट में आपको जरुरत पांच दिनों तक या जितना भी वक्त लगे, हर दिन छह घंटे तक खेलने के लिए फिटनेस, फुर्ती और पूरी शिद्दत से खेलने की जरूरत होती है। पहले क्रिकेट आखिरी दिन जसप्रीत बुमराह सहित भारत के दिग्गज गेंदबाज नहीं चले और कप्तान शुभमन गिल को यह समझ नहीं आया कि बराबर किससे गेंदबाजी कराए, जो सधी गेंदबाजी कर सके।

बुमराह पर भारतीय गेंदबाजी का जितना बोझ है तो भारत के कप्तान शुभमन गिल को यह समझना होगा कि कोई दिन ऐसा भी होगा जब बुमराह बराबर विकेट न चटका पाए और संभवत:पहले टेस्ट का आखिरी दिन उनके लिए कुछ ऐसा ही था। गेंदबाजी के विकल्प इस बात से तय नहीं होने चाहिए कौन सा गेंदबाज किस दिन कितने ओवर फेंकेगा। सिराज ने अच्छी गेंदबाजी की लेकिन रवींद्र को अपनी ऑफ स्टंप से बाहर गेंद को स्पिन कराने व लय हासिल करने में वक्त लगा। टेस्ट क्रिकेट में महज एक या दो गलतियां ही भारी पड़ सकती है।

गिल और गंभीर को यह तय करना होगा कि क्या वे शार्दूल ठाकुर को आगे के टेस्ट मैच में गेंदबाजी आंलराउंडर के रूप में मौका देंगे। शार्दूल को लेकर यह सवाल तो रहेगा ही यदि वह अगले टेस्ट भी नाकाम रहे तो क्या होगा। ऐसे में अब भारत ऑलराउंडर शार्दूल ठाकुर की जगह अगले टेस्ट में इंग्लैड के दोनों पारियों के 20 विकेट चटकाने के लिए बाएं हाथ के लेग स्पिनर कुलदीप यादव को एकादश में उनकी जगह शामिल करने की तो सोच सकता लेकिन जिस तरह दोनों पारियों में भारत का निचला क्रम जिस तरह ताश के पत्तों की तरह बिखरा उसके चलते क्या भारत के लिए यह और बड़ा जोखिम तो नहीं होगा ?

भारत की नौजवान गेंदबाजी इकाई को लेकर धैर्य धरने की जरूरत: गंभीर

पहले टेस्ट में भारत की हार के बाद हेड कोच गौतम गंभीर ने कहा कि बदलाव के दौर से गुजर रही भारत की नौजवान गेंदबाजी इकाई को लेकर धैर्य धरने की जरूरत है।  हमारे मौजूदा नौजवान गेंदबाज़ी आक्रमण में एक गेंदबाज़ (नीतिश रेड्डी) ने अब तक केवल पांच टेस्ट, एक (प्रसिद्ध कृष्णा) ने चार, एक (हर्षित राणा) ने दो और एक ( अर्शदीप सिह)को तो अभी भारत के लिए टेस्ट करियर का आगाज करने का इंतजार है। प्रसिद्ध कृष्णा पहली पारी में लाइन लेग्थ को ले  जूझने के कारण महंगे साबित हुए हालांकि उन्होंने दूसरी पारी में बाउंसर का बेहतर इस्तेमाल किया। हमें उन्हें समय देना होगा। पहले हमारे पास चार ऐसे तेज़ गेंदबाज़ होते थे जिनके नाम 40 से ज़्यादा टेस्ट थे। जब आप ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका  में टेस्ट खेलने जाते हैं तो तब अनुभव काफी मायने रखता है।

गौतम गंभीर ने कहा कि हमारे हमारे ज्यादातर गेंदबाज नए ही हैं। ऐसे में यदि हर टेस्ट के बाद आप अपने गेंदबाजों को आंकना शुरू कर देगे तो हम अपना गेंदबाजी आक्रमण किस तरह तैयार करेंगे? बुमराह और मोहममद सिराज को छोड़ कर हमारे पास ज्यादा अनुभवी गेंदबाज नहीं है। बुमराह और सिराज के अलावा टीम के बाकी गेंदबाज भी इसीलिए टीम में क्योंकि वे भी बढ़िया गेंदबाज हैं । हमें अपने इन बाकी गेंदबाजों का समर्थन करना होगा क्योंकि यह केवल एक दौरे की बात नहीं। हमें तेज गेदबाजों की ऐसी बैटरी तैयार करनी है जो कि भारत की टेस्ट क्रिकेट में लंबे समय तक सेवा कर सके। भले ही यह सवाल अभी भी है कि जिन दो टेस्ट में बुमराह नहीं खेलेंगे, उनमें भारत 20 विकेट कैसे निकालेगा? गंभीर ने कहा कि मेरे लिए बुमराह का वर्कलोड मैनेज करना ज़्यादा ज़रूरी है क्योंकि आगे बहुत क्रिकेट है। हमें मालूम  है कि बुमराह हमारे  लिए कितने अहम हैं। इंग्लैंड के इस दौरे पर आने से पहले ही तय हो गया था कि बुमराह मात्र तीन टेस्ट खेलेंगे, लेकिन अब देखते हैं कि उनका शरीर कैसा रहता है। अभी यह तय नहीं हुआ है कि बाकी कौन से दो टेस्ट वो खेलेंगे। हमारे पास अच्छा गेंदबाज़ी आक्रमण है और हमें उस पर भरोसा है।

गंभीर ने कहा कि जहां तक बात शार्दूल की है तो उनका इसलिए कुछ कम इस्तेमाल हुआ क्योंकि बाएं हाथ के स्पिनर रवींद्र जडेजा ने बेहतरीन गेंदबाज़ी की । शार्दूल ने हमें दो अहम विकेट दिलाए।  हमें बस लगातार ऐसा प्रदर्शन करते रहना होगा और हमारे ये लड़के अनुभव के साथ सीखते जाएंगे।

YuvaSahakar Desk

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