कोऑपरेटिव बैंकों को मजबूत बनाने और उन्हें सार्वजनिक एवं निजी बैंकों की तरह प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए केंद्र सरकार लगातार कदम उठा रही है। इस कड़ी में अब कोऑपरेटिव बैंक की क्लीयरिंग कोऑपरेटिव बैंकों के माध्यम से ही की जाएगी। इसके लिए क्लीयरिंग हाउस बनाया जा रहा है जो अगले दो साल में अपनी सेवाएं देने लगेगा। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने यह जानकारी दी है।
अमित शाह ने महाराष्ट्र के पुणे में जनता सहकारी बैंक लिमिटेड की हीरक जयंती के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि लंबे समय से अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के लिए एक अंब्रैला संगठन बनाने पर विचार चल रहा था जिसका गठन हो चुका है। इस संगठन के लिए 300 करोड़ रुपये एकत्रित करने का काम पूरा कर लिया गया है। यह अंब्रैला संगठन कोऑपरेटिव बैंकों को हर प्रकार की सहायता देने में सक्षम होगा।
उन्होंने कहा कि देश में पहली बार कोऑपरेटिव बैंकों के लिए क्लीयरिंग हाउस बनाने की कल्पना की गई है जिसे अगले दो साल में पूरा कर लिया जाएगा। इससे देश के किसी भी हिस्से में स्थित कोऑपरेटिव बैंक की क्लीयरिंग कोऑपरेटिव बैंकों के माध्यम से ही होगी। इसके साथ राष्ट्रीयकृत बैंक, छोटे वित्तीय बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के लिए भी हम गवर्नेंस को सुदृढ़ करने और तकनीकी इनोवेशन्स को समाहित करने के लिए निगरानी की एक समिति बना रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सहकारिता मंत्रालय ने बहुत सारे काम अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के व्यापार को बढ़ाने के लिए किए हैं। इनमें आधार-इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम को कोऑपरेटिव बैंकों के लिए खोलने, गोल्ड लोन और हाउसिंग लोन की सीमा को बढ़ाने और एकमुश्त ऋण निपटान का प्रावधान भी कोऑपरेटिव बैंकों के लिए लागू होगा।
जनता सहकारी बैंक की स्थापना मोरोपंत पिंगले ने की थी 1949 में स्थापना के बाद जनता सहकारी बैंक 1988 में शेड्यूल्ड सहकारी बैंक बना। 2005 में इसने कोर बैंकिंग को स्वीकार किया और 2012 में मल्टी स्टेट शेड्यूल्ड कोऑपरेटिव बैंक बना। देश की सबसे पहली कोऑपरेटिव डी-मैट संस्था शुरू करने का सौभाग्य भी इसे मिला। बैंक की 71 शाखाएं शाखाओं, 2 एक्सटेंशन काउंटर्स, 1.75 लाख सदस्य और 10 लाख से ज्यादा खाताधारक हैं। बैंक की जमाराशि 9,600 करोड़ रुपये से अधिक है जो बैंक के प्रति लोगों के विश्वास को दर्शाता है।
अमित शाह ने कहा कि छोटी-छोटी पूंजी को मिलाकर एक बहुत बड़ा काम करने का नाम ही सहकारिता है। जनता सहकारी बैंक इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है जिसने ‘छोटे लोगों का बड़ा बैंक’ के सूत्र को सार्थक किया है।