महाराष्ट्र के न्यू इंडियन कोऑपरेटिव बैंक में हुई धांधली का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि राज्य की दो और कोऑपरेटिव सोसयटी में धोखाधड़ी की खबर आ गई। जमाकर्ताओं की राशि में हेराफेरी करने की आरोपी बीड जिले स्थित दो मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी को बंद करने का आदेश दिया गया है। केंद्रीय रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसायटीज (सीआरसीएस) रवींद्र अग्रवाल ने राजस्थानी मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी लिमिटेड और जीजाव माँ साहेब मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी लिमिटेड को बंद करने का आदेश जारी किया है।
मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी (एमएससीएस) एक्ट, 2002 के तहत पंजीकृत ये राजस्थानी कोऑपरेटिव सोसायटी जमाकर्ताओं के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में असफल रही। भारतीय रिजर्व बैंक ने पहले ही जमा राशि के भुगतान में चूक को लेकर चिंता जताई थी। इसके अलावा, सोसायटी ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आवश्यक वार्षिक रिटर्न भी दाखिल नहीं किया। महाराष्ट्र के सहकारिता आयुक्त और रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसायटीज की जांच में पाया गया था कि गबन के आरोप में सोसायटी का मुख्यालय पुलिस द्वारा सील किया जा चुका है। निदेशक मंडल ने जमाकर्ताओं को धन वापस करने में घोर लापरवाही बरती है।
इसी तरह, जीजाव माँ साहेब मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी पर 160 करोड़ रुपये के गबन का आरोप है। मामला सामने आने के बाद से सोसायटी की चेयरपर्सन समेत कई अधिकारी फरार हैं। इस सोसायटी ने एमएससीएस अधिनियम, 2002 की कई धाराओं का उल्लंघन किया है। वित्त वर्ष 2021-22 के ऑडिट रिपोर्ट में यह गड़बड़ी उजागर हुई थी। सोसायटी के वित्तीय दस्तावेज पुलिस द्वारा जब्त किए जा चुके हैं।
इन दोनों मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी में हुई गंभीर वित्तीय अनियमितताओं को देखते हुए एमएससीएस अधिनियम, 2002 के तहत वाइंडिंग-अप प्रक्रिया शुरू की जा रही है। सीआरसीएस ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि कोई आपत्ति दर्ज करनी हो तो नोटिस जारी होने के 15 दिनों के भीतर सीआरसीएस की आधिकारिक वेबसाइट (crcs.gov.in) पर आपत्ति दर्ज करानी होगी। यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर कोई आपत्ति प्राप्त नहीं होती है, तो दोनों सोसायटी के खिलाफ आधिकारिक परिसमापन प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी ताकि जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा हो सके।