सरकार ने सहकारी बैंकों के संचालन में बड़ा बदलाव करते हुए यह साफ कर दिया है कि निदेशकों के कार्यकाल को लेकर नया नियम अब 1 अगस्त 2025 से लागू होगा। इसका मतलब है कि यह नियम आने वाले समय में लागू होगा, पीछे की तारीख से नहीं।
केंद्र सरकार ने हाल ही में बैंकिंग क़ानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 की कुछ प्रमुख धाराओं को अधिसूचित किया है, जिससे सहकारी बैंकों में निदेशकों के कार्यकाल को लेकर चल रही असमंजस की स्थिति अब खत्म हो गई है।
अब क्या बदलेगा?
अभी तक सहकारी बैंकों के निदेशक अधिकतम 8 साल तक पद पर रह सकते थे। लेकिन संशोधित कानून के तहत, यह सीमा बढ़ाकर 10 साल कर दी गई है। यानी अब कोई भी निदेशक एक ही बैंक में लगातार 10 साल तक पद पर रह सकता है।
यह नियम 1 अगस्त 2025 से लागू होगा। यानी जो निदेशक 1 अगस्त 2025 से पहले 10 साल पूरे कर लेंगे, वे फिर से चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन 1 अगस्त 2025 के बाद चुने गए या फिर से चुने गए निदेशकों पर यह 10 साल की सीमा लागू होगी।
क्या है अन्य बदलाव?
अब एक केंद्रीय सहकारी बैंक का निदेशक अगर राज्य सहकारी बैंक की बोर्ड में चुना जाता है, तो वह दोनों जगह पद पर रह सकता है। पहले यह सुविधा केवल आरबीआई द्वारा नामित निदेशकों को ही मिलती थी।
अब चुने गए कुछ निदेशकों को भी यह छूट मिलेगी, जिससे सहकारी बैंकों को RBI के स्तर पर बेहतर प्रतिनिधित्व मिलेगा और लंबे समय से चली आ रही प्रशासनिक दिक्कतें भी दूर होंगी।
क्यों है यह बदलाव ज़रूरी?
यह बदलाव सहकारी बैंकों में पारदर्शिता और बेहतर प्रशासन सुनिश्चित करेगा। साथ ही, इससे कानूनी उलझनों से राहत मिलेगी और बैंकों में सुचारु रूप से नए नेतृत्व का रास्ता खुलेगा।