राजीव शर्मा
नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम देश में पहली बार आयोजित हुए वैश्विक सहकारी सम्मेलन का साक्षी बना। देश के लिए यह गौरव की बात थी। 107 देश के सहकार प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में शिरकत की, जिसका आयोजन अंतरराष्ट्रीय सहकारिता गठबंधन (आईसीए) और इफको के सौजन्य से किया गया। सहकारिता को लेकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शी नीति और देश के पहले सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह द्वारा सहकारिता के क्षेत्र में शुरू की गई महत्वपूर्ण पहलों के बिना यह संभव नहीं था। केंद्रीय मंत्री श्री अमित शाह ने पहली बार ‘सहकारिता में सहकार’ की दृष्टिकोण को समझा और कहा कि सहकारी समितियों के बीच सामंजस्य को बनाए रखने के लिए समितियों के बीच सहकार की भावना का होना जरूरी है।
‘सहकारिता में सहकार’ सहकारिता के सात प्रमुख सिद्धांतों में शामिल है, जिसको आईसीए द्वारा भी रेखांकित किया गया है। सहकारिता का यह सिद्धांत इस बात को दर्शाता है कि सहकारी समितियों को क्षेत्रीय, स्थानीय और अंतरदेशीय स्तर पर एक साथ मिलकर काम करना है, जिससे सही मायने में सहकारिता आंदोलन को मजबूती मिलेगी। एक साथ मिलकर काम करने का फायदा यह होगा कि सहकारी समितियां संसाधनों, जानकारियों, नेटवर्क का साझा प्रयोग कर सकेंगी जिससे सभी की सामूहिक तरक्की होगी। ‘सहकारिता में सहकार’ का सबसे अहम फायदा यह है कि यह उत्पादन की मात्रा को बढ़ा सकता है। सामूहिक प्रयासों के परिणाम अधिक कारगर और व्यापक होते हैं। कोई भी सहकारी समिति जो अकेले अधिक उत्पादन करने में सक्षम नहीं होती, ‘सहकारिता में सहकार’ की अवधारणा को अपनाकर अपने उत्पादन को कई गुना बढ़ा सकती हैं।
‘सहकारिता में सहकार’ सहकारिता के सात प्रमुख सिद्धांतों में शामिल है, जिसको आईसीए द्वारा भी रेखांकित किया गया है। सहकारिता का यह सिद्धांत इस बात को दर्शाता है कि सहकारी समितियों को क्षेत्रीय, स्थानीय और अंतरदेशीय स्तर पर एक साथ मिलकर काम करना है, जिससे सही मायने में सहकारिता आंदोलन को मजबूती मिलेगी।
संसाधनों का प्रयोग भी इसी सिद्धांत के माध्यम से हो सकता है। सहकारिता के माध्यम से सहकारी समितियां अपने संसाधनों का सामूहिक प्रयोग कर सकती हैं। सामूहिक प्रयास से मिलने वाले लाभ भी अधिक होंगे, जिसका सामूहिक रूप से वितरण किया जा सकता है। इस लिहाज से ‘सहकारिता में सहकार’ की अवधारणा को अपना कर समूह के सदस्यों की आजीविका को बेहतर किया जा सकता है। बाजार तक पहुंच भी ‘सहकारिता में सहकार’ के माध्यम से ही बनाई जा सकती है। छोटे या कम सदस्यों के समूह के बीच किए गए उत्पादन को हमेशा बड़ा बाजार हासिल करना मुश्किल होता है, जबकि समूह के साथ किए गए काम से अधिक व्यापक बाजारों तक पहुंच बनाई जा सकती है, जिससे उत्पादन का उचित मूल्य प्राप्त किया जा सकता है। फेडरेशन व बड़ी सहकारिता समितियों के साथ साझेदारी एक बड़े बाजार का रास्ता खोल सकती है। उदाहरण के लिए कृषि से जुड़ी सहकारी समितियां बड़े नेटवर्क के साथ साझेदारी करके अपने उत्पादन के साथ ही मांग को भी बढ़ा सकती हैं, जिससे सहकारी समितियों को स्थानीय बाजार के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार भी उपलब्ध हो सकेगा।
प्रश्न यह उठता है कि सहकारी समितियों के बीच सहकारिता के सिद्धांत को किस तरह मजबूत किया जाए। इसके लिए सहकारी समितियों के बीच नेटवर्क व साझेदारी को मजबूत करना होगा। एक ही क्षेत्र में काम करने वाली समितियां या एक भी क्षेत्र में काम करने वाले सहकारी संगठन आपस में मिलकर अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।
‘सहकारिता में सहकार’ के सिद्धांत से ही सहकारिता की सही नीतियों को अपनाए जाने के लिए आवाज उठाई जा सकती है। अधिक सदस्यों की संख्या वाली सहकारी समितियों की बात नीति निर्धारण के समय भी रखी जाती है। समितियों के प्रतिनिधि बड़ी समितियों में प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए सहकारी समितियों की समस्या के निराकरण के लिए बेहतर तरीके से आवाज बुलंद की जा सकती है। समूह के बीच काम करने का एक अन्य लाभ यह भी है कि प्रशिक्षण व तकनीकी दक्षता का फायदा सभी लोग उठा सकते हैं। सहकारी समितियों को तकनीक की जानकारी देने के लिए एनसीयूआई के एनसीडीसी द्वारा समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। प्रशिक्षण का प्रयोग सहकारी संगठनों के संचालन में करने से उसका सीधा फायदा उत्पादन और सहकारी समितियों की तरक्की के रूप में मिलता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि सहकारी समितियों के बीच सहकारिता के सिद्धांत को लागू करने से लाभ को अधिकतम किया जा सकता है।
अब प्रश्न यह उठता है कि सहकारी समितियों के बीच सहकारिता के सिद्धांत को किस तरह मजबूत किया जाए। इसके लिए सहकारी समितियों के बीच नेटवर्क व साझेदारी को मजबूत करना होगा। एक ही क्षेत्र में काम करने वाली समितियां या एक भी क्षेत्र में काम करने वाले सहकारी संगठन आपस में मिलकर अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं। इसके लिए सामूहिक रूप से मार्केटिंग अभियान चलाए जा सकते हैं, जिसके माध्यम से सहकारी समितियों द्वारा बनाए गए उत्पादों को एक ब्रांड के रूप में स्थापित करने में सहायता मिल सकती है। सामूहिक मार्केटिंग योजना का फायदा यह होगा कि अधिक से अधिक लोगों तक सहकारिता के अहम प्रयोगों को आसानी से पहुंचाया जा सकेगा। ज्वाइंट वेंचर या फिर संयुक्त उपक्रमों के गठन से भी ‘सहकारिता में सहकार’ को बढ़ावा दिया जा सकता है।
नवंबर 2024 में आयोजित तीन दिवसीय वैश्विक सहकारिता सम्मेलन में सहकारिता के विभिन्न पहलुओं के साथ इस सिद्धांत को व्यवहारिक रूप से लागू करने पर विस्तृत चर्चा की गई जिसका विश्व भर के प्रतिनिधियों ने समर्थन किया। निश्चित रूप से ‘सहकारिता में सहकार’ की यह अपील दूर तक जाएगी।
(लेखक एनसीयूआई के कार्यकारी निदेशक हैं)