आज के समय में जब माना जा रहा है कि पुस्तकों की तरफ लोगों का आकर्षण कम होता जा रहा है, पुणे पुस्तक महोत्सव इस धारणा को निरंतर गलत साबित कर रहा है। महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी माने जाने वाले पुणे शहर में नेशनल बुक ट्रस्ट की तरफ से आयोजित पुस्तक महोत्सव 2024 ने भव्यता और सफलता की नई ऊंचाइयां हासिल की। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण बन गया क्योंकि इस दौरान एक साथ पांच गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बने। तेजी से डिजिटल होते जा रहे जिस युग में पत्र-पत्रिकाओं की तरफ से युवा मुख मोड़ते दिखते हैं उस दौर में पुणे महोत्सव में पुस्तकों की बिक्री में युवाओं की 60 से 70 प्रतिशत हिस्सेदारी सुकून देती है।
महोत्सव का उद्घाटन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी नौ दिन चले इस महोत्सव में शिरकत की। पुणे पुस्तक महोत्सव के संयोजक और नेशनल युवा कोआॅपरेशन सोसाइटी (एनवाईसीएस) की मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन राजेश पांडे ने युवा सहकार को बताया, ‘पुस्तक महोत्सव का अनुभव इस भ्रांति को गलत साबित करता है कि युवा पीढ़ी में पुस्तकों का मोह खत्म हो रहा है। जिस शिद्दत से इस महोत्सव में युवाओं ने भागीदारी दिखायी है उससे स्पष्ट है कि पुस्तकों की प्रासंगिकता अभी समाप्त नहीं हुई है।’
-पुस्तक महोत्सव में 10 लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया
-इस दौरान 25 लाख से ज्यादा किताबें बिकीं, 100 से अधिक नई पुस्तकें लॉन्च हुईं
– 40 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हुआ, 22 भारतीय भाषाओं के 700 प्रकाशक हुए शामिल
– तीन विशाल मंडपों में लगभग 12 लाख पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई गई
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने संबोधन में कहा, ‘पुस्तक महोत्सव के आयोजन के लिए पुणे सबसे उपयुक्त शहर है। पुणे शहर ने पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने का मार्ग प्रशस्त किया है। भविष्य में मुंबई, नासिक, छत्रपति संभाजीनगर और नागपुर सहित अन्य शहरों में भी इसी तरह के पुस्तक महोत्सव आयोजित किए जाएंगे।’ नालंदा विश्वविद्यालय का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता साहित्य के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करने पर आधारित है। साहित्य रचनात्मकता को जीवित रखता है। आज की डिजिटल दुनिया में भले ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ने अत्यधिक महत्व प्राप्त कर लिया है, लेकिन यह मानव बुद्धिमत्ता का स्थान नहीं ले सकती जिसमें रचनात्मकता की शक्ति निहित है। आज के डिजिटल युग में भी साहित्य अपनी रचनात्मकता के माध्यम से मानवीय बुद्धि को प्रासंगिक बनाए रखेगा।
पांच गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड
पुणे पुस्तक महोत्सव 2024 इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण रहा कि इस दौरान एक साथ पांच गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बने जिसके लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की ओर से सर्टिफिकेट दिया गया। इस मेले में पहला रिकॉर्ड ‘किसी एक लेखक की पुस्तकों की सबसे बड़ी प्रदर्शनी’ के रूप में बना। जैन आचार्य रत्नसुंदर सूरीश्वरजी की 481 पुस्तकों की प्रदर्शनी के रूप में यह रिकॉर्ड बना। इसी तरह, किसी पुस्तक लॉन्च इवेंट के लिए सर्वाधिक यूट्यूब दर्शक के रूप में दूसरा विश्व रिकॉर्ड बना। इसके तहत वर्चुअल पुस्तक लॉन्चिंग ने ऑनलाइन सहभागिता के नए मानक स्थापित किए। सबसे बड़ी पुस्तक मोजेक के तौर पर तीसरा रिकॉर्ड बना। मेले में हजारों पुस्तकों से निर्मित ‘सरस्वती यंत्र’ का प्रतिरूप बनाया गया था जिसने गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। यही नहीं, भारतीय संविधान के आवरण का एक स्कल्पचर 97,020 पुस्तकों से बनाया गया जिसने सबसे बड़ी पुस्तक स्कल्पचर के तौर पर विश्व रिकॉर्ड बनाने में सफलता हासिल की। पांचवें गिनीज रिकॉर्ड के रूप में बुक कवर का सबसे बड़ा ऑनलाइन फोटो एलबम बनाया गया। इस एलबम में 11,11,228 डिजिटल बुक कवर को शामिल किया गया।
14-22 दिसंबर तक आयोजित हुए इस पुस्तक मेले को सांस्कृतिक और साहित्यिक पुनर्जागरण के रूप में देखा जा रहा है। इस दौरान न सिर्फ राज्य और देशभर से लोगों की भारी भागीदारी रही, बल्कि साहित्य महोत्सव का समावेश इसका एक उल्लेखनीय आकर्षण था जिसमें 50 से अधिक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हस्तियां एक साथ आईं। इसके अलावा, बाल फिल्म महोत्सव को छात्रों से उल्लेखनीय प्रतिक्रिया मिली जिससे यह सबसे लोकप्रिय आकर्षणों में से एक बन गया।
पुस्तक निस्वार्थ साथी: धर्मेंद्र प्रधान
पुस्तक महोत्सव में हिस्सा लेते हुए प्रधान ने कहा, ‘भारत की सभ्यता और संस्कृति में पुणे का अनन्य स्थान है। साहित्य के माध्यम से सभ्यता निरंतर चलती रहती है। साहित्य और भाषा की अभिव्यक्ति के प्रकार का नाम है पुस्तक। इसलिए कभी भी दुनिया के इतिहास की समीक्षा करते हैं, तो सामाजिक जीवन की निरंतरता की जानकारी पुस्तक के माध्यम से मिलती है। माता-पिता के बाद अगर कोई जीवन में निरंतर और निस्वार्थ साथी होता है तो वह पुस्तक है।’
पुणे के फर्गुसन कॉलेज ग्राउंड में हुए इस पुस्तक महोत्सव का आयोजन नेशनल बुक ट्रस्ट की ओर से किया गया था जिसका संयोजन समर्थ युवा फाउंडेशन ने किया था। सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय और पुणे नगर निगम का इसमें खास सहयोग था। पुणे पुस्तक महोत्सव पुणे की सांस्कृतिक पहचान की आधारशिला बन गया है और अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने की राह पर है। माना जा रहा है कि यह महोत्सव निकट भविष्य में पुणे को विश्व पुस्तक राजधानी के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा। इस महोत्सव में छात्रों, अभिभावकों और युवाओं की जबरदस्त भागीदारी ने पढ़ने और साहित्य को बढ़ावा देने वाले एक आंदोलन को मजबूत किया है जिससे पुणे और इसके आसपास के क्षेत्रों में एक मजबूत साहित्यिक संस्कृति का मार्ग प्रशस्त हुआ है।