नये आयकर बिल 2025 (New Income Tax Bill 2025) से देशभर की सहकारी समितियों को फायदा होगा। इनकम टैक्स बिल विशेष रूप से आवासीय, विनिर्माण कार्य से जुड़ी सहकारी समितियों और कृषि क्षेत्र की सहकारी समितियों को राहत दी गई है। नये आयकर विधेयक 2025 में धारा 149 को बरकरार रखा गया है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण और विपणन में लगी प्राथमिक कृषि ऋण समितियां और उत्पादक कंपनियों के लिए इनकम टैक्स छूट का लाभ जारी रखा जाएगा। इस विधेयक का उद्देश्य मौजूदा इनकम टैक्स कानूनों को समेकित और संशोधित करना है। इसमें सहकारी समितियों पर लागू कराधान और कटौतियों से संबंधित प्रमुख प्रावधान शामिल हैं।
सहकारी समितियों को इनकम टैक्स में राहत देने की पूर्व घोषणाओं को जारी रखते हुए लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश नए इनकम टैक्स बिल में आवासीय सहकारी समितियों और कृषि क्षेत्र की सहकारी समितियों के लिए विशेष राहत का प्रावधान किया गया है। कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटियां धारा 202 के तहत (पहले से ही धारा 204 के अंर्तगत आने वाली समितियों को छोड़कर) इनकम टैक्स के रियायती दर का विकल्प चुन सकती हैं, बशर्ते वे वह पहले से इस छूट का लाभ न उठा रही हों। इसके अतिरिक्त आयकर विधेयक की धारा 204 में कुछ शर्तों के अधीन नई विनिर्माण सहकारी समितियों की विनिर्माण आय पर 15 प्रतिशत प्रोत्साहन टैक्स देने का भी प्रावधान किया गया है। इस प्रावधान से सहकारी समितियों में विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा।
नये बिल में धारा 150 के तहत कृषि उत्पादक कंपनियों के लिए भी टैक्स कटौती का प्रावधान किया गया है। इससे किसानों के नेतृत्व वाली सहकारी समितियों को मजबूती मिलेगी और उनकी वित्तीय स्थिरता और बेहतर होगी। इन कटौतियों से गामीण सहकारी उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा और कृषि मूल्य श्रंखलाओं को मजबूती मिलेगी। सहकारी समितियों को राहत देने के उद्देश्य से आयकर बिल के खंड 118 के अंर्तगत एक महत्वपूर्ण संशोधन सहकारी बैंकों के व्यवसाय के पुर्नगठन और घाटे से उबरने के लिए की गई है। इसी तरह विधेयक के खंड 65 में पुर्नगठन के दौर से गुजर रहे सहकारी बैंकों के लिए कटौती की गणना के लिए विशेष प्रावधान भी रखा गया है। इन सभी पहलों से विशेष रूप से शहरी सहकारी बैंकों और ऋण समितियों को लाभ मिलेगा, जिससे घाटे के दौर में समितियों की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित होगी।
आयकर विधेयक की धारा 63 में सख्त टैक्स ऑडिट और इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग आवश्यकताओं को लागू करने की भी सिफारिश की गई है। इसके लिए सहकारी समितियों को कटौती का दावा करने के लिए विस्तृत वित्तीय रिकॉर्ड रखना जरूरी होगा है। पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से किए गए ये उपाय छोटी सहकारी समितियों के लिए चुनौती बन सकते हैं।