हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का शुक्रवार को 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे पिछले एक सप्ताह से बीमार थे। आज सुबह तबीयत बिगड़ने पर उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल ले जाया गया जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुडा सहित अनेक नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए गहरा दुख जताया है। उनका अंतिम संस्कार शनिवार दोपहर में उनके पैतृक गांव तेजाखेड़ा में किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। प्रदेश की राजनीति में वे वर्षों तक सक्रिय रहे और चौधरी देवीलाल जी के कार्यों को आगे बढ़ाने का निरंतर प्रयास किया। शोक की इस घड़ी में उनके परिजनों और समर्थकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।’ हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शोक जताते हुए लिखा, इनेलो के सुप्रीमो और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला जी का निधन अत्यंत दुखद है। मेरी ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। उन्होंने प्रदेश और समाज की जीवनपर्यंत सेवा की। देश व हरियाणा की राजनीति के लिए यह अपूरणीय क्षति है। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान और शोकाकुल परिजनों को यह दुख सहने की शक्ति दें।
ओमप्रकाश चौटाला का जन्म 1 जनवरी 1935 को सिरसा के गांव चौटाला में हुआ था। चौटाला चार बार हरियाणा के सीएम रहे। वे पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल के बेटे थे। उनके दो बेटे और तीन बेटियां हैं। उनके बेटे अभय सिंह चौटाला और अजय सिंह चौटाला भी राजनीति में सक्रिय हैं। उनके पोते दुष्यंत चौटाला हरियाणा की पिछली सरकार में उपमुख्यमंत्री थे। दो दिसंबर 1989 को चौटाला पहली बार मुख्यमंत्री बने थे।
वे 22 मई 1990 तक इस पद पर रहे। 12 जुलाई 1990 को चौटाला ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद को शपथ ली थी, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता को दो माह में ही पद से हटा दिया गया था। हालांकि, चौटाला को भी पांच दिन बाद ही पद से त्यागपत्र देना पड़ा था। 22 अप्रैल 1991 को तीसरी बार चौटाला ने सीएम पद संभाला। लेकिन दो हफ्ते बाद ही केंद्र सरकार ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। इसके बाद 24 जुलाई 1999 को वे चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने और पांच साल का कार्यकाल पूरा करते हुए 5 मार्च 2005 तक मुख्यमंत्री रहे।
उन पर जूनियर बेसिक शिक्षकों की भर्ती में धांधली करने के आरोप लगे जिसके लिए उन्हें 2013 में दिल्ली की एक अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी सजा को बरकरार रखा।