Trending News

 जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में 2 आतंकी ढेर, 12 घंटे तक चली मुठभेड़, LoC पर घुसपैठ की कोशिश नाकाम         भारत में 3 कफ सिरप कोल्ड्रिफ, रेस्पिफ्रेश टीआर और रिलाइफ के खिलाफ WHO की चेतावनी, कहा- इनसे जान को खतरा, MP में कोल्ड्रिफ से 25 बच्चों की मौत हुई         भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था कर रही है ग्‍लोबल इकनॉमी की अगुवाई, IMF चीफ क्रिस्टालिना जॉर्जीवा बोलीं- मैं भारत को लेकर उत्साहित, बदल रहे वैश्विक विकास के पैटर्न, दुनिया का ग्रोथ इंजन बन रहा भारत         भारत में अब तक का सबसे बड़ा निवेश करेगा Google, आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में 15 अरब डॉलर में तैयार होगा एशिया का सबसे बड़ा AI डेटा सेंटर         गाजा में लागू हुआ संघर्ष विराम, मिस्र की राजधानी में शांति समझौते पर हुए हस्ताक्षर, हमास ने छोड़े इजरायल के 20 जीवित और 28 मृत बंधक, जीवित बंधकों में एक भी महिला नहीं, शांति सम्मेलन में 20 से अधिक देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने लिया भाग        

राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन से सशक्त हो रहे अन्नदाता, जलवायु संकट में बना किसानों की नई उम्मीद

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने 10 वर्षों में 2900 जलवायु-अनुकूल फसल किस्में विकसित कीं है। राष्ट्रीय नवाचार जलवायु अनुकूल कृषि (NICRA) परियोजना, ग्राम स्तरीय बीज बैंक, और मेघदूत-मौसम एप जैसे कदमों से किसानों को सूखा, बाढ़ और गर्मी जैसे संकटों से निपटने में मदद मिल रही है।

Published: 14:48pm, 25 Jul 2025

जलवायु परिवर्तन के कारण खेती पर बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार ने राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन के तहत एक व्यापक रणनीति तैयार की है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसानों की उपज मौसम की अनिश्चितताओं के प्रभाव को सह सके और उन्हें न्यूनतम नुकसान हो। केंद्र सरकार ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी।

कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने पिछले दस वर्षों (2014-2024) में कुल 2900 फसल किस्में विकसित की हैं। इनमें से 2661 किस्में सूखा, बाढ़ और गर्मी जैसी परिस्थितियों में सहनशील पाई गई हैं।

NICRA परियोजना के तहत व्यापक कार्य

राष्ट्रीय नवाचार जलवायु अनुकूल कृषि (NICRA) परियोजना के अंतर्गत 151 जलवायु-संवेदनशील जिलों के 448 गांवों में 11 फसलों की कुल 298 किस्मों का प्रदर्शन किया गया है। इस प्रयास में कुल 11835 किसानों को शामिल किया गया, जिनमें विशेष रूप से 72 सूखा-प्रवण जिलों के 5278 आदिवासी और सीमांत किसानों को सहनशील बीजों की आपूर्ति की गई।

बीज उत्पादन और वितरण को मिला बल

वर्ष 2014-15 से बीज एवं रोपण सामग्री उप-मिशन (SMSP) लागू किया गया, जिसका उद्देश्य गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन और वितरण सुनिश्चित करना था। यह उप-मिशन अब राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन (NFSNM) में एकीकृत कर दिया गया है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इसमें 270.90 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें से 206.86 करोड़ रुपये राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को और 141.46 करोड़ रुपये बीज ग्राम कार्यक्रम के लिए जारी किए गए हैं।

ग्राम स्तर पर बीज बैंक और नर्सरी की स्थापना

NICRA के तहत गोद लिए गए गांवों में बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु ग्राम स्तर पर बीज बैंक और सामुदायिक नर्सरी स्थापित की जा रही हैं। चावल, गेहूं, सोयाबीन, सरसों, चना, ज्वार और फॉक्सटेल बाजरा जैसी फसलों की जलवायु-अनुकूल किस्मों का प्रदर्शन किया गया है। इसके साथ ही कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (ATMA) के माध्यम से किसानों को उन्नत बीज और आधुनिक कृषि तकनीकों पर प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है।

मौसम आधारित सलाहकार सेवाएं

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के माध्यम से ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (GKMS) के तहत पांच दिवसीय पूर्वानुमान जारी किया जाता है। 130 कृषि मौसम क्षेत्र इकाइयों द्वारा क्षेत्रीय भाषाओं में मौसम आधारित सलाह तैयार की जाती है। किसान ‘मेघदूत’ और ‘मौसम’ मोबाइल एप्स के माध्यम से अलर्ट और कृषि सलाह प्राप्त कर सकते हैं। ये सेवाएं अंग्रेज़ी सहित 13 क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त, पंचायत स्तर पर ई-ग्राम स्वराज, ग्राम मंचित्र, मेरी पंचायत और मौसमग्राम वेब पोर्टलों के माध्यम से भी जानकारी प्रदान की जा रही है।

सतत कृषि की दिशा में सशक्त पहल

राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने, किसानों की आय बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इन योजनाओं के माध्यम से भारत सरकार कृषि को जलवायु अनुकूल, टिकाऊ और लचीला बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है।

YuvaSahakar Desk

Recent Post

0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x