बिहार राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (बिस्कोमान) के हाईप्रोफाइल चुनाव में सुनील सिंह के पैनल ने विशाल सिंह के पैनल पर एकतरफा जीत दर्ज की। निदेशक मंडल के 17 पदों के लिए हुए चुनाव में सुनील सिंह पैनल के 12 और विशाल सिंह पैनल के 5 सदस्यों ने जीत दर्ज की है। निदेशक मंडल के इन्हीं सदस्यों में से अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव 30 जनवरी को होगा।
राजद के पूर्व एमएलसी सुनील सिंह पिछले 22 साल से बिस्कोमान के अध्यक्ष रहे हैं। उनकी टक्कर एनसीसीएफ के अध्यक्ष विशाल सिंह से थी। विशाल सिंह को भाजपा और जदयू का समर्थन हासिल था। साथ ही उन्होंने सुनील सिंह के कई महत्वपूर्ण समर्थकों को अपने पाले में कर लिया था। इसके बावजूद वह उन्हें पटखनी देने में नाकाम रहे। हालांकि, इससे पहले नेफेड के उपाध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में विशाल सिंह ने सुनील सिंह को हराने में कामयाबी हासिल की थी। कहा तो यह भी जा रहा है कि विशाल को भाजपा के शीर्ष केंद्रीय नेता का भी वरदहस्त हासिल था। शायद इसीलिए सहकारी चुनाव प्रधारिकरण के चेयरमैन और वाइस चेयरमैन ने चुनाव (24 जनवरी) से दो दिन पहले ही पटना में डेरा डाल दिया था। सहकारी चुनाव प्राधिकरण केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के अधीन आता है।
निदेशक मंडल का चुनाव संपन्न होते ही यह तय माना जा रहा है कि सुनील सिंह की पत्नी वंदना सिंह बिस्कोमान की अगली अध्यक्ष बनेंगी। आखिर क्या वजह है कि जीत के बावजूद सुनील सिंह अध्यक्ष की कुर्सी पर नहीं बैठ पाएंगे। दरअसल, मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी (एमएससीएस) एक्ट में हुए संशोधन के मुताबिक, लगातार दो बार किसी सहकारी संगठन के अध्यक्ष पद पर रहने वाला व्यक्ति तीसरी बार अध्यक्ष नहीं बन सकता है। एक टर्म हटने के बाद अगले टर्म में वह इसके लिए फिर से पात्र हो सकता है। इसी नए नियम के तहत सुनील सिंह इस बार अध्यक्ष नहीं बन पाएंगे।
सुनील सिंह पैनल के विजयी सदस्यों में सुनील सिंह और उनकी पत्नी वंदना सिंह के अलावा अभिजीत कुमार, हीरा प्रसाद, राम कलेवर सिंह, पार्थ कुमार यादव, रमेश चंद्र चौबे, मधु प्रिया, साहीन कलाम, विनय कुमार यादव, मुनेश्वर पाहन और डॉ. जितेंद्र कुमार शामिल हैं। जबकि विशाल सिंह पैनल से जीते उम्मीदवारों में विशाल सिंह के अलावा महेश राय, शोभा सिंह, विनय कुमार शाही और दिनेश सिंह शामिल हैं।
इस चुनाव में अस्थावां के विधायक डॉ. जितेंद्र कुमार सबसे ज्यादा वोट से विजयी रहे हैं। कुल 269 वोटों में से उन्हें 197 वोट मिले। जबकि रमेश चौबे और पार्थ यादव ने सिर्फ 1-1 वोट से विजय हासिल की। इन दोनों को 120-120 वोट मिले। इन्होंने विशाल सिंह पैनल के मनोज कुमार और नवेंद्र झा को हराया। नवेंद्र झा पहले सुनील सिंह खेमे में थे जिन्हें चुनाव से ठीक पहले विशाल अपने गुट में लाने में सफल रहे थे।