प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सहकार से समृद्धि के संकल्प को पूरा करने के लिए केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय की पहल ने रंग लाना शुरू कर दिया है। सहकारिता की सबसे निचली इकाई प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) को सशक्त बनाने का अभियान परवान चढ़ने लगा है। इसमें कानूनी सुधार के मद्देनजर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने केंद्र सरकार के मॉडल बायलॉज को लागू कर दिया है। सुधार की प्रक्रिया को और तेज करने के लिए पैक्स से अपेक्स (शीर्ष) तक की सहकारी संस्थाओं के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। कुल लक्षित 65,010 पैक्स में से 38,829 पैक्स में कंप्युटरीकरण हो चुका है, जिनमें से लगभग 25,000 पैक्स राज्य और केंद्रीय सहकारी संस्थाओँ से सीधे जुड़ भी चुके हैं। सहकारिता मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक आगामी वित्त वर्ष 2025-26 तक सभी पैक्स में कंप्युटरीकरण का कार्य संपन्न हो जाएगा।
केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के 31 मार्च 2024 के आंकड़ों के अनुसार 24 प्रमुख राज्यों में पैक्स के कंप्युटरीकरण की तीसरे चरण की प्रक्रिया शत प्रतिशत हो चुकी है। बाकी राज्यों में भी निर्धारित समय से पहले ही कंप्युटरीकरण का काम पूरा हो जाने की उम्मीद है। दरअसल, पैक्स डिजिटिलाइजेशन का कार्य तीन चरणों में पूरा किया जा रहा है। इसके पहले चरण में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को कंप्युटरीकरण के लिए पैक्स को चिन्हित करना है, जो पहले ही पूरा हो चुका है। दूसरे चरण में राज्यों को कंप्युटरीकरण के बाबत हार्डवेयर वितरित करना है, जिसमें 38,829 पैक्स को कंप्युटर हार्डवेयर प्राप्त हो चुके हैं। जबकि कंप्युटरीकरण के तीसरे और अंतिम चरण में पैक्स को राज्य व केंद्र की विभिन्न एजेंसियों से जोड़ना है। यह प्रक्रिया भी तेजी से पूरी हो रही है। 31 मार्च, 2024 तक तकरीबन 25,000 पैक्स आनबोर्ड हो चुके हैं।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में राज्य व केंद्रशासित प्रदेशों को पैक्स की सुदृढ़ीकरण के लिए चरणबद्ध तरीके से सभी तरह की मदद पहुंचाई जा रही है। इस योजना के लिए कुल 2516 करोड़ रुपए की कुल वित्तीय मदद उपलब्ध कराई जा रही है। इससे सभी छोटी बड़ी इकाइयों को परस्पर राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर से जुड़ जाएंगी। इस पूरी प्रक्रिया में सभी इकाइयां राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के माध्यम से राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) से जोड़ना शामिल है।
ताजा आंकड़ों के मुताबिक 30 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से 67,930 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के कंप्युटरीकरण के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। इसके लिए संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्र सरकार की हिस्सेदारी के रूप में 699.89 करोड़ रुपएं और केंद्रीय कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में नाबार्ड को 165.92 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं।
प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के कंप्युटरीकरण की परियोजना का उद्देश्य पैक्स के लिए मॉडल बायलॉज के तहत निर्धारित 25 से अधिक आर्थिक गतिविधियों के लिए एक व्यापक उद्यम संसाधन (ईआरपी) समाधान योजना लागू की गई। इसमें विभिन्न मॉड्यूल जैसे कि लघु, मध्यम और दीर्घकालिक ऋण के लिए वित्तीय सेवाएं, खरीद संचालन, सार्वजनिक वितरण दुकान (पीडीएस) संचालन, व्यवसाय योजना, उधार व परिसंपत्ति प्रबंधन आदि जैसे उद्यमों को शामिल किया गया है।
उद्यम संसाधन समाधान योजना आधारित सामान्य राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर, कॉमन एकाउंटिंग सिस्टम (सीएएस) और प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) के माध्यम से प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के निष्पादन में दक्षता लाने में मदद मिलती है। इसके अलावा पैक्स का कार्य प्रणाली और प्रशासन में पारदर्शिता लाने में सुधार हुआ है। पैक्स के सदस्यों के ऋण वितरण में शीघ्रता लाने, लागत में कटौती करने और भुगतान में असंतुलन को घटाने के साथ जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों तथा राज्य सहकारी बैंकों के साथ निर्बाध एकाउंटिंग में इसका उपयोग सुनिश्चित हुआ है। इस प्रणाली के लागू होने से यह किसानों के बीच पैक्स के कामकाज में विश्वसनीयता बढ़ी है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के संकल्प को पूरा करने और उनके दृष्टिकोण को साकार बनाने में मददगार साबित हुआ है।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) को मजबूत करने के लिए कई और पहलें हुई हैं। इनमें मॉडल बायलॉज सुधार की प्रमुख कड़ी है, जिसमें पैक्स के साथ, राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों समेत सभी हितधारकों के लिए यह बायल़ॉज काफी लाभप्रद साबित हुआ है। इससे सहकारी समितियों में महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनताति के सदस्यों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्राप्त होने लगा है। निष्क्रिय हो रहे पैक्स को दोबारा संचालित करने में सहूलियत मिली है। सोसाइटियों में सदस्यता के लिए कोई भी आवेदन कर सकता है, जिसे सामान्यतौर सदस्यता से इनकार नहीं किया जा सकता है।
पैक्स कंप्युटरीकरण के प्रमुख लक्ष्य
-पैक्स की परिचालन दक्षता बढ़ाना, ऋणों का तेजी से वितरण करना
-लेन-देन की लागत कम करना, भुगतान असंतुलन को कम करना
-जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों और राज्य सहकारी बैंकों के साथ निर्बाध एकाउंटिंग करना
-पारदर्शिता बढ़ाना, किसानों के बीच पैक्स के कामकाज में भरोसा बढ़ाना
-पैक्स को आत्मनिर्भर बनाना, बहुउद्देशीय, बहुआयामी संस्था बनाना
डेयरी सहकारी समितियां भी हो रहीं डिजिटल
‘सहकारी समितियों के बीच सहयोग’ नाम से संचालित पायलट परियोजना के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को डिजिटली सशक्त बनाया गया। इसके तहत महिला डेयरी किसानों को माइक्रो एटीएम प्रदान किया गया था, जिससे वह अपनी जरूरत की वस्तुएं खरीद सकती थीं। इसके लिए उन्हें नगदी की आवश्यकता नहीं पड़ती है। डेयरी सहकारी समितियों का कंप्युटरीकरण किया जा रहा है। इसके माध्यम से किसानों और पशु पालकों को आसानी से उनका भुगतान डिजिटली उनके बैंक खाते में किया जाता है। उनका सारा हिसाब किताब डिजिटल रहता है, जिससे उन्हें अपना लेखाजोखा रोजाना मिल जाता है।
लघु, सीमांत व भूमिहीन किसानों के साथ गरीबों और महिलाओं के रोजगार और अतिरिक्त आमदनी के साधन उपलब्ध कराने के लिए सहकारिता को माध्यम बनाया जा रहा है। इसी अभियान को आगे बढ़ाने के लिए श्वेत क्रांति 2.0 को शुरू किया गया है जिससे इन उद्देश्यों को पूरा करने में मदद मिलेगी। खासतौर पर उन राज्यों में इसे प्रमुखता से लागू किया जाएगा, जहां सहकारिता की कवरेज बहुत कम है। श्वेत क्रांति के तहत डेयरी सहकारी समितियों का गठन किया जाएगा, जिससे रोजगार पैदा होगा। इस पूरी प्रक्रिया में महिलाओं के सशक्तिकरण करने को बल मिलेगा। वर्तमान में भारत में डेयरी उद्योग से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 8.5 करोड़ से अधिक लोग जुड़े हुए हैं, जिनमें महिलाओं की भागीदारी सबसे अधिक है।
क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने के लिहाज से उत्तर प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के वंचित क्षेत्रों को लक्षित किया गया है। माना जा रहा है कि इस तरह के अभियान से पूरे देश में अधिक न्यायसंगत विकास सुनिश्चित हो सकेगा। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) अगले पांच वर्षों में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में 56,000 नए बहुउद्देशीय डेयरी सहकारी समितियां (डीसीएस) स्थापित करने का निश्चय किया गया है जबकि 46,000 मौजूदा पुरानी डीसीएस को और मजबूत करने की योजना तैयार की गई है। ऐसी सभी डेयरी समितियों को डिजिटल बनाया जा रहा है।
हरियाणा, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में डेयरी के विस्तार की संभावनाओं को देखते हुए सरकार ने इन राज्यों पर विशेष फोकस किया है। इसके तहत सहकारी समितियों से वंचित ग्राम पंचायतों में डेयरी सहकारी समितियां स्थापित करने के लिए 3.8 करोड़ रुपए के बजट के साथ फरवरी 2023 में एक पायलट परियोजना शुरू की गई थी, जिसकी सफलता के आधार पर इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। श्वेत क्रांति 2.0 की पहल का उद्देश्य 2028-29 तक डेयरी सहकारी समितियों द्वारा दैनिक दूध खरीद को 660 लाख किलोग्राम से बढ़ाकर 1,007 लाख किलोग्राम प्रतिदिन करना है। यह विस्तार दूध की उपलब्धता को जहां बढ़ाएगा वहीं देश में खाद्य सुरक्षा और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में योगदान देगा।