पिछले साल की तरह इस साल भी झमाझम बारिश होने का अनुमान लगाया गया है। दक्षिण-पश्चिम मानसून देश के लिए नई उम्मीदें लेकर आएगा। मौसम विभाग (IMD) ने इस साल “सामान्य से अधिक” बारिश का पूर्वानुमान जताया है। जून से सितंबर के बीच होने वाली मानसूनी बारिश दीर्घ अवधि औसत (LPA) का 105% होने की संभावना है, जो देश की कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है।
प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट वेदर ने भी 103% बारिश का अनुमान जताया है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल, कर्नाटक और गोवा जैसे राज्यों में अच्छी बारिश की उम्मीद जताई गई है। हालांकि, पूर्वोत्तर और हिमालयी क्षेत्रों में कम बारिश की आशंका बनी हुई है। यह लगातार दूसरा साल है जब देश में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना है।
किसानों के लिये सकारात्मक संकेत
भारत की लगभग आधी खेती मानसूनी बारिश पर निर्भर है। ऐसे में अच्छी बारिश खरीफ फसलों की बुआई, सिंचाई और जलाशयों को भरने में सहायक होगी। इससे देश की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलेगी। हालांकि, क्षेत्रीय स्तर पर वर्षा का वितरण और तीव्रता अलग-अलग हो सकती है।
मौसम विभाग के अनुसार, इस साल अल नीनो और हिंद महासागर डाइपोल (IOD) जैसी जलवायु घटनाएं न्यूट्रल स्थिति में हैं। यह परिस्थिति मानसून के लिए सकारात्मक संकेत है। अल नीनो के कारण जहां सामान्य से कम बारिश की आशंका रहती है, वहीं न्यूट्रल स्थिति मानसून को संतुलित बनाए रखने में सहायक होती है।