देश में विभिन्न वस्तुओं की समान आपूर्ति सुनिश्चित करने में सहकारिता सप्लाई चेन के ढांचे के लिए बेहद उपयोगी हो सकती है। इस मॉडल से सप्लाई चेन में मध्यस्थता को खत्म कर महंगाई को रोकने की दिशा में कारगर कदम उठाये जा सकते हैं।
कृषि आधारित किसान सहकारी समितियां हो या फिर उपभोक्ता आधारित फूड रिटेल सहकारिता, आपूर्ति चेन और लॉजिस्टिक सेवाएं उत्पादकों को बढ़ावा दे रही हैं। सहकारिता कई आर्थिक क्षेत्रों में अपने आपूर्ति चेन और लॉजिस्टिकस की कमियों को दूर करते हुए व्यवसाय को मजबूत करने व गुणवत्ता बढ़ाने के साथ ही यह भी सुनिश्चित कर रही है कि इसका सीधा लाभ उनके सदस्यों को भी मिले। आपूर्ति चेन के अन्य व्यवसायों और सहकारिता मॉडल में मुख्य अंतर यह है कि सहकारी समितियां अपने मूल सिद्धांतों के साथ काम करती हैं और इसीलिए वह केवल लाभ का व्यवसाय नहीं करती बल्कि इनका कारोबार समूह केंदित होता है।
गौरतलब है कि आपूर्ति चेन के संदर्भ में वैश्विक अर्थव्यवस्था में सहकारिता ने बेहतर आपूर्ति चेन प्रबंधन एससीएम का परिचय दिया है। सहकारिता सूक्ष्म से लेकर सीमांत समूह के किसानों तक आपूर्ति चेन को सुचारू रखती है, जिससे छोटे किसानों की भी बड़े बाजार तक पहुंच, जानकारी, तकनीकि और वित्तीय उपलब्धता आसान होती है, जिसका व्यक्तिगत तौर पर कभी लाभ नहीं उठाया जा सकता। सहकारिता में आपूर्ति चेन योजना का क्रियान्वयन, उत्पादों की आपूर्ति पर नियंत्रण, उत्पत्ति की जगह से सूचनाएं एकत्रित करना, इसके साथ ही उपभोक्ता स्तर पर डेटा का संकलन आदि शामिल है। सहकारिता सदस्य आधारित एक संगठन है, जिसमें सदस्य ही मालिक होते हैं, लोकतांत्रिक मूल्यों, समानता और सोलिडेटरी को सुनिश्चित करती है।
आपूर्ति चेन को बेहतर करने में कृषि की भूमिका
एशिया और अफ्रीका के देशों में कृषि सहकार को आपूर्ति चेन को बेहतर करने और आपूर्ति चेन में महत्वपूर्ण माना जाता है। जबकि छोटे किसान अकसर बाजार में कई तरह की चुनौतियों और संसाधनों की कमी का सामना करते हैं। भारत में किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा यह कहा गया कि ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीक की पहुंच सभी किसानों तक हो। सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन (एसएमएएम) के तहत किसानों को कृषि पर सौ प्रतिशत की लागत या दस लाख रुपए तक जो भी कम हो पर ड्रोन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इनमें फार्म मशीनरी ट्रेनिंग ओर टेस्टिंग इंस्टीट्यूट, आईसीएआर, कृषि विज्ञान केंद्र और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों की भूमिका अहम है, जोकि व्यापक स्तर पर किसानों के खेतों में तकनीकि का प्रदर्शन कर रही हैं। सहकारिता के माध्यम से संसाधनों और लॉजिस्टिक को पूल किया जा सकता है, इससे आधारभूत ढांचे और यातायात लागतों में कमी की जा सकती है। सहकारी समितियां एक दूसरी सहकारी समितियों के साथ व्यवसाय और लॉजिस्टिक में साझेदारी कर सकती हैं, सामूहिकता के आधार पर काम करके सहकारी समितियां व्यापक स्तर पर बड़े व्यवसाय का हिस्सा बन सकती हैं। सहकारिता आपूर्ति चेन के माध्यम से ग्रामीण स्तर की आखिरी आपूर्ति चेन की चुनौतियों का भी समाधान किया जा सकता है। क्राउडशिपिंग, ड्रोन डिलिवरी और स्वायतशासी वाहनों की पहुंच के माध्यम से दूरस्त क्षेत्रों में समय पर ऑर्डर को पहुंचाया जा सकता है।
भारत में सहकारी समितियों को एक बेहतर आपूर्ति चेन और लॉजिस्टिक संचालकों के रूप में देखा जाता है। कृषि, डेयरी सहकारी, उपभोक्ता और खाद्य में सहकारी समितियों ने ऐसे कई सफल उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। अमूल डेयरी, इंडियन फार्म फर्टिलाइजर लिमिटेड (इफको), कृषक भारती कोऑपरेटिव लिमिटेड (कृभको) आदि कई ऐसे सफल सहकारी संगठन हैं जिन्होंने बेहतर आपूर्ति के माध्यम से विश्व स्तर पर पहचान बनाई है।
तकनीक से बेहतर होती आपूर्ति चेन
सहकारिता में तकनीक का प्रयोग जैसे इंटरप्राइजेस रिर्सोस प्लानिंग (ईआरपी)और इंटरनेट आॅफ थिंग्स (आईओटी) सिस्टम तकनीकि से संचालन सुगम हो गया है। यह व्यवस्थाएं कई आयामों से व्यवस्था को बेहतर करती हैं, जिसमें खरीदरदारी से लेकर वितरण, रियल टाइम ट्रेकिंग और सही निर्णय के लिए डाटा परीक्षण आदि शामिल हैं। उदाहरण के लिए ईआरपी सिस्टम पर आर्गेनिक वैली कोऑपरेटिव का संचालन आपूर्ति चेन को स्ट्रीमलाइन करता है। जिससे ऑपरेशनल गुणवत्ता में 20 प्रतिशत तक सुधार होता है और 15 प्रतिशत तक क्षति को कम किया जा सकता है।
ब्लॉकचेन तकनीक- ब्लॉक चेन तकनीक सुरक्षित, पारदर्शी और बिना गलती के रिकार्ड संरक्षित करने में सहायता करती है। जो सहकारी क्षेत्र में निरंतरता, नैतिकता और लक्षित रहने के लिए जरूरी है। यह इस बात को सुनिश्चित करती है प्रत्येक ट्रांजेक्शन या लेनदेन पूरी तरह सुरक्षित है। इससे धोखेबाजी या गलती की संभावना नहीं है, इससे समूह सदस्यों का भरोसा बढ़ता है।
समग्र लॉजिस्टिक नेटवर्क- सहकारी संगठन लॉजिस्टिकस और संसाधनों के लिए साझेदारी करते हैं। उदाहरण के लिए वेयर हाउस और यातायात व्यवस्था का प्रयोग, साझेदारी के प्रयास लागत को कम करते हैं और सेवाओं को बेहतर करते हें।
सतत प्रक्रियाएं- सहकारी समितियां ग्रीन उपयोगों के माध्यम से अपनी आपूर्ति चेन में सतत प्रक्रियाओं को अपना रही हैं। उदाहरण के लिए यातायात मार्गो को सुगमता के आधार पर अपनाना, जिससे ईंधन की लागत कम होती है, इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग, वेयर हाउस में जीरो वेस्ट प्रोग्राम आदि का प्रयोग लागत को कम करता है।
सदस्यों के नवाचार- सहकारिताएं क्योंकि समूहों के बीच काम करती हैं, इसका सीधा फायदा यह मिलता है कि एक साथ कई लोगों की बौद्धिक क्षमताओं का प्रयोग सहकारिता के विकास में किया जा सकता है। सदस्यों में नवाचार उपायों को धरातल पर प्रयोग किया जाता है। इस तरह की लोकतांत्रित व्यवस्था सहकारिता के विकास के साथ ही सदस्यों के महत्व और उनके मूल्यों को भी आत्मसात करती है।
डाटा विश्लेषण और कृत्रिम बुद्धिमता- सहकारिता की आपूर्ति चेन में अब एआई का भी प्रयोग किया जा रहा है। एआई के प्रयोग से आपूर्ति चेन की मांग और आपूर्ति जरूरतों को पहले से ही अंदाजा लगाया जा सकता है। इस तकनीकि से प्रयोग से आपूर्ति चेन के पैटर्न को देखकर उनके आधार पर आपूर्ति को उपलब्ध कराया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर द लैंड ओ लेक सहकारिता में मांग और उपलब्ध स्टॉक का पता लगाने के लिए एआई आधारित विश्लेषण उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। सटीक भविष्यवाणी से 20 प्रतिशत तक सुधार किया जा सका, इससे अतिरिक्त स्टॉक पर होने वाली दस प्रतिशत अतिरिक्त खर्च को कम किया जा सका।
विकेंद्रीकृत वितरण मॉडल- आखिरी छोर तक आपूर्ति करने के लागत को कम करने के लिए सहकारी समितियों द्वारा विकेंद्रीकृत वितरण मॉडल को अपनाया गया। इस तरह के अति सुक्ष्म सेंटर को उपभोक्ताओं के बेहद नजदीक स्थापित किया गया, जिससे उपभोक्ता तक तुरंत ही कम समय में सेवा व उत्पादों को पहुंचाया जा सके।
सतत विकास, अर्थव्यवस्था में तेजी और समुदायों के विकास के लिए सहकारिता में नवाचारों का प्रयोग अनिवार्य है। कृषि क्षेत्र में सहकारी समितियों का महत्वपूर्ण योगदान है, जहां संसाधनों का सामूहिक प्रयोग, जोखिम का बंटवारा, बाजारों तक सामूहिक पहुंच आदि प्रयोग लागत को कम करते हैं। तकनीकि के प्रयोगों से सहकारिता का दायरा बढ़ रहा है। बीज और उर्वरक खरीद की बेहतर आपूर्ति चेन से गुणवत्ता में सुधार आया है। साझेदारी का प्रयोग आपूर्ति कतार्ओं और प्रबंधकों के रिश्ते को बेहतर कर रहा है, जिससे स्टॉक सेवाएं बेहतर हो रही हैं। इसके साथ स्थानीय स्तर पर उत्पादों और क्षमता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम सहकारिता सदस्यों के आत्मविश्वास को बढ़ा रहे हैं और वह अधिक मजबूती के साथ सहकारिता में अपने कदम आगे बढ़ा रहे हैं।