किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं के चलते किसान अब ज्यादा कर्ज ले पा रहे हैं। साथ ही, कर्ज चुकाने में भी वे अब कोताही नहीं बरतते। खासकर कोरोना महामारी के बाद किसानों द्वारा बैंकों से लिए जाने वाले कर्ज में साल दर साल वृद्धि हो रही है। वित्त वर्ष 2019-20 से वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान कृषि ऋण में 15.2 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि देखी गई है। जबकि कृषि ऋण के एनपीए (गैर निष्पादित संपत्ति) में 2-4 प्रतिशत की गिरावट आई है। वित्त मंत्रालय द्वारा पिछले दिनों संसद में दी गई जानकारी में यह बात सामने आई है।
संसद के शीतकालीन सत्र में एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्रालय ने लोकसभा को बताया कि कोरोना महामारी के बाद देश में कृषि ऋण में 15.2% की वार्षिक दर से वृद्धि हुई है। जबकि कॉरपोरेट ऋण में उतार-चढाव देखने को मिलता रहा है। मार्च 2020 से मार्च 2024 के मध्य बैंकों से कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या में 381 लाख की वृद्धि हुई है। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि कोविड के कारण लाखों शहरी मजदूरों का अपने गांव में वापसी हुई। इस कारण कृषि गतिविधियों में पहले ज्यादा से वृद्धि हुई। कृषि गतिविधियों के बढ़ने में बैंक कर्ज का अहम योगदान है।
वित्त मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं। वित्त वर्ष 2019-20 में देश के 14.94 करोड़ किसानों ने कुल 20,58,730 करोड़ रुपये के कर्ज लिए जो वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 33,52,646 करोड़ रुपये पर पहुंच गए। इस वित्त वर्ष तक कृषि कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या भी बढ़कर 18.75 करोड़ पर पहुंच गई। वित्त वर्ष 2020-21 में जहां 15.32 करोड़ किसानों ने 22,77,428 करोड़ रुपये कर्ज लिए, वहीं 2021-22 में 16.12 करोड़ किसानों द्वारा 25,13,499 करोड़ रुपये कर्ज लिए गए। 2022-23 में 17.41 करोड़ किसानों ने 28,88,173 करोड़ रुपये के कृषि कर्ज लिए। इसी तरह, वित्त वर्ष 2019-20 में जहां वाणिज्यिक बैंकों का एग्री लोन एनपीए 10.10 प्रतिशत था जो वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 6.2 प्रतिशत रह गया। वहीं कोऑपरेटिव बैंक का एनपीए 7.99 प्रतिशत से घटकर 5.32 प्रतिशत और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का एनपीए 8.72 प्रतिशत से कम होकर 6.65 प्रतिशत पर आ गया।
वित्त मंत्रालय का कहना है कि किसानों की ऋण चुकाने की क्षमता में सुधार से कृषि ऋण के एनपीए में कमी आई है। इनमें वाणिज्यिक, सहकारी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से लिए गए ऋण शामिल हैं। किसानों के हित में शुरू की गई योजनाओं जैसे किसान क्रेडिट कार्ड, पीएम किसान सम्मान और प्रधानमंत्री फसल बीमा जैसी योजनाओं ने उत्पादन बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई हैं। इन योजनाओं से किसानों को वित्तीय सहायता, फसल बीमा और आय सहायता प्राप्त हुई है।