बिहार स्टेट कोऑपरेटिव मार्केटिंग यूनियन (बिस्कोमान) के निदेशक मंडल के लिए 24 जनवरी को हुए हाईप्रोफाइल चुनाव में डाले गए वोटों की आज पुनर्मतगणना हो रही है। विशाल सिंह पैनल के बहुत कम वोटों से हारे उम्मीदवारों की ओर से सहकारी चुनाव प्राधिकरण (सीईए) को मतगणना में गड़बड़ी की शिकायत की गई थी और दोबारा गिनती कराने का आवेदन दिया गया था। उनके आवेदन पर विचार करते हुए ही पुनर्मतगणना हो रही है। सीसीटीवी की निगरानी में वोटों की दोबारा गिनती हो रही है।
सुनील सिंह पैनल ने विशाल सिंह पैनल पर निर्णायक जीत हासिल की थी। 17 सदस्यीय निदेशक मंडल में 12 सदस्य सुनील सिंह पैनल से और 5 विशाल सिंह पैनल से चुने गए थे। विजयी उम्मीदवारों को 30 जनवरी को सर्टिफिकेट दिया जाना था, लेकिन सहकारी चुनाव प्राधिकरण के फिर से वोटों की गिनती कराए जाने के आदेश से खलबली मच गई है। बिस्कोमान के 22 साल तक अध्यक्ष रहे राजद के पूर्व एमएलसी सुनील सिंह ने जीते उम्मीदवारों को हराने की साजिश का आरोप लगाते हुए आशंका जताई है कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में पिछले साल मतपत्रों से हुई छेड़छाड़ का तरीका यहां भी अपनाया जा सकता है।
एक आधिकारिक अधिसूचना में रिटर्निंग ऑफिसर ने 1 फरवरी को पुनर्मतणना कराने की जानकारी दी है। अधिसूचना में कहा गया है- “सहकारी चुनाव प्राधिकरण, सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली ने बिस्कोमान (बिहार-झारखंड) के निदेशक मंडल में समूह ‘ए’ (सामान्य) और समूह ‘ए’ (एससी/एसटी) पद के लिए मतपत्रों की पुनर्गणना का निर्देश दिया है। पुनर्मतगणना 1 फरवरी, 2025 को सुबह 11:00 बजे से श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल, गांधी मैदान, पटना में होगी। सभी संबंधित पक्षों से व्यक्तिगत रूप से या अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से उपस्थित होने का अनुरोध किया जाता है।”
क्यों होगी दोबारा गिनती?
दरअसल, सहकारी चुनाव प्राधिकरण के पास विशाल सिंह पैनल की ओर से यह शिकायत की गई कि वोटों की गिनती में गड़बड़ी हुई है। इस पैनल से निदेशक पद के दावेदार मनोज कुमार यादव एक वोट से हार गए और सुनील सिंह पैनल के रमेश चौबे जीत गए। इसी तरह, झारखंड की कमला तिरिया दो वोट से हार गई। इसे देखते हुए शिकायतकर्ताओं ने वोटों की दोबारा गिनती का आवदेन दिया जिस पर विचार करते हुए प्राधिकरण ने आदेश जारी कर दिया। निर्वाचन अधिकारी और पटना के डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने मीडिया को बताया कि 1 फरवरी को पुनर्मतगणना सीसीटीवी की निगरानी में की जाएगी।
हराने की साजिशः सुनील सिंह
इस आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए सुनील सिंह ने कहा कि पुनर्मतगणना का आदेश संविधान की हत्या है। उन्होंने अपनी जीत को पलटने की साजिश का आरोप लगाया है। उन्होंने सहकारी चुनाव प्राधिकरण (CEA) की ईमानदारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह चुनाव सहकारी चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की निगरानी में संपन्न हुआ था। वीडियो रिकॉर्डिंग कराई गई, लेकिन चुनाव संपन्न होने के पांच दिन बाद मतगणना दोबारा कराने का निर्णय गैरकानूनी है। पुनर्मतगणना के लिए अचानक आदेश सीईए की विश्वसनीयता और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा करता है। चंडीगढ़ मेयर कांड से भी बड़ा कांड पटना में होने की संभावना है। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि पुनर्मतगणना से उन्हें कोई समस्या नहीं है।
दूसरी ओर, विशाल सिंह का कहना है कि जब उम्मीदवार मामूली अंतर से हारते हैं तो पुनर्मतगणना स्वाभाविक मांग है। कुछ उम्मीदवारों के 20 से ज्याद वोट कैंसिल कर दिए गए हैं। उन्हें निष्पक्ष मौका मिलना चाहिए। सुनील सिंह चाहें तो अपने हारे उम्मीदवारों के लिए भी दोबारा मतगणना का आवेदन दे सकते हैं।