केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का गुरुवार को नई दिल्ली में लोकार्पण किया। यह नीति सहकारिता आंदोलन को नवाचार, आधुनिक तकनीक और युवा शक्ति से जोड़कर भविष्य का खाका तैयार करेगी जिससे विकसित भारत 2047 के विजन को पूरा करने में मदद मिलेगी। नई सहकारिता नीति 2045 तक भारत के सहकारी आंदोलन में एक मील का पत्थर साबित होगी।
इस अवसर पर नई दिल्ली स्थित अटल अक्षय ऊर्जा भवन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि नई सहकारिता नीति 2025 का उद्देश्य सहकारिता क्षेत्र को पुनर्जीवित करने और आधुनिक बनाने के साथ-साथ जमीनी स्तर पर एक रोडमैप बनाकर सहकार से समृद्धि के विजन को साकार करना है। इससे पहले वर्ष 2002 में देश की पहली राष्ट्रीय सहकारिता नीति जारी की गई थी, जिसमें सहकारी संस्थाओं की आर्थिक गतिविधियों के बेहतर प्रबंधन के लिए एक आधारभूत रूपरेखा दी गई थी।
पिछले 20 वर्षों में वैश्वीकरण और तकनीकी प्रगति के कारण समाज, देश और विश्व में कई बड़े परिवर्तन हुए हैं। इन परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए नई नीति बनाना आवश्यक हो गया था, ताकि सहकारी संस्थाओं को वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में अधिक सक्रिय और उपयोगी बनाया जा सके और ”विकसित भारत 2047” के लक्ष्य को हासिल करने में सहकारिता क्षेत्र की भूमिका मजबूत हो सके।
राष्ट्रीय सहकारिता नीति का उद्देश्य सहकारी संस्थाओं को समावेशी बनाने, उनका पेशेवर तरीके से प्रबंधन करने, उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने और विशेष रूप से ग्रामीण भारत में बड़े पैमाने पर रोजगार और आजीविका के अवसर सृजित करने में सक्षम बनना है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में 48 सदस्यीय राष्ट्रीय स्तर की समिति ने नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति तैयार की है।
इस समिति में राष्ट्रीय/राज्य सहकारी संघों, सभी स्तरों और क्षेत्रों की सहकारी समितियों के सदस्य, संबंधित केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रालय/विभाग के प्रतिनिधि और शिक्षाविद शामिल थे। एक सहभागी और समावेशी दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए, समिति ने अहमदाबाद, बेंगलुरु, गुरुग्राम और पटना में 17 बैठकें और 4 क्षेत्रीय कार्यशालाएँ आयोजित कीं। इनमें हितधारकों से प्राप्त 648 बहुमूल्य सुझावों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन कर उन्हें नई सहकारिता नीति में शामिल किया गया।
राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 के प्रमुख उद्देश्य
-सहकारिता आधारित आर्थिक संरचना को सुदृढ़ करने, नीतिगत सुधारों की आधारशिला रखने और ग्रामीणों को समृद्धि बनाने का आधार बनेगी नई नीति
-हर जिले में बहुउद्देशीय पैक्स के जरिए एक मॉडल कोऑपरेटिव गांव बनाना
-आगामी 10 वर्षों में 50 करोड़ लोगों कोसहकारी ढांचे से जोड़ना और इसका आर्थिक योगदान तीन गुना करना
-डेयरी सहकारिता समितियों के माध्यम से श्वेत क्रांति 2.0 के जरिए महिला सशक्तिकरण और रोजगार को बढ़ावा
-तिलहन, दलहन, मक्का और मोटे अनाज की पैदावार बढ़ाकर खाद्य आत्मनिर्भरता को मजबूत करना
-सहकारी शुगर मिलों को वैकल्पिक स्रोतों से एथनॉल उत्पादन के लिए प्रोत्साहन
-सहकारी संस्थाओं को ‘एक जिला एक उत्पाद’ जैसी योजनाओं से जोड़कर निर्यात को बढ़ावा देना
– शहद, मसाले, चाय, कॉफी, रेशम, फूल व मशरूम जैसे ग्रामीण विशेष उत्पादों के क्लस्टर विकसित करना
-नई पॉलिसी में सहकारी संस्थाओं को समावेशी बनाने, उनका पेशेवर तरीके से प्रबंधन करने और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने पर फोकस
-नए भारत को ‘सहकार से समृद्धि’ के मार्ग पर सतत रूप से करेगी अग्रसर करेगी सहकारिता नीति 2025
-नई सहकारिता नीति 2025 का उद्देश्य सहकारिता क्षेत्र को पुनर्जीवित करना और आधुनिक बनाना है
-जमीनी स्तर पर रोडमैप बनाकर ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को साकार करेगी सहकारिता नीति
-वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में सहकारी समितियों को जीवंत बनाएगी नई नीति
-सहकारी संस्थाओं को ग्रामीण भारत में बड़े पैमाने पर रोजगार और आजीविका के अवसर सृजित करने में सक्षम बनाएगी नई सहकारी नीति