उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई स्टार्टअप इंडिया पहल गेम चेंजर साबित हो रही है। इससे न सिर्फ देश के युवा सफल उद्यमी बन रहे हैं, बल्कि रोजगार सृजन में भी ये अहम भूमिका निभा रहे हैं। ये रोजगार के प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहे हैं। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, स्टार्टअप की बदौलत देश में करीब 16 लाख लोगों को रोजगार मिला है। साथ ही, स्टार्टअप की संख्या बढ़कर 1,57,000 हो चुकी है।
2016 में अपनी शुरुआत के बाद से डीपीआईआईटी द्वारा संचालित स्टार्टअप इंडिया पहल भारत में उद्यमिता को बढ़ावा देने में गेम चेंजर साबित हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार, 25 दिसंबर, 2024 तक स्टार्टअप इंडिया के तहत कम से कम एक महिला निदेशक वाली कुल 73,151 स्टार्टअप को डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता दी गई है। यह सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त 1,57,000 स्टार्टअप में से लगभग आधे का प्रतिनिधित्व करता है, जो नवाचार और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
युवा उद्यमी नए विचार, तकनीकी, इंटरनेट और उपलब्ध मानव संसाधनों की सहायता से सफल व्यापारी साबित हो रहे हैं। फिनटेक, एडुटेक, हेल्थ टेक और ई कॉमर्स के क्षेत्र में स्टार्टअप का प्रचलन बढ़ा है। देश में इसके लिए उपलब्ध इकोसिस्टम, वैश्विक पहुंच और सरकारी वित्तीय सहायता आदि की वजह से स्टार्टअप को सफल होने का बेहतर माहौल मिला है। यही वजह है कि भारत आज विश्व का सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बन गया है, जहां 100 से अधिक यूनिकॉर्न पंजीकृत हुए हैं। यूनिकॉर्न का मतलब ऐसे स्टार्टअप से है जिसका वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर हो गया हो या इसे पार कर गया हो।
रिपोर्ट के अनुसार, बायजू, नायका, जोमैटो, ओला आदि ने स्टार्टअप की श्रेणी में अपना अहम स्थान बनाया है। डीपीआईआईटी के अनुसार बेंगलुरू यानी सिलिकॉन वैली से शुरू हुए भारतीय स्टार्टअप ने वैश्विक स्तर पर अपनी विशेष पहचान बनाई है।