गेहूं (Wheat) की कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए केंद्र सरकार ने स्टॉक लिमिट में भारी कटौती कर दी है। अब बड़े व्यापारी और होलसेलर 250 टन से ज्यादा गेहूं का स्टॉक नहीं कर सकेंगे। पहले यह सीमा 1,000 टन थी। स्टॉक लिमिट का यह आदेश 31 मार्च, 2025 तक प्रभावी रहेगा। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई है।
बयान में कहा गया है कि समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने, जमाखोरी और सट्टेबाजी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने सभी व्यापारियों/थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़े रिटेलर चेन और प्रोसेसर के गेहूं स्टॉक लिमिट में संशोधन किया है। यह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए लागू है। संशोधित लिमिट के अनुसार, व्यापारी और होलसेलर अब 1,000 टन की बजाय 250 टन, रिटेलर 5 टन की जगह 4 टन, बड़े रिटेल चेन के प्रत्येक आउटलेट 4 टन तक ही स्टॉक रख सकेंगे। जबकि प्रोसेसर जिनमें आटा मिलर्स, ब्रेड और गेहूं के अन्य उत्पाद बनाने वाली कंपनियां शामिल हैं, अप्रैल 2025 तक अपनी मासिक स्थापित क्षमता का 50 प्रतिशत तक ही स्टॉक रख सकेंगी।
बयान के मुताबिक, सभी गेहूं भंडारण संस्थाओं को गेहूं स्टॉक सीमा पोर्टल evegoils.nic.in पर पंजीकरण कराना होगा तथा प्रत्येक शुक्रवार को स्टॉक की स्थिति को अपडेट करना होगा। कोई भी संस्था जो पोर्टल पर पंजीकरण नहीं कराती है या स्टॉक सीमा का उल्लंघन करती है, उसके विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 6 और 7 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। यदि किसी के पास गेहूं का मौजूदा स्टॉक संशोधित निर्धारित सीमा से अधिक है, तो उन्हें अधिसूचना जारी होने के 15 दिनों के भीतर इसे निर्धारित स्टॉक सीमा तक लाना होगा।
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग देश में कीमतों को नियंत्रित रखने तथा आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं स्टॉक की स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है। गेहूं की फसल के पकने की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन तापमान सामान्य से ज्यादा है। ऐसे में इस बात की आशंका है कि तापमान बढ़ने से पैदावार प्रभावित हो सकती है जिससे कीमतें बढ़ सकती है। गेहूं की कीमतें बढ़ने का दबाव महंगाई की दर पर भी पड़ेगा।
भारतीय खाद्य निगम (FCI) की ओर से की जाने वाली साप्ताहिक नीलामी में पिछले दो बुधवार (12 और 19 फरवरी) से गेहूं की मांग बढ़ने का ट्रेंड सामने आया है जिससे भी कीमतें बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। एफसीआई ने नीलामी के लिए जितनी मात्रा तय की थी लगभग उन सब के लिए प्रोसर्स की ओर से बोली लगाई गई। 19 फरवरी की नीलामी के लिए 4 लाख टन गेहूं की पेशकश एफसीआई की ओर से की गई थी। इसमें से कुल 3,99,940 टन गेहूं बिक गया। इसी तरह, 12 फरवरी को निगम ने नीलामी में 3 लाख टन गेहूं रखा था जिसमें से 2,93,110 टन गेहूं की बिक्री हुई थी।
इससे पहले, नीलामी में प्रोसेसर 150 टन गेहूं की खरीद कर सकता था। इस बार सरकार ने प्रति प्रोसेसर सीमा बढ़ाकर 400 टन कर दी, जिससे मिलर्स के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा हो गई। गेहूं की उठाव सीमा में अचानक बढ़ोतरी के कारण भी गेहूं की कीमतों में बड़ा उछाल आया है। बाजार में गेहूं की पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने के लिए एफसीआई केंद्रीय पूल से हर हफ्ते गेहूं की नीलामी करता है। रबी सीजन 2024 में 11.32 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ था।