कृषि क्षेत्र का भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान जारी है। कृषि अभी भी खाद्य सुरक्षा और विकास की दृष्टिकोण से भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। वित्त वर्ष 2017-23 के दौरान कृषि क्षेत्र की सालाना वृद्धि दर औसतन 5 प्रतिशत रही है। कृषि और इससे संबंधित गतिविधियों का देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 16 फीसदी योगदान है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2024-25 में यह जानकारी दी गई है। सर्वे में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र ने पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय योगदान दिया है, जो सरकारी पहलों जैसे उत्पादकता, फसल विविधता को बढ़ावा देकर और कृषि आय में वृद्धि के कारण संभव हुई है। आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.3-6.8% रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 6.4% की वृद्धि का अनुमान है।
आर्थिक समीक्षा के अनुसार, कृषि और संबद्ध गतिविधियां भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है, जिन्होंने राष्ट्रीय आय और रोजगार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पिछले वर्षों में कृषि क्षेत्र ने सालाना औसतन 5 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की है। वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र ने 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। कृषि और संबंधित क्षेत्रों में चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2014-15 के 24.38 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 30.23 प्रतिशत दर्ज की है।
आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि पिछले एक दशक में कृषि आय 5.23% और गैर-कृषि आय 6.24% की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ी है। मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में कृषि क्षेत्र में 3.5% की वृद्धि दर्ज की गई। सर्वे में खरीफ फसलों का उत्पादन 1,647.05 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5.7% अधिक है।
फसल उत्पादन और विविधता
भारत अनाज उत्पादन के मामले में 11.6% का वैश्विक योगदान देता है, लेकिन हमारी उत्पादकता कई देशों से कम है। वर्ष 2012-13 से 2021-22 तक फसल क्षेत्र में सालाना 2.1% की वृद्धि हुई, जो मुख्यतः फल, सब्जियों और दालों के कारण संभव हो पाई। वहीं, खाद्य तेलों की वृद्धि दर मात्र 1.9% रही, जिससे हमारी आयात पर निर्भरता बनी हुई है।
हाई-वैल्यू कृषि क्षेत्र का विकास
बागवानी, मवेशी और मछली पालन जैसे क्षेत्रों में अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2014-15 से 2022-23 के दौरान फिशरीज में 13.67% और मवेशी पालन में 12.99% की वार्षिक वृद्धि दर्ज हुई। वित्त मंत्री ने बताया कि आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में फसल विविधीकरण की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
भविष्य की आवश्यकताएं
बढ़ती आय के साथ खानपान की प्राथमिकताओं में बदलाव हो रहा है, जिससे कृषि क्षेत्र की नीतियों में सुधार की जरूरत होगी। मजबूत फसल प्रबंधन और मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता है। सर्वेक्षण में जलवायु-प्रतिरोधी बीजों के विकास पर जोर दिया गया, जिससे कृषि उत्पादन में स्थिरता लाई जा सके।