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छत्तीसगढ़ में सहकारिता को मिलेगा बढ़ावा, लघु वनोपज और डेयरी क्षेत्र में एनसीओल एवं एनडीडीबी से हुए ऐतिहासिक समझौते

Published: 13:07pm, 17 Dec 2024

छत्तीसगढ़ में लघु वनोपज और डेयरी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए दो ऐतिहासिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। प्रदेश में सहकारिता क्षेत्र को बढ़ाने में ये समझौते महत्वपूर्ण साबित होंगे। पहला समझौता जनजाति समूह के वनोपज सहकारी संस्था और राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (NCOL) के बीच हुआ। इस समझौते के तहत वन उत्पाद का सर्टिफिकेशन किया जाएगा ताकि बाजार में उसका अच्छा दाम मिल सके। दूसरा समझौता छत्तीसगढ़ सरकार, छत्तीसगढ़ दुग्ध संघ और राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) के बीच हुआ है। इससे राज्य में सहकारी डेयरी क्षेत्र को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। यह समझौता केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में हुआ।

लघु वनोपज संघ और एनसीओएल के बीच हुए समझौते का मुख्य उद्देश्य राज्य में जनजातीय समुदायों द्वारा एकत्र किए गए वनोपजों को संगठित करना, उनका प्रसंस्करण करना और बेहतर बाजार उपलब्ध कराना है। छत्तीसगढ़ के जैविक प्रमाणित उत्पाद जैसे जंगली वन शहद, इमली, काजू, चिरौंजी, महुआ और मोटे अनाज को “भारत ऑर्गेनिक्स” ब्रांड के तहत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ावा दिया जाएगा। यह पहल जनजातीय परिवारों की आय में वृद्धि के साथ-साथ वनोपज के संग्रहण और प्रसंस्करण में शामिल स्वयं सहायता समूहों को मजबूती प्रदान करेगी। जैविक प्रमाणित उत्पादों के लिए स्थायी संग्रहण प्रथाओं को भी इस समझौते के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाएगा।

इसी तरह, छत्तीसगढ़ सरकार और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के बीच हुए समझौते का उद्देश्य राज्य के डेयरी सहकारी क्षेत्र को सशक्त बनाना और दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करना है। राज्य में वर्तमान में कार्यरत 650 डेयरी सहकारी समितियों को बढ़ा कर 3850 तक किया जाएगा। साथ ही, 3200 नई बहुउद्देशीय प्राथमिक डेयरी सहकारी समितियों का गठन किया जाएगा। समझौते के तहत दूध संकलन की क्षमता को 79 हजार किलोग्राम से बढ़ाकर 5 लाख किलोग्राम प्रतिदिन और दूध प्रसंस्करण क्षमता को तीन गुना बढ़ाकर 4 लाख लीटर प्रतिदिन किया जाएगा। इसके अलावा, दूध की बिक्री को 10 गुना बढ़ाकर 4 लाख लीटर प्रतिदिन तक ले जाने का लक्ष्य है।

एनडीडीबी इस परियोजना के तहत प्रबंधकीय सहायता प्रदान करेगा और डेयरी संयंत्रों, कैटल फीड प्लांट और मिनरल मिक्स्ड प्लांट के लिए किसी भी तरह का तकनीकी सेवा शुल्क नहीं लेगा। इस परियोजना को केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं, नाबार्ड और राज्य सरकार के योगदान के माध्यम से वित्त पोषित किया जाएगा।

इस मौके पर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सहकारिता के माध्यम से दो अच्छी शुरूआत हो रही हैं। आज खानपान में विषैले तत्वों की मात्रा बढ़ने के कारण कई प्रकार की गंभीर बीमारियां लोगों को हो रही हैं। 140 करोड़ की आबादी वाले देश में बीमारियों का इलाज करने की जगह बीमारियां न हों, ऐसा खानपान लाना ज़रूरी है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में ऑर्गेनिक खेती पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की शुरूआत की गई है। आज बाजार में कई प्रकार के ऑर्गेनिक कहलाने वाले उत्पाद मिलते हैं लेकिन उनके सर्टिफिकेशन की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी ऑर्गेनिक उपज का उचित दाम नहीं मिलता था क्योंकि ये पता करना मुश्किल था कि उत्पाद ऑर्गेनिक हैं या नहीं। इस समझौते से ऑर्गेनिक उत्पादों को सर्टिफिकेशन भी मिलेगा और किसानों को उनकी उपज का उचित दाम भी मिलेगा। ये समझौता छत्तीसगढ़ के लाखों आदिवासी किसानों के जीवन में समृद्धि लाने वाला साबित होगा।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में डेयरी कोऑपरेटिव के लिए बहुत संभावनाएं हैं। हमें ये सुनिश्चित करना है कि राज्य के हर गांव में डेयरी कोऑपरेटिव बने। नक्सलवाद से मुक्त हुए क्षेत्रों में पिछड़े समाज की महिलाओं को सहकारिता के माध्यम से डेयरी के साथ जोड़कर उन्हें शोषण से मुक्त कराना न सिर्फ समय की ज़रूरत है, बल्कि हमारा धर्म भी है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की महिलाओं की भलाई सहकारिता से ही हो सकती है। एक आदर्श कोऑपेरेटिव व्यवस्था बनाने के लिए छत्तीसगढ़ में बहुत संभावनाएं हैं। यह जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।

 

YuvaSahakar Team

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