बिहार और झारखंड की प्रमुख सहकारी संस्था बिहार स्टेट कोऑपरेटिव मार्केटिंग यूनियन (बिस्कोमान) के अध्यक्ष सहित अन्य ऑफिस बियरर्स के लिए होने वाला चुनाव एक बार फिर से टल गया है। बिस्कोमान के निदेशक मंडल में नामित करने की राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) की मांग को देखते हुए केंद्रीय सहकारी चुनाव प्राधिकरण (सीईए) ने यह फैसला किया है।
सीईए ने चुनाव टालने संबंधी अधिसूचना 19 फरवरी को जारी की। 28 फरवरी को बिस्कोमान अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं अन्य ऑफिस बियरर्स का चुनाव निदेशकों द्वारा किया जाना था। निदेशकों का चुनाव पिछले महीने सीईए की निगरानी में हुआ था जिसमें सुनील सिंह पैनल के 12 और विशाल सिंह पैनल के 5 निदेशकों ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद बिहार सरकार ने नियमों का हवाला देते हुए निदेशक मंडल में तीन सदस्य नामित कर दिए थे जिस पर झारखंड सरकार ने आपत्ति दर्ज कराई थी। अब एनसीडीसी ने बोर्ड में नामित करने की मांग की है।
सीईए ने चुनाव से पहले एनसीडीसी की मांग पर सुनवाई करने का फैसला किया है। इस बार इसी वजह से चुनाव टाला गया है। बिहार सरकार ने मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी एक्ट, 2002 की धारा 48 का हवाला देते हुए कहा था कि बिस्कोमान में राज्य सरकार की 99.26 प्रतिशत हिस्सेदारी है, इसलिए उसे बोर्ड में निदेशक नामित करने का अधिकार है। नामित सदस्यों के वोटिंग अधिकार पर भी सवाल उठा था जिस पर सीईए ने 17 फरवरी को उन्हें वोटिंग देने पर फैसला सुनाया। इसके बाद सीईए ने 28 फरवरी को ऑफिस बियरर्स के चुनाव की तारीख तय की लेकिन 19 फरवरी को इसे टालने की अधिसूचना जारी कर दी।
बिहार सरकार के फैसले पर झारखंड सरकार ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि बिस्कोमान बोर्ड में निदेशक नामित करने के लिए बिहार सरकार ने उससे संपर्क नहीं किया, जबकि बिस्कोमान में बिहार और झारखंड की संयुक्त हिस्सेदारी है। इसके बाद बिस्कोमान के एमडी ने स्थित स्पष्ट करते हुए बताया था कि इस सहकारी संस्था की कुल शेयर पूंजी 30.86 करोड़ रुपये है जिसमें से बिहार और झारखंड की शेयर पूंजी संयुक्त रूप से 30.61 करोड़ रुपये (98.63 प्रतिशत) है। बाकी 42.38 लाख रुपये की शेयर पूंजी ग्रुप ए और ग्रुप बी सहकारी समितियों की है। एनसीडीसी और नाबार्ड जैसी संस्थाओं की इसमें कोई शेयरधारिता नहीं है।
इसके बावजूद एनसीडीसी की ओर से बोर्ड में निदेशक नामित करने की मांग कई सवाल खड़े करता है। इससे पहले बिस्कोमान निदेशकों के चुनाव में भी काफी विवाद हुआ था।