देश में खाद्यान्न समस्या को दूर करने के लिए सरकार द्वारा कई सकारात्मक प्रयास किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय खाद्य अधिनियम के तहत खाद्यान्न संकट को दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए जा रहे हैं। अनाज समस्या को दूर करने में सहकारिता क्षेत्र का बड़ा योगदान होने वाला है। देश में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना पर काम चल रहा है, जिससे भारत में खाद्यान्न समस्या को काफी हद तक खत्म किया जा सकेगा। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत देश के कोने तक उचित मूल्य की पांच लाख से अधिक अनाज की दुकानें हैं, इस नेटवर्क के जरिए हर महीने 81 करोड़ लोगों को सब्सिडी वाला अनाज प्रदान किया जाता है। इस क्रम में ओडिशा में केंद्र सरकार के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत अन्नपूर्ति अनाज एटीएम योजना को शुरू किया गया है। एटीएम मशीन से पांच मिनट में 50 किलोग्राम तक अनाज निकाला जा सकेगा, जिससे अनाज लेने वालों को घंटो लाइन में नहीं लगना पड़ेगा। इसके साथ ही अनाज की क्षति भी कम होगी।
केंद्र सरकार के सहयोग से ओडिशा सरकार के खाद्य आपूर्ति उपभोक्ता कल्याण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा अन्नपूर्ति अनाज एटीएम की शुरुआत की गई। प्रदेश में पोषण सुरक्षा हासिल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के साथ एक साझेदारी के तहत इस महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की गई। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभार्थियों को सातों दिन व 24 घंटे खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए राज्य भर में इस तरह के अनाज एटीएम उपलब्ध कराए जाएगें। मौजूदा व्यवस्था के तहत इन दुकानों के संचालन अनाज को तौलकर ग्राहकों को देते हैं, इस प्रक्रिया में अनेक समस्याएं हैं, पहला अनाज लेने वालों को घंटों लाइन में लगना पड़ता है, वितरण के दौरान अनाज के बिखने के कारण काफी मात्रा में अनाज की क्षति होती है। इसके विपरीत अन्नपूर्ति अनाज एटीएम से अनाज को सुलभ व आसान तरीके से लोगों तक पहुंचाया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति जिसके पास पीडीएस प्रणाली का राशन कार्ड है वह इस सुविधा का लाभ उठा सकता है, फिर चाहे वह किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से ही क्यों न हो। इस मशीन से किसी भी समय पांच मिनट के अंदर 50 किलोग्राम तक का अनाज वितरित किया जा सकता है, जिससे लोगों के इंतजार का समय 70 फीसदी तक घट जाएगा। एक बार बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण होने के बाद इससे सभी तरह के राशन को लिया जा सकता है। अन्नपूर्ति अनाज एटीएम का मॉड्यूलर डिजाइन आसानी से उपलब्ध जगह पर फिट हो जाता है साथ ही बिजली की बचत भी होती है क्योंकि एटीएम मशीन को सौर पैनलों से भी जोड़ा जा सकता है।
वैश्विक स्तर पर अन्नपूर्ति अनाज एटीएम को कई देशों में चलाया जा रहा है, भारत में इसकी शुरुआत ओडिशा प्रदेश से की गई है। एक साल के परीक्षण के आधार पर इसे अधिक सुलभ बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। भारत में विश्व खाद्यान्न कार्यक्रम द्वारा विकसित अन्नपूर्ति मशीन को कई व्यवहारिक पहलूओं पर जांच कर लांच किया गया है। ओडिशा के भुबनेश्वर में इस अनाज एटीएम की शुरुआत की गई जिससे यहां के लोगों को जरूरत पड़ने पर 24 घंटे अनाज उपलब्ध कराया जा सकेगा। अन्नपूर्ति अनाज एटीएम शुरू करने से पहले कई प्रांतों में उचित मूल्य पर दिए जाने वाली दुकानों में अनाज एटीएम लगाकर उनकी उपयोगिता को जांच गया। जिसका संचालन उन्हीं दुकानदारों द्वारा किया गया, मशीन पूरी तरह स्वचालित होगी इसके लिए इसके संचालन के लिए किसी तरह के कर्मचारियों को नियुक्त करने की जरूरत नहीं होगी।
11 राज्यों में शुरू होगी अन्न भंडारण योजना
अन्न भंडारण को लेकर सरकार की महत्वकांक्षी योजना के तहत पैक्स को बहु राज्य सहकारी समितियों में बदलने पर जोर दिया जा रहा है। 11 राज्यों में शुरू होने वाली इस परियोजना के लिए सरकार समय समय पर समीक्षा रिपोर्ट लेती रहती है। केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के नेतृत्व में देशभर में सुदूरवर्ती ग्राम पंचायतों तक अन्न भंडारण के लिए गोदाम बनाने की योजना को सरकार आगे बढ़ रही है। योजना में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, असम, त्रिपुरा, उत्तराखंड और तेलंगाना जैसे राज्य शामिल हैं। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्तर की समन्वय समिति योजना को राष्ट्रव्यापी स्तर पर आगे बढ़ाने और इसमें विभिन्न हितधारकों को गोदामों के साथ जोड़ने का काम कर रही है। अन्न भंडारण योजना में भारत सरकार की विभिन्न मौजूदा योजनाओं जैसे कि कृषि अवसंरचना कोष, कृषि विपणन अवसंरचना योजना, कृषि मशीनीकरण पर उप मिशन- प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना आदि के माध्यम से पैक्स स्तर पर विभिन्न कृषि अवसंरचनाओं के निर्माण की पहल की गई है। इसमें गोदाम, कस्टम हायरिंग सेंटर, प्रसंस्करण इकाइयां एवं उचित मूल्य की दुकानें आदि शामिल हैं।
क्या है प्रमुखताएं
-पायलट परियोजना को राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी), नाबार्ड, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई), केंद्रीय भंडारण निगम (सीडब्ल्यूसी) एवं नाबार्ड परामर्श सेवाएं (नेबकॉन्स) के सहयोग से लागू किया गया है।
-राज्य सरकारों, भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ), राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) आदि के सहयोग से 500 अतिरिक्त प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) में पायलट परियोजना का विस्तार किया जा रहा है।
-राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों और राष्ट्रीय स्तर के सहकारी संघों- जैसे एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नैफेड) ने परियोजना के तहत भंडारण क्षमता और अन्य कृषि अवसंरचना के निर्माण के लिए अतिरिक्त पैक्स की पहचान की है।