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हर गांव में एक सहकारी समिति, हर तहसील में 5 मॉडल सहकारी गांव विकसित करना राष्ट्रीय सहकारिता नीति का लक्ष्य- अमित शाह

2034 तक सहकारी क्षेत्र के GDP में योगदान को तीन गुना करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 50 करोड़ लोगों को सहकारी समितियों से जोड़ने, 30 प्रतिशत समितियों की संख्या बढ़ाने और प्रत्येक पंचायत में कम से कम एक प्राथमिक सहकारी इकाई स्थापित करने का रोडमैप तैयार किया गया है।

Published: 11:53am, 25 Jul 2025

– ‘सहकार से समृद्धि’ के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक मील का पत्थर है राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025

– प्रत्येक तहसील में पांच-पांच मॉडल सहकारी गांव स्थापित करना नई नीति का उद्देश्य

– प्रत्येक गांव में कम से कम एक सहकारी समिति की स्थापना का लक्ष्य

– ग्रामीण क्षेत्र, कृषि, महिलाएं, दलित और आदिवासी समुदाय हैं नीति का केंद्र बिंदु

– पर्यटन, टैक्सी, बीमा और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहकारी समितियों की स्थापना को प्रोत्साहन

– 2034 तक जीडीपी में सहकारिता का योगदान तीन गुना करने का लक्ष्य

– 50 करोड़ नए सदस्यों को जोड़ने और समितियों की संख्या में 30% वृद्धि का रोडमैप

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 24 जुलाई नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का अनावरण किया, जो भारत के सहकारिता क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इस अवसर पर केन्द्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर और मुरलीधर मोहोल, सहकारिता सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश प्रभु आदि उपस्थित रहे।

गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि यह नीति केवल दस्तावेज नहीं बल्कि ग्रामीण भारत, किसानों, महिलाओं, दलितों और आदिवासियों के लिए एक नई आशा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2002 में जब पहली बार राष्ट्रीय सहकारिता नीति लाई गई थी, तब भी अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी। अब 2025 में यह दूसरी बार सहकारिता नीति लाई गई है और यह भी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार की ही पहल है। उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र को समझने और इसके महत्व को पहचानने वाली सरकार ही इस क्षेत्र को सशक्त बना सकती है।

नीति निर्माण की प्रक्रिया

अमित शाह ने अपने संबोधन में बताया कि यह नीति सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में गठित 40 सदस्यों वाली समिति के व्यापक परामर्श और विचार-विमर्श का परिणाम है। समिति ने क्षेत्रीय कार्यशालाओं, सहकारिता क्षेत्र के नेताओं, विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और विभिन्न मंत्रालयों के साथ गहन चर्चा की। लगभग 750 सुझाव प्राप्त हुए, 17 बैठकें आयोजित की गईं, और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) तथा नाबार्ड के साथ परामर्श के बाद इस नीति को अंतिम रूप दिया गया। यह नीति न केवल सहकारिता क्षेत्र की वर्तमान आवश्यकताओं को संबोधित करती है, बल्कि भविष्य की चुनौतियों के लिए भी एक ठोस रणनीति प्रस्तुत करती है।

‘सहकार से समृद्धि’ का विजन

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के संकल्प को पूरा करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह नीति भारत को 2027 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य के साथ-साथ 140 करोड़ नागरिकों के समावेशी विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में काम करती है। शाह ने कहा कि भारत का मूल दर्शन एक ऐसा मॉडल विकसित करना है, जिसमें सामूहिकता के साथ सभी का विकास हो और सभी के योगदान से देश प्रगति करे।

सहकारिता मंत्रालय की स्थापना और उपलब्धियां

अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि आजादी के 75 वर्ष बाद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की। उस समय सहकारिता क्षेत्र जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था, लेकिन पिछले चार वर्षों में मंत्रालय ने इसे पुनर्जनन किया है। आज सहकारी इकाइयों के सदस्य गर्व और आत्मविश्वास से भरे हैं। उन्होंने कहा कि 2020 से पहले कुछ लोगों ने सहकारिता क्षेत्र को मृतप्राय घोषित कर दिया था, लेकिन आज वही लोग इस क्षेत्र के उज्ज्वल भविष्य की बात करते हैं। सहकारिता मंत्रालय ने कोऑपरेटिव सेक्टर को कॉरपोरेट क्षेत्र के समकक्ष खड़ा किया है, जिससे यह क्षेत्र न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हुआ है, बल्कि सामाजिक विकास का भी एक महत्वपूर्ण आधार बन गया है।

नीति का केंद्र: ग्रामीण भारत और महिलाएं

अमित शाह ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय सहकारिता नीति का केंद्र बिंदु 140 करोड़ लोग हैं, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र, कृषि, ग्रामीण महिलाएं, दलित और आदिवासी समुदाय। उन्होंने कहा कि केवल सहकारिता क्षेत्र ही छोटी-छोटी पूंजी को एकत्रित कर बड़े उद्यम स्थापित करने की क्षमता रखता है। इस नीति का विजन 2047 तक विकसित भारत का निर्माण करना है, जिसमें सहकारी इकाइयों को पेशेवर, पारदर्शी, तकनीक-युक्त और आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाया जाएगा। प्रत्येक गांव में कम से कम एक सहकारी इकाई स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

सहकारिता नीति के छह स्तंभ

राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए छह स्तंभ निर्धारित किए गए हैं:

  1. नींव का सशक्तिकरण: सहकारी इकाइयों की बुनियादी ढांचा और संस्थागत मजबूती।

  2. जीवंतता को प्रोत्साहन: सहकारी समितियों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सक्रिय बनाना।

  3. भविष्य के लिए तैयारी: तकनीक और नवाचार के माध्यम से सहकारी समितियों को भविष्योन्मुखी बनाना।

  4. समावेशिता को बढ़ावा: ग्रामीण क्षेत्रों, महिलाओं, दलितों और आदिवासियों की भागीदारी सुनिश्चित करना।

  5. पहुंच का विस्तार: सहकारी इकाइयों की पहुंच को ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों तक बढ़ाना।

  6. नए क्षेत्रों में विस्तार: पर्यटन, टैक्सी, बीमा और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहकारी समितियों की स्थापना।

नए क्षेत्रों में सहकारी समितियों का विस्तार

अमित शाह ने बताया कि सहकारिता मंत्रालय ने पर्यटन, टैक्सी, बीमा और हरित ऊर्जा जैसे उभरते क्षेत्रों में सहकारी इकाइयों की स्थापना के लिए विस्तृत योजनाएं तैयार की हैं। विशेष रूप से टैक्सी और बीमा क्षेत्र में जल्द ही उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिलेगी। इन क्षेत्रों में सहकारी इकाइयों की भागीदारी से न केवल आर्थिक लाभ होगा, बल्कि ग्रामीण स्तर की प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के सदस्यों तक इसका मुनाफा पहुंचेगा। इस प्रकार, एक मजबूत और आत्मनिर्भर सहकारी इकोसिस्टम का निर्माण किया जाएगा।

मॉडल सहकारी गांव और श्वेत क्रांति 2.0

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने बताया कि मॉडल सहकारी गांव की शुरुआत सबसे पहले गांधीनगर में हुई, जो नाबार्ड की पहल थी। अब प्रत्येक तहसील में पांच मॉडल सहकारी गांव स्थापित करने का लक्ष्य है। इसके साथ ही, श्वेत क्रांति 2.0 के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं की सहभागिता को बढ़ावा दिया जाएगा। ये योजनाएं सहकारी क्षेत्र को ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ बनाएंगी।

अमित शाह ने कहा कि सहकारी समितियों में पारदर्शिता और वित्तीय स्थिरता लाने के लिए कम्प्यूटरीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रत्येक इकाई को तकनीक-आधारित प्रबंधन प्रणाली से जोड़ा जाएगा, जिससे कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी और क्षमता में वृद्धि होगी। इसके लिए एक क्लस्टर और निगरानी तंत्र भी विकसित किया जाएगा। साथ ही, हर 10 वर्ष में सहकारी कानूनों में आवश्यक बदलाव की व्यवस्था की जाएगी।

हर गांव में एक सहकारी समिति का लक्ष्य

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि वर्ष 2034 तक सहकारी क्षेत्र का देश की जीडीपी में योगदान तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य है। इसके लिए 50 करोड़ नागरिकों को सहकारी क्षेत्र का सक्रिय सदस्य बनाने और सहकारी समितियों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वर्तमान में देश में 8 लाख 30 हजार सहकारी समितियां हैं, और इस संख्या को और बढ़ाया जाएगा। हर गांव में एक सहकारी समिति हो, ये हमारी सरकार का लक्ष्य है।

आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था और गरीब वर्ग को देश के आर्थिक ढांचे का विश्वसनीय हिस्सा बनाना आवश्यक है। यह सहकारिता नीति इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। नीति का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र को न केवल आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है, बल्कि इसे रोजगार सृजन और व्यक्तिगत आत्मसम्मान का आधार भी बनाना है।

YuvaSahakar Desk

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