फलों का राजा आम इस बार खास नहीं, सचमुच आम (सामान्य) हो गया है। इस बार उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े आम उत्पादक राज्यों में पैदावार ज्यादा होने से कीमतों में भारी गिरावट आई है। दशहरी जैसे रस भरे आम जो कुछ दिन पहले तक 60 रुपये किलो बिक रहे थे, अब 40-45 रुपये किलो के दाम मिल रहे हैं। दाम में गिरावट उपभोक्ताओं के लिए तो मीठा सौदा है, लेकिन आम उत्पादकों के लिए यह कड़वाहट लेकर आया है।
मैंगो ग्रोवर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एस इंसराम अली के अनुसार, उत्तर प्रदेश में इस साल करीब 35 लाख टन आम पैदा हुए हैं। पिछले साल यह आंकड़ा 25 लाख टन था। आम के पेड़ों पर 100% फ्लावरिंग हुई जिससे पैदावार ज्यादा हुई। बढ़े हुए उत्पादन ने किसानों को खुशी देने की बजाय उलझन में डाल दिया। बाकी कसर मौसम ने पूरी कर दी। मौसम विभाग ने इस साल मानसून के दौरान सामान्य से ज्यादा बारिश और समय से पहले मानसून आने का अनुमान जताया। इससे किसानों ने समय से पहले ही आम की तुड़ाई शुरू कर दी। इस कारण बाजार में अचानक बहुत ज्यादा आम आ गए और दाम तेजी से गिर गए।
यही हाल आंध्र प्रदेश के तिरुपति और चित्तूर जिलों का है, जहां का तोतापुरी आम काफी मशहूर है। वहां पल्प बनाने वाली फैक्ट्रियों ने अभी तक किसानों से आम खरीदना शुरू नहीं किया है जिससे किसान भारी घाटे में हैं। फैक्ट्रियों की सुस्ती और पहले से भरे बाजार ने किसानों की नींद उड़ा दी है।
पश्चिम बंगाल में भी ज्यादा उत्पादन से बाजार में आम की भरमार है। वहां के प्रीमियम क्वालिटी के आम जो पहले 80 रुपये किलो बिकते थे, अब 45-50 रुपये में बिक रहे हैं।