राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) और CSIR -केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। इस दौरान NDDB के अध्यक्ष डॉ. मीनेश शाह, CLRI के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आर. अरविंदन, डॉ. एस.एन. वासगम और डॉ. अभिनंदन कुमार उपस्थित रहे।
यह रणनीतिक साझेदारी मृत पशुओं की खाल, हड्डियों, सींगों और अन्य उप-उत्पादों के मूल्यवर्धन पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य सहकारी आधारित शव प्रबंधन के लिए एक संस्थागत ढांचा विकसित करना है, जो विभिन्न राज्यों में स्थायी और व्यवस्थित प्रणाली सुनिश्चित करेगा।
NDDB ने X पर पोस्ट कर इस MOU की जानकरी दी और कहा कि केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में यह समझौता क्रांतिकारी साबित होगा।
इससे सहकारी आधार पर राज्यों में एक सुदृढ़ और टिकाऊ शव प्रबंधन ढांचे का निर्माण किया जाएगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी। CLRI इस क्षेत्र की संभावनाओं, मौजूदा व्यवस्थाओं और बहु-राज्य सहकारी समितियों की व्यावसायिकता पर एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करेगा। इस पहल के माध्यम से न केवल पशुपालन और डेयरी क्षेत्र में ‘सर्कुलर इकॉनमी’ को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह जनस्वास्थ्य सुधार और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगा।
यह पहल डेयरी क्षेत्र में सर्कुलरिटी को बढ़ावा देने, सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की भारत सरकार की दृष्टि से संरेखित है। सहकारी मॉडल के माध्यम से मृत पशुओं के उप-उत्पादों का उपयोग न केवल पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाएगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और आय वृद्धि में भी योगदान देगा।