केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष (IYC) 2025 के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्य योजना जारी की है, जिसका लक्ष्य भारत में सहकारी क्षेत्र को मजबूत और पारदर्शी बनाना है। इस रणनीति का उद्देश्य सहकारिता आंदोलन को नए सिरे से परिभाषित कर ग्रामीण विकास, वित्तीय सशक्तिकरण और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है। इसका उद्देश्य स्थानीय परिचालन सुधारों से लेकर वैश्विक सहयोग तक हर स्तर पर सहकारी समितियों को सशक्त बनाना है, ताकि एक मजबूत और टिकाऊ सहकारी पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित हो सके।
पारदर्शिता, विकास और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए कार्य योजना में दस प्रमुख पहलें शामिल हैं जो जमीनी स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय सहयोग तक फैली हैं। इनमें प्राथमिक स्तर पर परिचालन दक्षता, प्रशासन को बढ़ाने तथा कोऑपरेटिव इकोसिस्टम में पारदर्शिता को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया गया है। इसके लिए मॉडल बायलॉज को अपनाने को प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि देशभर की सहकारी समितियों में एकरूपता आए।
इन पहल के तहत सहकारिता के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए संसद टीवी और अन्य मीडिया मंचों पर व्यापक अभियान चलाए जाएंगे, जो सहकारी समितियों की भूमिका को आम जनता तक पहुंचाएंगे। IYC 2025 के प्रचार के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राजभवनों में सहकारी सम्मेलन आयोजित होंगे। अमूल जैसे बड़े सहकारी ब्रांडों की पैकेजिंग पर IYC 2025 का लोगो प्रदर्शित होगा, जिससे इसकी व्यापक पहचान बने।
मंत्रालय ने डेयरी कोऑपरेटिव के लिए पांच वर्षीय व्यापक योजना बनाई गई है, जो सदस्यता, दुग्ध संग्रहण और दक्षता बढ़ाने पर केंद्रित है। साथ ही, जैविक खेती, स्वच्छता अभियान और “एक पेड़ मां के नाम” जैसी हरित पहलों को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे पर्यावरणीय स्थायित्व को बल मिलेगा।
अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के दौरान होने वाले आयोजनों में ग्लोबल कोऑपरेटिव लीडर्स को भारत बुलाया जाएगा ताकि सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान हो और वैश्विक स्तर पर साझेदारियों को मजबूत बनाया जा सके। ये कार्य योजनाएं घरेलू सहकारी समितियों को भारत के समावेशी आर्थिक विकास का आधार बनाएगी जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था और टिकाऊ आजीविका को नई दिशा देगी।