केंद्र सरकार ने घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देकर रोजगार बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए 58 स्थायी पर्यटन स्थलों की पहचान की है जिन्हें विकसित कर पर्यटकों को आकर्षित किया जाएगा। इनमें से 34 स्थानों को विकसित करने की परियोजनाओं को केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी है।
अपने जवाब में गजेंद्र शेखावत ने बताया है कि पर्यटन मंत्रालय ने स्थायी पर्यटन स्थलों को विकसित करने के उद्देश्य से स्वदेश दर्शन योजना को स्वदेश दर्शन 2.0 के तौर पर नया रूप दिया है और 58 स्थलों की पहचान की है। इनमें से 34 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इसके अतिरिक्त, स्वदेश दर्शन 2.0 के तहत एक उप-योजना के रूप में “चुनौती आधारित गंतव्य विकास (सीबीडीडी)” तैयार की गई है जिसका उद्देश्य पर्यटकों के अनुभव को बढ़ाने के लिए गंतव्य का समग्र विकास करना है।
यही नहीं, केंद्र सरकार ने ‘पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता (एसएएससीआई) – वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्रों का विकास’ योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 23 राज्यों में 3,295.76 करोड़ रुपये की लागत से 40 परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य देश के प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्रों का व्यापक विकास करना, वैश्विक स्तर पर उनकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग करना है।
पर्यटन मंत्रालय के इन पहलों से स्थानीय स्तर पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। पर्यटन मंत्रालय अपनी “सेवा प्रदाताओं के लिए क्षमता निर्माण (सीबीएसपी)” योजना के माध्यम से बिहार सहित देश भर में विभिन्न संस्थानों के जरिये रोजगारोन्मुख अल्पकालिक कौशल कार्यक्रम आयोजित करता है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य पर्यटन सेवा प्रदाताओं के प्रत्येक स्तर पर जनशक्ति को प्रशिक्षित और उन्नत करना है, ताकि देश की विशाल पर्यटन क्षमता का पूरा लाभ उठाया जा सके और स्थानीय लोगों को पेशेवर विशेषज्ञता प्रदान की जा सके।
पर्यटन मंत्रालय ने देश में पर्यटन स्थलों और घरेलू पर्यटन के विकास के लिए कई पहल की हैं। इनमें ‘स्वदेश दर्शन’, ‘राष्ट्रीय तीर्थयात्रा पुनरुद्धार और आध्यात्मिक विरासत संवर्द्धन अभियान मिशन (प्रसाद)’ और ‘पर्यटन इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए केंद्रीय एजेंसियों को सहायता’ योजनाओं के तहत देश के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर पर्यटन से संबंधित इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं के विकास के लिए राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों और केंद्रीय एजेंसियों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।