फिल्मकार अनुराग कश्यप की एक बहुचर्चित फिल्म आई थी जिसका नाम था गैंग्स ऑफ वासेपुर। दो भाग में आई इस फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दिकी का एक डायलॉग बड़ा मशहूर हुआ था- बाप का दादा का सबका बदला लेगा फैजल। कुछ इसी तर्ज पर इस बार बिहार राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (बिस्कोमान) का चुनाव हो रहा है। बिहार की इस प्रमुख सहकारी संस्था के निदेशक मंडल का चुनाव 24 जनवरी को हो रहा है। पहले यह चुनाव 16 जनवरी को होने वाला था लेकिन निदेशक पद के एक उम्मीदवार विष्णुदेव राय के निधन के बाद चुनाव की तारीख को आगे बढ़ा दिया गया।
बिस्कोमान के चुनाव में एक तरफ मौजूदा अध्यक्ष और राजद के पूर्व एमएलसी डॉ. सुनील सिंह और उनका पैनल है, जिसका मुकाबला एनसीसीएफ (नेशनल कंज्यूमर कोऑपरेटिव फेडरेशन) के अध्यक्ष विशाल सिंह और उनके पैनल से है। सुनील सिंह पिछले 21 साल से बिस्कोमान के अध्यक्ष हैं। उन्हें सहकारी क्षेत्र का बड़ा नेता माना जाता है। वे नेफेड के उपाध्यक्ष और कृभको के बोर्ड में निदेशक भी रहे हैं। बिस्कोमान को घाटे से उबार कर मुनाफे में लाने में उनका बड़ा योगदान रहा है। बिहार की राजनीति में उन्हें लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवा का मुंहबोला भाई कहा जाता है और मुखर बयान देने के लिए भी जाना जाता है। कुछ महीने पहले उन्होंने विधान परिषद में नीतीश कुमार की मिमिक्री की थी जिसकी वजह से उनकी सदस्यता चली गई।
दूसरी ओर, उपभोक्ताओं की राष्ट्रीय स्तर की सहकारी संस्था एनसीसीएफ के अध्यक्ष विशाल सिंह सहकारी क्षेत्र के बड़े नेता और कांग्रेस के पूर्व सांसद स्व. तपेश्वर सिंह के पोते हैं। तपेश्वर सिंह को बिहार में सहकारिता सम्राट के नाम से जाना जाता है। बिस्कोमान की स्थापना का श्रेय उन्हें ही है। वे इसके संस्थापक अध्यक्ष रहे हैं। इसके अलावा, विशाल सिंह के पिता स्व. अजीत सिंह और मां मीना सिंह भी बिक्रमगंज से सांसद रहे हैं। तपेश्वर सिंह भी यहीं से चुने गए थे। भोजपुर इलाके में इनके परिवार की मजबूत राजनीतिक पकड़ रही है। अजीत सिंह भी एनसीसीएफ के अध्यक्ष रह चुके हैं। मीना सिंह जदयू की सांसद रही हैं। पिछले साल उन्होंने बेटे विशाल के साथ भाजपा ज्वॉइन कर लिया था।
क्यों रोचक हुआ मुकाबला
इस बार का चुनाव इसलिए दिलचस्प हो गया है क्योंकि चर्चा है कि विशाल सिंह ने सुनील सिंह के खेमे के कुछ सदस्यों को अपने पाले में कर लिया है। इनमें गोपालगंज डीसीसीबी के अध्यक्ष महेश राय, मधुबनी के सहकारी नेता नवेंद्र झा, छपरा के सहकारी नेता दिनेश सिंह, मुंगेर जनाई डीसीसीबी अध्यक्ष की बेटी निशा कुमार समेत अन्य शामिल हैं। इससे पहले भी विशाल सिंह मई 2024 में नेफेड के हुए चुनाव में उपाध्यक्ष पद पर सुनील सिंह को पटखनी दे चुके हैं।
दरअसल, सुनील सिंह से विशाल सिंह के परिवार की अदावत पुरानी है। बिहार के सहकारी क्षेत्र में तपेश्वर सिंह और उनके परिवार का बड़ वर्चस्व था। तपेश्वर सिंह के निधन के बाद भी बिस्कोमान में उनके लोगों की तूती बोलती रही। मगर जब सुनील सिंह बिस्कोमान के अध्यक्ष बने तो उन्होंने चुन-चुन कर उनके लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया और अपना वर्चस्व स्थापित किया। तपेश्वर सिंह के बेटे अजीत सिंह की असामयिक मौत की वजह से भी सहकारी क्षेत्र में इस परिवार की पकड़ कमजोर होती चली गई। विशाल सिंह की मां मीना सिंह जदयू से दो बार सांसद जरूर बन गईं लेकिन सहकारिता क्षेत्र में परिवार की विरासत को लौटा नहीं पाई। 35 साल के युवा विशाल अब उस खोई विरासत को वापस लाने में जुटे हैं। पहले एनसीसीएफ अध्यक्ष, फिर नेफेड के उपाध्यक्ष बने और अब बिस्कोमान अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी ठोक रहे हैं।
अगर विशाल जीत गए तो सुनील सिंह से न सिर्फ उनका बदला पूरा हो जाएगा, बल्कि बिहार के सहकारिता क्षेत्र में उनके परिवार का जो वर्चस्व रहा है वह फिर से कायम हो जाएगा। हालांकि, सुनील सिंह भी चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं और पूरा दमखम दिखा रहे हैं। वह लगातार वोटरों को अपने पक्ष में लामबंद करने की कोशिश में जुटे हैं। झारखंड के ज्यादातर वोटरों ने उन्हें समर्थन देने का पहले ही ऐलान कर दिया है।
कितने मतदाता लेंगे हिस्सा
बिस्कोमान के निदेशक मंडल के चुनाव में कुल 269 मतदाता भाग लेंगे। इनमें बिहार के 182 और 87 झारखंड से हैं। 17 सदस्यीय निदेशक मंडल के चुनाव के लिए 24 जनवरी दोपहर 2 बजे तक मतदान होगा और उसी दिन मतगणना भी पूरी कर ली जाएगी। चुनाव परिणाम 27 जनवरी को सहकारी चुनाव प्राधिकरण की मंजूरी के बाद घोषित किए जाएंगे।